MA DURGA SIDDH KUNJIKA HELLOZINDGI

Siddha Kunjika Stotram | रहस्य | लाभ | Lyrics | PDF

STOTRA

देवी की उपासना में Siddha Kunjika Stotram का बहुत महत्त्व है | Siddha Kunjika Stotram का पाठ करने से जीवन में आने वाली विपदायें अपने आप ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। अगर माता दुर्गा को प्रसन्न करना हो तो नव रात्रि में व्रत के अलावा दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करना आवश्यक होता है जिसे करने में 3 घंटे लगते हैं। अगर जातक के पास इतना समय न हो तो उसकी जगह Durga Saptshati Kunjika Stotram  का पाठ अत्यंत असरदार साबित होता है ।

Durga Saptashati Siddha Kunjika Mantra(Lyrics in Sanskrit with meaning in Hindi)

सिद्धकुंजिकास्तोत्रम्

शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।

येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः भवेत् ॥१॥

शिव जी ने कहा: देवी ! सुनिए ! मैं अति उत्तम और शक्तिशाली  कुंजिका स्तोत्र का उपदेश देता हूं, जिसे करने से चंडी जाप सफल होता है।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।

न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥२॥

कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास और अर्चन भी आवश्यक नहीं है।

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।

अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥३॥

केवल कुंजिका स्तोत्र के पाठ मात्र से ही दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है। कुंजिका अत्यंत गुप्त है और सभी देवताओं के लिए भी यह परम दुर्लभ है।

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।

मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।

पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥४॥

हे देवी पार्वती ! इस स्तोत्र को स्वयं की योनि की भांति प्रयत्नपूर्वक गुप्त रखना चाहिए। इस उत्तम सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ मात्र के द्वारा ही मारण, मोहन, वशीकरण, स्तंभन और उच्चाटन जैसे सभी कार्य सिद्ध कर देता है।

अथ मन्त्रः

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः

ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा

इति मन्त्रः॥

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥१॥

हे रूद्ररूपिणी ! आपको नमस्कार है ! हे मधु देखने को मृत्यु देने वाली ! आपको नमस्कार है ! कैटभविनाशिनी को नमस्कार है ! महिषासुर को मारने वाली देवी ! आपको नमस्कार है !

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन । 

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ॥२॥

शुम्भ का हनन करने वाली और निशुंभ को मारने वाली देवी ! आपको नमस्कार है ! हे महादेवी ! मेरे जब को जागृत और सिद्ध कीजिए !

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ॥३॥

ऐंकार के रूप में सृष्टिरूपिणी, ह्रीं के रूप में सृष्टि का पालन करने वाली !क्लीं के रूप में कामरूपिणी तथा अखिल ब्रह्मांड की बीजरूपिणी देवी! आपको नमस्कार है !

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी |

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण ॥४॥

चामुंडा के रूप में चण्डविनाशिनी और यैकार के रूप में आप वर देने वाली हो !विच्चै के रूप में आप नित्य ही अभय देने वाली हो ! (इस प्रकार आप ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे) आप इस मंत्र का स्वरुप हो !

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥५॥

धां धीं धूं के रूप में धूर्जटी अर्थात शिव की आप पत्नी हो ! वां वीं वूं के रूप में आप वाणी की अधीश्वरी हो ! क्रां क्रीं क्रूं के रूप में आप कालिका देवी हो ! शां शीं शूं के रूप में आप मेरा शुभ (कल्याण) कीजिए !

 हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥६॥

हुं हुं हुंकार स्वरूपिणी, जं जं जम्भनादिनी, भ्रां भ्रीं भ्रौं के रूप में हे भैरवी भद्रे भवानी ! आपको बार-बार प्रणाम है !

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं |

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥७॥

“अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं”इन सभी को तोड़ो और दीप्त करो करो स्वाहा !

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा |

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे ॥८॥

पां पीं पूं के रूप में आप पार्वती पूर्णा हो ! खांसी में खून के रूप में आप खेचरी हो !सां सीं सूं स्वरूपिणी सप्तशती देवी के मंत्र को मेरे लिए सिद्ध कीजिए !

इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे ।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥९ ॥

यह कुंजिका स्तोत्र मंत्र को जगाने के लिए ही है ! इसे किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं देना चाहिए जो भक्ति हीन हो ! हे पार्वती ! इसको गुप्त रखिए !

यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत् ।

न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥१० ॥

हे देवी ! जो बिना कुंजिका के सप्तशती का पाठ करता है उसे ठीक उसी प्रकार कोई सिद्धि प्राप्त नहीं होती जिस प्रकार किसी वन में रोना निरर्थक साबित होता है !

इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ॥

इस प्रकार रुद्रयामल के गौरी तंत्र के अंतर्गत शिव पार्वती संवाद में कुंजिका स्तोत्र संपूर्ण हुआ।

Siddha Kunjika Stotram का पाठ समय भी कम लेता है और इसके के लाभ भी बहुत अधिक हैं। आज के इस लेख में हम आपको Siddha Kunjika Stotram की पूरी जानकारी देंगे और siddhant kunjika stotram benefits and experiences  के बारे में विस्तार में चर्चा करेंगे।

SIDDH KUNJIKA STOTRAM HELLOZINDGI

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ –

माँ दुर्गा को प्रसन्न करने हेतु विभिन्न उपाय हमारे में शास्त्रों में बताये गए हैं जैसे माँ दुर्गा चालीसा का पाठ तथा कुछ स्तोत्र जिनमें से एक है Siddha Kunjika Stotram| ये माता दुर्गा जी का आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे सिद्ध मन्त्र हैं | यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।

इस पेज में हम आपको Siddha Kunjika Stotram Lyrics दे रहे हैं | मनुष्य को  जीवन में सफलता प्राप्त करने व भाग्य को अपने अनुकूल करने के लिए Siddha Kunjika Stotram का पाठ अवश्य करना चाहिए| Siddha Kunjika Stotram को बहुत ही शक्तिशाली माना गया है, क्योंकि इसका पाठ करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

MA DURGA HELLOZINDGI

मात्र कुंजिका स्तोत्र के पाठ से सप्तशती के सम्पूर्ण पाठ का फल मिल जाता है।माता दुर्गा जी का सिद्ध कुंजिका स्तोत्र, मनुष्य के जीवन में आ रही समस्याओ  और विघ्नों को दूर करने वाला है इसीलिए मनुष्य को इसका पाठ अवश्य ही करना चाहिए  Siddha Kunjika Stotram benefits अनगिनत हैं जिन्हें जान कर आप हैरान हो जाएँगे|  इस पेज में हम durga saptashati siddha kunjika stotram meaning in hindi  के वारे में चर्चा करेंगे |  

दुर्गा सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना पूरे दुर्गा सप्तशती पाठ करने के बराबर होता है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पढ़ना आसान भी होता है , समय भी बचाता है और इसे लाभ भी चमत्कारी होते हैं इसके अतिरिक्त कई पाठकों का दावा है की पूरी आस्था और श्रद्धा से इसका पाठ करने पर अद्भुत शक्तियों का अनुभव भी होता है।  

Siddha Kunjika Stotram Vidhi

WORSHIP KALASH HELLOZINDGI
  • सिद्ध कुंजिका स्तोत्र  का पाठ अपनी सुविधा  के अनुसार किसी भी वक्त किया जा सकता है
  • यदि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र  का पाठ शाम की आरती के बाद किया जाए तो यह बहुत ही तेजी से असर दिखाता है। इसे रात्रि के समय भी किया जा सकता है।
  • इस स्त्रोत के पाठ के लिए देवी के समक्ष दीपक जलाना चाहिए  और लाल आसन पर लाल वस्त्र पहन कर बैठना चाहिए |
  • इसके बाद देवी को धूप-दीप और पुष्प अर्पित कर कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए |
  • सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ एकांत में और शांति से करना चाहिए । जल्दीबाजी में इस पाठ को बिलकुल न करें।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र से चमत्कारी लाभ

  • इस पाठ को करने से मनुष्य की समस्त समस्याएं दूर हो जाती हैं
  • सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ से मनुष्य को आत्मिक शांति मिलती हैं
  • सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को करने से वाणी और मन को शक्ति प्राप्त होती है।
  • इस स्त्रोत के पाठ से अंदर से ऊर्जा मिलती है।
  • ग्रहों से मिलने वाले कष्ट, तंत्रं-मंत्र का असर और आर्थिक समस्याएं भी दूर होती हैं।
  • सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम का प्रतिदिन सुबह पाठ करने से सभी प्रकार की बाधाएं नष्ट होती हैं।
  •  इस स्तोत्र के पाठ के बाद किसी भी अधिक जप या पूजा की आवश्यकता नहीं है, सभी मंत्र कुंजिका स्तोत्र के मात्र पाठ से सिद्ध होते हैं।

Siddhant Kunjika Stotram Benefits and Experience in Hindi

दोस्तों जो श्रद्धालु भक्त पूरी श्रद्धा और ध्यान से इसका नियमित रूप से पाठ करते हैं उनका यह दावा है की यह स्त्रोत इतना चमत्कारी है की पाठक के हर परेशानी और बाधा को खतम कर देता है और उसकी मनचाही पूर्ण हुई है । इसके जाप के बाद पाठकों को अद्भुत ऊर्जा का अनुभव भी हुआ है। जो भक्त गृह दोष या बुरी नजर से परेशान है उन्हें भी इस स्त्रोत के बाद काफी राहत मिली है । जिन भक्तों का मन बेचैन रहता है उन्हें भी इसके जाप के बाद अद्भुत मानसिक शांति का अनुभव हुआ है।

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