यदा यदा ही धर्मस्य का उल्लेख भगवद गीता के चौथे अध्याय के सातवें एवं आठवें खंड से लिया गया है |
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ||
महाभारत में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था। जब अर्जुन ने अपनों के विरुद्ध युद्ध करने से इंकार कर दिया था, तो श्री कृष्ण ने अपने पराये, धर्म अधर्म का ज्ञान दिया था
“यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युथानम अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम।” जिसमे श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि यह धर्म अधर्म का युद्ध है यहाँ रिश्ते नाते कुछ भी नहीं है। यहां एक तरफ धर्म है तो दूसरी तरफ अधर्म है। धर्म की रक्षा के लिए सदा भगवान आते है।
yda yda hi dharmasya glanir bhavati bharata भागवत गीता का सबसे प्रमुख श्लोक है| तो यदि आपको इस श्लोक का अर्थ एवं महत्व समझना है तो जुड़े रहिये हमारे साथ इस पेज में हम आपको इस श्लोक के साथ साथ कुछ अन्य जानकारियां भी देने का प्रयास करेंगे| आशा करते हैं की आपको पसंद आयेंगी |
यदा यदा ही धर्मस्य Meaning in Hindi
जब जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है। और अधर्म में वृद्धि होती है। तब तब मैं इस पृथ्वी पर अवतार लेता हूँ। सज्जनों और साधुओं की रक्षा के लिए दुर्जनो और पापिओं के विनाश के लिए तथा धर्म की स्थापना के लिए मैं हर युग में अवतार लेता हूँ।
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत श्लोक हिंदी अर्थ
यहाँ पर मैं किसको कहा गया है यहाँ सृस्टि के रचयिता को मैं कहा गया है। सृस्टि का रचयिता सृष्टा है। सृष्टा और कोई नहीं स्वयं सृस्टि ही है।
धर्म क्या है धर्म पूरी सृस्टि को चलायमान रखता है। यह कोई जाति विशेष नहीं है। गौतम वुद्ध ने धर्म को धम्म कहा है। नानक ने हुक्म कहा है।
जब जब सृस्टि में अवरोध उतपन्न होता है। अर्थात स्वभाविक रूप से चलायमान होने में जब अवरोध उतपन्न होता है। चाहे वह अवरोध मनुष्य से हो या मशीनों से हो।
तब तब सृस्टि के नियम की स्थापना के लिए सृस्टि उन मनुष्यों के लिए संहारक होती है। अच्छे मनुष्यों के लिए सदैव अपने आप में परिवर्तन करती रहेगी।
यदि सृस्टि में सहायक होगें तो अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे और प्रवाह में वाधक बनेगे तो प्रतिकूल परिणाम प्राप्त होगें।
yda yda hi dharmasya lyrics in hindi
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्
परित्राणाय साधूना विनाशाय च दुष्कृताम
धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।
यदा- | जब |
ही- | वास्तव में |
धर्मस्य- | धर्म की |
ग्लानिर्भवति- | क्षति होती है |
भारत – | हे अर्जुन |
अभ्युथानम् – | वृद्धि होती है |
अधर्मस्य – | अधर्म की |
तदात्मानं – | तब तब |
सृजाम्यहम्- | मैं प्रकट होता हूँ। |
परित्राणाय- | उद्धार के लिए |
साधूना – | सज्जन व्यक्तिओं के |
विनाशाय च- | और विनाश के लिए |
दुष्कृताम – | दुष्टों के |
धर्म – | धर्म की |
संस्थापनार्थाय- | पुनः स्थापना के लिए |
सम्भवामि – | मैं जन्म लेता हूँ। |
युगे युगे। – | युग युग में |
Yda Yda hi Dharmasya Meaning in English
Yada yada hi dharmasya glanirbhavati bharata
Abhythanam dharmasya tadatmanam srijamyaham.
Paritranaya sadhunag vinashay cha dushkritam
Dharmasangsthapana arthay sambhabami yuge yuge.
Yda | when |
Hi | indeed |
Dharmasya | of religion |
Glani | decay |
Bhavati | is |
Bharata- | Name of Arjun |
Abhuthana– | rising up |
Adharmasya- | not religion something against religion |
Tada- | Than |
Atmanam- | my self |
Srijami- | create |
Aham- | I |
Paritranay- | to protect |
Sadhunag – | of the good people |
Cha – | and |
Dushkritam- | of the evil |
Dharma– | religion |
Sangsthapan- | to establish |
Arthey – | or the sake of |
Sambhabami- | I am born |
Yuge- | In age |