मेरीगोल्ड फ्लावर इन हिंदी| गेंदे के फूल की ऊंचाई एवं रंग| पूरी जानकारी

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आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में मेरीगोल्ड फ्लावर इन हिंदी के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं गेंदा के फूल का इस्तेमाल त्वचा की सूजन को कम करने वाली दवाओं में अवश्य किया जाता है.

Marigold flower क्या है –

आपको बता दें कि Marigold flower जिसे hindi में गेंदे का फूल कहते हैं, यह फूल आमतौर पर कई घरों में एवं बगीचों में देखने को अवश्य मिल ही जाता है। कुछ लोग इस फूल को घर की शोभा बढ़ाने के लिए उगाते हैं तो कुछ लोग बेचने के लिए इसकी खेती भी खूब किया करते हैं । इस फूल का प्रयोग कई स्थानों पर ज़रूर किया जाता है जैसे की पूजा में , विवाह में , माला बनाने में आदि । भारत में इस फूल की बहुत ही अधिक डिमांड है.

ध्यान देने वाली बात यह है कि Marigold का scientific name “Tagetes”  होता है।  भारत में गेंदा सबसे अधिक उगाए जाने वाले फूलों में से एक माना गया है एवं विभिन्न रूपों में धार्मिक तथा सामाजिक कार्यों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। यह एक हार्डी, वार्षिक पौधा हैं तथा किसी भी बगीचे को प्रसन्न करने के लिए यह एक महान पौधा कहलाता है। ये एक ऐसा फूल होता है जो बहुत ही उपयोगी एवं सरलता से उगाया भी जा सकता है । इस पौधे का value सदैव से ऊंचा रहा है और इसकी खेती भी सालो भर की जा सकती है। इस फूल को गुजराती में “गलगोटा” एवं मारवाड़ी में “हंजारी गजरा” के नाम से पुकारा जाता है।

दरअसल यह वार्षिक, मूल-मैक्सिकन जड़ी-बूटियां शुरुआती गर्मियों से पहली कठिन ठंढ तक खिलती हैं, इसलिए इसके उज्ज्वल रंग पूरे बढ़ते मौसम तक बने रहते हैं । मैरीगोल्ड विभिन्न रंगों में आते हैं, पीले एवं नारंगी सबसे आम हैं। ज्यादातर मैरीगोल्ड्स में तन्दुरुस्त, तीखी गंध होती है एवं कॉस्मेटिक उपचार में इसका बहुत ही बड़ा महत्व बताया गया है । बंबई, बेंगलुरु, कलकत्ता, मद्रास एवं दिल्ली में किए गए सर्वेक्षण में, मैरीगोल्ड का वार्षिक उत्पादन 19857 टन बताया गया है। किसी भी अन्य उपज की तरह गेंदा की कीमत एवं इसकी मांग तथा इसकी आपूर्ति पर निर्भर करती है।

जलवायु – 

ऐसा कहा जाता है कि धूप एवं गर्म जलवायु के मूल निवासी, marigold मध्यम रूप से समृद्ध मिट्टी के साथ उज्ज्वल धूप क्षेत्रों को पसंद किया करते हैं। इसके शानदार विकास एवं फूलों के लिए हल्के जलवायु की ज़रूरत होती है। हल्के मौसम में जहां रात के तापमान में अधिक समय तक ठंड नहीं पड़ती है, वहीं मैरीगोल्ड्स साल भर खिलते रहते हैं। इसकी विपुल वृद्धि के लिए इष्टतम तापमान सीमा कम से कम 18-20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए । 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान पौधों के विकास को प्रतिबंधित अवश्य कर सकता है जिससे फूल के आकार एवं संख्या में कमी आ जाती है।

दरअसल उत्तर भारतीय के मैदानी इलाकों में सर्दियों के महीनों में यानि की अक्टूबर से अप्रैल के दौरान इस फूल की सबसे बढ़िया फुलवारी देखी गई है। गर्मियों के दौरान, जिसमें उच्च तापमान एवं लंबे दिनों की विशेषता होती है, पौधे अधिकतर विरल फूल वाले वनस्पति होते हैं।

गेंदे के फूल की ऊंचाई एवं रंग

बता दें कि इस फूल की ऊंचाई लगभग 1 से 5 फिट तक बड़ जाती है। जिसमे इस फूल के पौधे के हर एक तने पर सिर्फ एक ही फूल खिलता है।

इसी के साथ – साथ गेंदे के फूल हमे कई सारे अलग – अलग रंगों में देखने को मिलता है। जिसमे पीला, लाल एवं नारंगी रंग के फूल भी शामिल होते है। इनमे पीले रंग का फूल सबसे अधिक लोकप्रिय माना जाता है।

गेंदे के फूल का इस्तेमाल –

1. याद रहे कि गेंदा के फूल का इस्तेमाल त्वचा की सूजन को कम करने वाली दवाओं में अवश्य किया जाता है.

2. गेंदे के फूल का इत्र बनाने में भी इसका इस्तेमाल बहुत अधिक किया जाता है.

3. गेंदे के फूल का गजरा एवं फूलों की माला बनाने में अधिक प्रयोग में लाया जाता है.

4. घाव एवं सूजन को कम करने के लिए इसके पत्तों को लेप एवं रस के रूप में इसका इस्तेमाल अवश्य किया जाता है.

5. दरअसल इसके फूल से तेल भी बनता है जिसका इस्तेमाल सौंदर्य उत्पादों में अधिकाधिक किया जाता है.

6. याद रखने वाली बात यह है कि गेंदे का चूर्ण, काढा एवं शरबत के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है.

7. गेंदे के फूल, पत्ता, बीज जड़ एवं तना सभी भागों का प्रयोग निष्ठापूर्वक किया जाता है.

Marigold के लाभ –

  • बता दें कि मैरीगोल्ड (कैलेंडुला) त्वचा की परेशानियों के उपचार के लिए एक अत्यंत प्रभावी जड़ी बूटी है और इसका इस्तेमाल त्वचा की सूजन, जहां संक्रमण या शारीरिक क्षति के कारण अवश्य किया जा सकता है ।
  • मरहम के रूप में देखा जाए तो , मैरीगोल्ड त्वचा के साधारण क्षति की मरम्मत हेतु एक उत्कृष्ट कॉस्मेटिक उपाय माना गया है जैसे कि उप त्वचीय टूटी हुई कोशिकाएं या सनबर्न।
  • 12 वीं शताब्दी में मैकर के द्वारा लिखा गया था कि केवल मैरीगोल्ड प्लांट को देखने से हीं आंखों की रोशनी में सुधार होगा एवं दिमाग भी बहुत हल्का होगा।
  • दरअसल यह फूल हानिकारक कीटाणुओं को बहुत दूर भगाते हैं, जिस जगह पर यह फूल लगा होता है उसके आस पास मलेरिया पैदा करने वाले मच्छर बिल्कुल भी नहीं जाते हैं ।
  • याद रहे कि कान के दर्द से राहत पाने के लिए गेंदे के पत्ते का रस निकाल कर उसे कान में डाला जाता है।
  • ऐसा कहा जाता है कि दांत दर्द में भी गेंदे के फूल की पंखुड़ियों से बनी चाय का सेवन बहुत ही लाभकारी माना जाता है। यदि आपको दांत दर्द की परेशानी है तो आप गेंदे के फूलों से बनी चाय को ठंडा करके इसका कुल्ला करने से दर्द से तुरंत आराम मिलता है।
  • दरअसल बता दें कि इस फूल में vitamin C एवं एंटीऑक्‍सीडेंट प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है यही वजह है कि इस फूल से बने अर्क का सेवन करने से हृदय रोग , कैंसर और स्‍ट्रोक जैसे बिमारियों से पूर्ण रूप से बचा जा सकता है।
  • बता दें कि गेंदे के फूलों से बनी चाय का सेवन करने से स्त्रियों को पीरियड्स के दौरान होने वाली परेशानियों से तुरंत छुटकारा मिलता है। गेंदे के फूल में एंटीऑक्सिडेंट एवं एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं जो पीरियड्स के दौरान होने वाली परेशानियों में लाभकारी साबित होते हैं। उसके अलावा गेंदे के फूल से बनी चाय का नियमित सेवन करने से पीरियड्स के दौरान होने वाली कब्ज एवं पेट से जुड़ी कठिनाइयों में लाभ भी मिलता है। गैस्ट्राइटिस, एसिड रिफ्लक्स एवं अल्‍सर आदि के इलाज में भी इसका प्रयोग लाभकारी माना जाता है।

गेंदे के फूल का नुकसान –

ऐसा कहा जाता है कि गेंदे का सेवन ज्यादा मात्रा में बिल्कुल भी न करें क्योंकि इसके ज्यादातर सेवन से आपके कामोत्तेजना शक्ति घट सकता है. अतः इसके इस्तेमाल से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से अवश्य परामर्श ले लें. तो आपके लिए बहुत ही बढ़िया रहेगा.

निष्कर्ष – 

आशा करता हूँ कि हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी आपको अवश्य पसंद आई होगी अतः आपसे निवेदन है कि अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से अवश्य जुड़े रहें. धन्यवाद.