Acharya Chanakya को एक विद्वान् माना जाता था राजनीतिक इतिहास में आचार्य चाणक्य का नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। आइये जानते हैं Acharya Chanakya की Life Story के बारे में.
आचार्य चाणक्य के बारे में
आज हम आपको आचार्य चाणक्य के बारे में रोचक तथ्य बतायेंगे और आप आचार्य चाणक्य के बारे में जानकार आश्चर्य में पढ़ जायेंगे कि आचार्य चाणक्य ऐसे थे . आचार्य चाणक्य की ऐसे दूरद्रष्टा थे की जिन्होंने अखंड भारत का सपना देख और उसे अपने प्रिय शिष्य चन्द्रगुप्त के माध्यम से पूरा भी किया . इस सपने के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने भारत और विश्व के लिए अपनी अद्भुत रचना चाणक्य नीति दी जिसमें उन्होंने बताया कि व्यक्ति को, राजा को स्वयं के साथ और लोगों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए जब की वह विपरीत परिस्थितियों में हो .
अखंड भारत का अद्भुत और अविश्वसनीय रचनाकार आचार्य चाणक्य
अगर किसी व्यक्ति को भारत के बारे में जानने का शौक है और उसने आचार्य चाणक्य का नाम न सुना व पढ़ा न हो, ऐसा नही हो सकता . आचार्य चाणक्य और भारत एक दुसरे के पूरक हैं चाणक्य के जिक्र के बिना भारत और भारत का इतिहास अधूरा है .संसार भर के इतिहास में चाणक्य ही अकेले व्यक्ति हैं जिन्हें राजनीति, राष्ट्रनीति, कूटनीति, विदेशनीति,अर्थशास्त्र और युद्व नीति का विशेष ज्ञान था यह बहुत ही कुशल रणनीतिकार थे इन्होने खुफिया तंत्र (गुप्तचर प्रणाली) के लिए भी विशेष सूत्रों की रचना की .
चाणक्य का मूल नाम विष्णुगुप्त था इनको कौटिल्य नाम से भी जाना जाता है यह नाम चाणक्य के पिता ने इन्हें दिया था और इनका जन्म बौध धर्म के अनुसार 350 ईसा पूर्व तक्षशिला के कुटिल गाँव में एक ब्राहमण वंश में हुआ था
जैन धर्म के मुताबिक चाणक्य का जन्म गोल्य जनपद में हुआ था इनके पिता का नाम चणक और माता का नाम चनेश्वरी था यह बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे . इनकी प्रारम्भिक शिक्षा ऋषि कनक के यहाँ हुई . आचार्य चाणक्य की आगे की शिक्षा नालंदा विश्वविधालय में हुई . आचार्य चाणक्य बहुत प्रभावी वक्ता, व्यवहार कुशल और बेहद प्रतिभाशाली थे इन्ही सब विशेषताओं की वजह से भारतीय शासक पोरस इनसे बहुत प्रभावित थे
यूनानी सम्राट सिकंदर के आक्रमण के समय चाणक्य तक्षशिला विश्वविद्यालय में प्राध्यापक थे तक्षशिला और गांधार के राजाओं ने सिकंदर से समझौता कर उसकी अधीनता स्वीकार कर ली. लेकिन चाणक्य ने भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए अनेक राजाओं से आग्रह किया इसी कोशिश में उन्होंने मगध के शासक घनानंद से भी सहायता मांगी . उसने आचार्य चाणक्य के प्रस्ताव को ठुकराते हुए चाणक्य को अपमानित कर अपने राज्य से निकाल दिया . उस दिन आचार्य चाणक्य ने नन्द वंश के खत्म होने तक चोटी न बांध का प्रण लिया .
चाणक्य ने साथी शकटार के माध्यम से जंगली और घनानंद से असंतुष्ट लोगों से मिलते हैं जिनमें एक बालक चन्द्रगुप्त भी शामिल था आचार्य चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को बालकों के झुण्ड में खेलते देखा. आचार्य चाणक्य बालक चन्द्रगुप्त की भाव भंगिमा से प्रभावित हुए और चन्द्रगुप्त की माँ मुरा ने चन्द्रगुप्त को मांग लिया . चाणक्य ने चन्द्रगुप्त अपना प्रिय शिष्य बनाया और सभी तरह ही शिक्षाएं दी जिनमें युद्वनीति, कूटनीति और रणनीतिक शिक्षा दी और चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को कुशल सैनिक से कुशल सेनापति बनाया और मगध के शासक घनानंद के कुशासन का अंत करके चन्द्रगुप्त को राजपद दिलाया और चन्द्रगुप्त ने आचार्य चाणक्य को अपना प्रधानमन्त्री नियुक्त किया .
चाणक्य का पूरा नाम
चाणक्य का पहले नाम कौटिल्य था जो कि उनके पिता ने उन्हें दिया था, उनके गाँव के नाम पर था उसके बाद उनका नाम विष्णुगुप्त रखा गया .कौटिल्य नाम से उन्होंने अर्थशास्त्र और नीति शास्त्र नाम की दो किताबें लिखी.
चाणक्य नीति के प्रमुख सूत्र
चाणक्य ने चाणक्य नीति में लगभग हर विषय पर कुछ न कुछ कहा है जो देश, समाज, परिवार और व्यक्ति के सम्बन्ध में है उन्होंने भविष्य और स्थानों के बारे में खूब लिखा है जो उनके युग से लेकर आज तक पूरी तरह प्रासंगिक और महतवपूर्ण है.
धन के बारे में
भविष्य के लिए धन इकठ्ठा करो ऐसा नही सोचना चाहिए कि धनवान के लिए धन की आवश्यकता नही पड़ती है विपत्तियाँ सब पर आती है और जब धन साथ छोड़ता है तो सब साथ छोड़ते हैं
ज्ञानी के बारे में
विद्वान् भी मुसीबत में आ जाता है वह जब किसी मुर्ख को ज्ञान देने लगता है अगर वो दुष्ट पत्नी की बहुत अच्छे से देखभाल करता है और अगर वह किसी दुखी आदमी से बहुत अच्छी दोस्ती कर लेता हैइसे ऐसी जगह न जाना चाहिए जहाँ लोग बुद्धिमान न हो ,जहाँ दान देने का कोई चलन न हो रोजगार का कोई साधन न हो, लोगों को किसी बात का डर न हो, लोगों को बिल्कुल शर्म लज्जा न हो .
स्थान के बारे में
उस जगह नही रहना चाहिए जहाँ पर आपका कोई सम्मान न हो, जहाँ पर आपके लिए रोजगार न हो, जहाँ आपका कोई मित्र न हो और जहाँ आप ज्ञान अर्जित नही कर सकते हैं ऐसी जगह एक दिन भी न ठहरे जहाँ कोई वैदिक ज्ञानी न रहता हो, जहाँ धनवान व्यक्ति न हो , कोई राजा न हो , नदी न हो और कोई चिकित्सक न हो
पिता के बारे में
पिता वही है जो पुत्र की देखभाल करे पुत्र पर विश्वास करें पिता को अपने पुत्रों को अच्छे कार्यों की सीख देनी चाहिए क्योंकि नीतिज्ञ और ज्ञानी का ही हर जगह सम्मान होता हैअपनी संतान को पांच वर्ष तक तो खूब प्यार करो उसके बाद पंद्रह वर्ष की उम्र तक उसे कठोर अनुशासन में रखो उसके बाद सोलह वर्ष की आयु से उसके मित्रवत व्यवहार करो .
व्यापारियों के बारे में
जो उधमी है वे गरीब नही रह सकते , उनको कोई भी स्थान दूर नहीं.
व्यक्ति के व्यवहार के बारे में
कोई सर्प विष वाला न हो तो भी उसे विषधर दिखना जरुरी है अगर वो डंक न दे पाए तो भी कोई बात नही मगर उसे अपने विषेले डंक का झूठा ही प्रदर्शन करते रहना चाहिए ताकि लोग उसकी कमजोरी का फायदा उठाने के बारे में न सोचे
व्यक्तियों के बारे में
लालची को धन देकर ,कठोर व्यक्ति से प्रार्थना करने से और मुर्ख को सम्मान देकर और ज्ञानी को सच बोलकर संतुष्ट किया जा सकता है
प्यार पर चाणक्य के कथन
- चाणक्य मनुष्य के प्यार के बारे में कहते हैं कि व्यक्ति यदि महिलाओं (माँ, बेटी, पत्नी, बहन ) का सम्मान करता है तो वो ऐसे रिश्तों के महत्व को अच्छे से समझता है ऐसे में उसे रिश्ते में धोखा नही मिलता है .
- एक व्यक्ति को प्रेमिका और पत्नी के अतिरिक्त अन्य स्त्री के प्रति आकर्षित नही होना चाहिए . तब ही वह अपने प्रेम का बचा पाता है .
- चाणक्य ने कहा है कि सिर्फ चेहरे कि सुन्दरता देखकर ही विवाह नही करना चाहिए बल्कि उच्च कुल की संस्कारी लड़की चाहे कुरूप हो विवाह करना चाहिए .
- मनुष्य को विवाह के लड़की के संस्कार और चरित्र सर्वप्रथम ध्यान देना चाहिए .
- व्यक्ति को लड़की का धार्मिक और भगवान् में विश्वास रखने वाली से विवाह करना चाहिए
- ऐसी कन्या उच्च परिवार का निर्माण करने में कुशल होती है .
Chanakya Quotes in Hindi for Love–
आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में बताया है कि
- व्यक्ति का बराबरी वालों में प्रेम करना सर्वोत्तम होता है.
- किसी को जिस व्यक्ति से प्रेम होता है उसी से भय भी होता है .
- प्रेम ही सारे दुःखो का मूल है, अतः प्रेम – बन्धनों को तोड़कर सुखपूर्वक रहना चाहिए.
- किससे प्रेम करना चाहिए और कहाँ पर क्रोध करना चाहिए जो यह जानता है वह व्यक्ति ज्ञानी है
Chanakya Quotes on Friendship in Hindi–
आचार्य चाणक्य ने अपनी सच्ची मित्रता के सहयोग से ही अखंड भारत के सपने को पूरा किया . मित्रता के बारे में आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में भी लिखा है कि मित्र और मित्रता के बारे में इन सब बातों का ध्यान रखा जाता है तो जीवन में विजय और प्रसन्नता मिलती है चाणक्य नीति में निम्न कथन कहे है जो इस प्रकार हैं .
- न कोई किसी का शत्रु है न कोई किसी का मित्र है कार्य वश लोग शत्रु और मित्र बनते हैं .
- मूर्ख मित्र सांप से भी ज्यादा घातक है क्योंकि मुर्ख मित्र बार बार संकट में डालेगा .
- मित्र की परीक्षा हमेशा संकट में होती है .
- अक्सर सोचते रहना चाहिए कि कौन कौन मित्र है ?
- घर से बाहर रहने पर विद्या मित्र है ,घर पर पत्नी मित्र है, बीमारी में औषधि मित्र है, बूढ़े होने पर स्वास्थय ही आपका दोस्त है तथा मृत्यु के बाद धर्म मित्र होता होता है .
- आवश्यकता होने पर,किसी दुर्घटना पर,लड़ाई,अकाल,किसी महत्वपूर्ण आदमी से मिलने के लिए जाने पर और शमशान में बुलाने पर आपके पास आ जाए .
- बुरे दोस्त और अच्छे दोस्त पर कभी भी विश्वास नही करना चाहिए क्योंकि दोनों के नाराज होने पर आपके सारे रहस्य उजागर हो जाते हैं.