Bandhavgarh National Park in Hindi|बांधवगढ़ नेशनल पार्क कैसे पहुंचे

WELLNESS FOREVER

आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Bandhavgarh National Park in Hindi के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं बांधवगढ़ नेशनल पार्क यह सफेद बाघों के लिए उनका मूल निवास स्थान माना जाता है

ऐसा कहा जाता है कि Bandhavgarh National park in Hindi बांधवगढ़ नेशनल पार्क यह सफेद बाघों के लिए उनका मूल निवास स्थान माना जाता है ऐसा इतिहास से यह पता चला है कि रीवा के महाराज बांधवगढ़ का प्रयोग अपने शिकार के लिए ही किया करते थे यहां की एक पहाड़ी पर एक प्राचीन किला भी स्थित है जो इसका सबूत है रोचक बात तो यह है कि किला जंगल पर हावी नजर आता है बहुत ही पहले से इस स्थान को नेशनल पार्क कहा जा रहा है कभी बांधवगढ़ दुनिया भर के शिकारियों के लिए पसंदीदा स्थान हुआ करता था हालांकि अब सरकार ने बाघों को बचाने के लिए यहां पर अवैध शिकार पर पाबंदी लगा दी है इसके पश्चात् यहां पर धीरे-धीरे बाघों की संख्या निरंतर बढ़ती ही जा रही है।

ऐसा माना जाता है कि बांधवगढ़ सफेद बाघों का मूल निवास स्थान होता है। इतिहास से यह पता चलता है कि रीवा के महाराज बांधवगढ़ का प्रयोग शिकार के लिए किया करते थे। यहां की एक पहाड़ी पर स्थित एक प्राचीन किला भी इस बात का सुबूत है। रोचक बात यह है कि किला जंगल पर हावी नजर आता है। बहुत समय पहले से ही इस स्थान को नेशनल पार्क भी कहा जाता रहा है एवं कभी बांधवगढ़ दुनिया भर के शिकारियों की पसंदीदा स्थान भी हुआ करता था। हालांकि अब सरकार ने बाघों को बचाने के लिए अवैध शिकार पर पाबंदी लगा दी है, जिससे धीरे-धीरे यहां बाघों की संख्या बहुत ही अधिकाधिक बढ़ रही है।

महत्त्वपूर्ण रोचक तथ्य – 

  • बता दें कि बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान यह मध्यप्रदेश के उमरिया जिले के विंध्य पर्वत पर स्थित भारत का सबसे लोकप्रिय राष्ट्रीय उद्यान माना जाता है।
  • बांधवगढ़ को सन 1968 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था यह राष्ट्रीय उद्यान लगभग 448 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • दरअसल भारत में सर्वाधिक बाघों की संख्या इसी राष्ट्रीय उद्यान में पायी जाती है। गौरतलब है कि भारत में सर्वाधिक बाघ मध्यपदेश में ही पाये जाते हैं, सन 2019 की बाघ जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में केवल 526 बाघ (सबसे अधिक) दर्ज किये गए थे।
  • इस राष्ट्रीय उद्यान के महत्‍व एवं संभाव्‍यता को देखते हुए इसे सन 1993 में ‘प्रोजेक्‍ट टाइगर नेटवर्क’ के अंतर्गत अवश्य लाया गया था।

प्रोजेक्‍ट टाइगर – 

  • दरअसल बाघों के संरक्षण के लिए सन 1973 में केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत भी की थी।
  • इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारत में उपलब्ध बाघों की संख्या के वैज्ञानिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं पारिस्थिक मूल्यों का संरक्षण सुनिश्चित अवश्य करना होता है।
  • इसके तहत अब तक केवल 50 टाइगर रिजर्व बनाए जा चुके हैं।
  • याद रखें कि प्रोजेक्ट टाइगर के क्रियान्वयन के लिए एक वैधानिक निकाय के रूप में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का गठन भी किया गया है। जिसका गठन वर्ष 2006 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत ही किया गया था।

बांधवगढ़ नेशनल पार्क कैसे पहुंचे –

बता दें कि बांधवगढ़ का नजदीकी रेलवे स्टेशन 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उमरिया रेलवे जंक्शन है एवं इसका नजदीकी हवाई अड्डा जबलपुर है जो कि यह 210 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।

यदि आप रोडवेज बसों से यहां तक पहुंचना चाह रहे हैं तो आप मध्य प्रदेश के किसी भी शहर से यहां तक बड़ी सरलता से बस के माध्यम से अवश्य पहुंच सकते हैं।

प्रकृति के मध्य बांधवगढ़ –

बता दें कि बड़े पैमाने पर जैव विविधता वाला बांधवगढ़ सन 1968 में नेशनल पार्क के रूप में जाना गया था। यह स्थान बाघों के लिए बहुत ही प्रसिद्ध माना गया है एवं भारत में सबसे अधिक बाघ यहीं पर हैं। बाघ के अलावा यहां बड़ी संख्या में तेंदुआ एवं हिरण की कई प्रजातियां पाई जाती है। इसके अलावा यहां कई दुर्लभ वन्यजीव भी पाए जाते हैं। 

याद रहे कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क में चिड़ियों की कम से कम 250 प्रजाति, स्तानापाई की 37 प्रजाति एवं तितलियों की तकरीबन 80 प्रजाति के साथ कई तरह के सरीसृप भी पाए जाते हैं। पेड़-पौधों के मामले में भी बांधवगढ़ बहुत ही समृद्ध हो गया है। यहां साल, धोबिन, सलाई, साजा एवं अन्य कई तरह के वनस्पति भी पाई जाती है। 

समृद्ध वनस्पति एवं जीव-जंतु ही बांधवगढ़ पर्यटन की खास बात है। यहां के बाघ सहित दूसरे जानवरों एवं प्रकृति को करीब से देखने के लिए आपको कम से कम तीन दिन यहां पर बिताने होते हैं।

बांधवगढ़ नेशनल पार्क घूमने का सबसे बढ़िया समय –

दरअसल बांधवगढ़ घूमने अब साल के किसी भी महीने में आप जा सकते हैं परन्तु यहां घूमने का जो पिक टाइम होता है वह नवंबर से लेकर अप्रैल तक ही होता है इस मौसम में यहां का वातावरण बहुत ही खुशनुमा एवं आनंदमय होता है।

वनस्पति – 

बता दें कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क में पाए जाने वाले पत्ते अधिकतर शुष्क पर्णपाती प्रकार के होते हैं एवं एकमात्र ऐसा क्षेत्र होता है जो वनस्पतियों एवं जीवों में बहुत ही समृद्ध है। यह क्षेत्र अपेक्षाकृत मध्यम जलवायु एवं निश्चित रूप से अनुकूल स्थलाकृति लाता है जो विशिष्ट रूप से नेशनल पार्क में एक समृद्ध एवं विविध वनस्पतियों के विकास में काफी योगदान देता है।

खान-पान –

मध्यप्रदेश पर्सियन एवं हिंदूस्तानी दोनों संस्कृति को अपने दामन में समेटे हुए है। दरअसल यह यहां के खान-पान में भी दिखती है। यदि आपने बांधवगढ़ में भुट्टा की कीस, मावा-बाटी कबाब एवं खोपरापाक नहीं खाया तो फिर आपकी यात्रा पूरी तरह से अधूरी ही मानी जाएगी। 

कैसे पहुंचे –

आपको यह भी बता दूँ कि हवाई, रेल एवं सड़क मार्ग से भी बांधवगढ़ पहुंचा जा सकता है। दरअसल यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट एवं रेलहेड जबलपुर में स्थित है। याद रहे कि अक्टूबर से मार्च के मध्य बांधवगढ़ घूमना सबसे बढ़िया माना जाता है।

FAQ:

  1. बांधवगढ़ नेशनल पार्क है या टाइगर रिजर्व.

बता दें कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क भारत का 1 नेशनल पार्क है जो उम में स्थित है।

  1. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में कितने भाग हैं?

दरअसल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगभग 60 से 70 भागों की आबादी है। दुनिया के सबसे सुंदर बड़े बिल्लियों को देखने के लिए यह टाइगर रिजर्व सबसे बढ़िया माना जाता है।

निष्कर्ष – 

आशा करता हूँ कि हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी आपको अवश्य पसंद आई होगी अतः आपसे निवेदन है कि अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से जुड़े रहें. धन्यवाद