Body name| hindi and english| विभिन्न तंत्र एवं उनके कार्य

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आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Body name hindi and english के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं ज्ञानेन्द्रियाँ व्यक्ति के शरीर के वह अंग होती हैं, जिनसे सुनने, महसूस करने, देखने, एवं स्वाद-ताप-रंग आदि का काम किया जाता है |

बता दें कि हमारे शरीर के विभिन्न अंगो का निर्माण नाना प्रकार के ऊतकों द्वारा ही किया जाता है | अनेक प्रकार के अंग तंत्रो से मिलकर मानव शरीर की रचना होती है | शरीर के विभिन्न अंगो को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, जिनसे उन अंगो की पहचान की जाती है |

इन नामों से ही उनके अंगो को पहचानने में बहुत ही सरलता होती है | सभी अंगो का अपना अलग – अलग काम होता है, जिन्हे वो भली – भाँति पूर्ण अवश्य करते हैं |

शरीर के अंगों के नाम – 

S. No.               English           हिंदी

1               Head           सिर

2             Forehead     ललाट

3               Eye         आँख

4             Eyebrow          भौंह

5               Ear           कान

6               Nose           नाक

7               Mouth           मुंह

8               Tongue           जीभ

9               Teeth           दांत

10               chin           ठोढ़ी

11               Lips           होंठ

12               cheek           गाल

13               Neck           गर्दन

14             Shoulder       कंधा

15               Chest           छाती

16               Hand           हाथ

17               Arm           बाजू

18             Stomach           पेट

19             Navel           नाभि

20             Waist           कमर

21             Finger         उंगली

22             Thumb       हाथ का अँगूठा

23             Thigh           जाँघ

24             knee           घुटना

25             Leg           टांग

26             Ankle           टखना

27             Foot           पैर

28             Toe       पैर का अँगूठा

29             Wrist           कलाई

30             palm           हथेली

मानव शरीर के विभिन्न तंत्र एवं उनके कार्य – 

Table of Contents मानव कंकाल तंत्र (Human Skeletal System)संधि संरचना (Treaty Structure)पेशीतन्त्र (Muscular System)परिसंचरण तंत्र (Circulatory System)आशय तंत्र (Intent Mechanism)श्वसन तंत्र (Respiratory System)पाचन तंत्र (Digestive System)मूत्रतंत्र (Genitourinary System)जनन तंत्र (Reproductive System)तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System)ज्ञानेन्द्रियाँ (Sense Organs)मानव शरीर के अंगो के नाम (Human Body Parts Names)

मानव कंकाल तंत्र –

दरअसल यह मानव शरीर की आंतरिक संरचना होती है, इसमें आपको हड्डियों की संरचना के बारे में बताया जा रहा है | मनुष्य के जन्म के समय शिशु अवस्था में कम से कम 270 हड्डियां पाई जाती है | इसके पश्चात् बाल्यावस्था में उसकी हड्डियों की जनसँख्या 270 से बढ़कर 350 तक हो जाती है | मनुष्य के किशोरावस्था एवं प्रौढ़ावस्था के दौरान कुछ हड्डियों के संगलित होने पर यह केवल 206 हड्डियों तक ही सीमित रह जाती है | हड्डियां हमारे शरीर की माशपेशियों को एक रूप देती है, एवं उन्हें किसी भी तरह से कार्य को करने में मदद प्रदान करती है |

संधि संरचना (Treaty Structure)-

संधि यानि हड्डियों का जोड़ यह शरीर के उन स्थानों को पूरी तरह से दर्शाता है, जहां पर दो हड्डियां आपस में एक दूसरे से मिलती है, जैसे :- कुहनी, कूल्हे एवं कुहनी आदि | यह शरीर में गति पहुंचाने तथा यांत्रिक आधार का कार्य करती है |

पेशीतन्त्र (Muscular System)-

दरअसल यह मानव शरीर का मस्क्युलर सिस्टम होता है, जो इच्छाधीन पेशियों की गणना करता है | यह पेशियाँ अस्थियो पर लगी होती है | इन पेशियों के संकुचन से अंगो में गति उत्पन्न होती है, जिससे शरीर हिल-डुल एवं चलने जैसी क्रियाओ को करता है |

परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) – 

बता दें कि परिसंचरण तंत्र या वाहिकातंत्र मानव शरीर का वह संगठन होता है, जो शरीर की कोशिकाओं तक पोषक तत्वों को पहुंचाने का काम करता है | यह वाहिकातंत्र शरीर के ताप, P.H. मान की स्थिरता एवं शरीर से रोगो की रक्षा करता है | शरीर में गैसें, हार्मोन, अमिनो अम्ल, रक्त कोशिकाएँ तथा नाइट्रोजन के अपशिष्ट, विद्युत अपघट्य आदि उत्पाद के यातायात का कार्य परिसंचरण तंत्र के द्वारा ही किया जाता है |

आशय तंत्र (Intent Mechanism) –

इस आशय के अंतर्गत श्वसन तंत्र, पाचन तंत्र, मूत्र एवं जनन तंत्र आते हैं |

श्वसन तंत्र (Respiratory System) –

आपको बता दूँ कि श्वासोच्छ्वास के कार्यो करने वाले समस्त अंगो की रचना का वर्णन इस तंत्र के द्वारा ही किया जाता है | इस तंत्र में श्वसनिका फुप्फुस, नासा,  श्वासनली, कंठ, फुप्फुसावरण, स्वरयंत्र एवं श्वासोच्छ्वास का कार्य करने वाली पेशियों का वर्णन अवश्य किया जाता है | रक्त का सोधन इस तंत्र द्वारा ही किया जाता है, इसमें व्यक्ति एक मिनट में तक़रीबन 16-20 बार सांस लेता है |

पाचन तंत्र (Digestive System) – 

ऐसा कहा जाता है कि यह व्यक्ति की पाचन क्रिया होती है, जिसमे अवशोषण, भोजन के पाचन एवं चयोपचय से संबंधित कार्य को करने के लिए दाँत, कंठ, ओष्ठ, मलाशय, जिह्वा, पक्वाशय, आंत्र, बृहत्, अन्ननलिका, आमाशय, यकृत अग्न्याशय, लघु एवं लालाग्रंथियाँ पाई जाती है | इसमें 25 से 30 फुट लंबी पाचक नाल एवं आहार नाल पाई जाती है | यह मुँह से आरम्भ होकर मलाशय/गुदा के अंत तक होती है | इसमें आहार मुँह से प्रवेश के पश्चात् आमाशय, क्षुद्रांत्र, ग्रासनाल, बृहदांत्र, ग्रहणी, मलाशय एवं गुदाद्वार द्वारा मल के रूप में बाहर निकलता रहता है |

मूत्रतंत्र (Genitourinary System) – 

बता दें कि मूत्रतंत्र के अंतर्गत मूत्रनली,  प्रॉस्टेटग्रंथि, मूत्राशय एवं रुधिर वाहिनियाँ आदि तंत्र आते हैं | इस तंत्र में रूधिर को मूत्र से पृथक कर गविनियों द्वारा ही मूत्रालय में एकत्रित भी किया जाता है, जो व्यक्ति की इच्छानुसार बाहर निकाला जाता है | 

जनन तंत्र (Reproductive System) – 

पुरुष और स्त्रियों में भिन्न-भिन्न जनन तंत्र पाए जाते हैं | पुरुषो में अंडकोष की दो अंड ग्रंथियाँ पाई जाती है, जिनमे शुक्राणुओं का निर्माण होता है | पुरुषो में शुक्राशय मूत्रनली के दोनों भाग पुरस्थ में खुलते हैं, जिसे व्यक्ति मैथुन क्रिया के द्वारा ही अपने शुक्राणुओं का त्याग मूत्रनली से करता है | इसके विपरीत महिलाओं में भगास्थि का द्वार मूत्राशय के पीछे स्थित लम्बा ऊध्र्व गर्भाशय होता है | महिलाओं में प्रति माह होने वाले मासिक रुधिरस्राव के द्वारा ही अप्रफलित डिंब को बाहर निकाल दिया जाता है |

तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System) – 

तन्त्रिका तंत्र एक ऐसा तंत्र होता है, जिसके द्वारा सभी विभिन्न अंगो का नियंत्रण एवं सामंजस्य स्थापित को स्थापित भलीभांति किया जाता है | इस तंत्र में मस्तिष्क, मेरुरज्जु से निकलने वाली तंत्रिकाओं की गणना काकाम भी किया जाता है | तंत्रिका कोशिकाओं के द्वारा ही अन्य कोशिकाओं के साथ मिलकर तन्त्रिका तन्त्र के कामों को संपन्न भी किया जाता है |

ज्ञानेन्द्रियाँ (Sense Organs) – 

ज्ञानेन्द्रियाँ व्यक्ति के शरीर के वह अंग होती हैं, जिनसे सुनने, महसूस करने, देखने, एवं स्वाद-ताप-रंग आदि का काम किया जाता है | इन कामों को कान, नाक, आँख, त्वचा एवं जीभ जैसी ज्ञानेन्द्रियो के द्वारा ही किया जाता है | इसमें जीभ स्वाद का, आँखे देखने का, त्वचा महसूस करने का, नाक गंध मालूम करने का एवं कान सुनने का काम किया करता है |

निष्कर्ष – 

आशा करता हूँ कि हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी आपको अवश्य पसंद आई होगी अतः आपसे निवेदन है कि अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से अवश्य जुड़े रहें. धन्यवाद.