Gyanpith Puraskar |पुरस्कार राशि तथा इतिहास |पूरी जानकारी

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आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Gyanpith Puraskar kya hai के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं यह पुरस्कार भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार माना जाता है|

ज्ञानपीठ पुरस्कार क्या है – 

दरअसल ज्ञानपीठ पुरस्कार वह पुरस्कार होता है, जो किसी बड़े लेखक को प्रदान किया जाता है| यह पुरस्कार लेखकों का मनोबल बढ़ाने के लिए ही प्रदान किया जाता है, ताकि वो इस पुरस्कार को प्राप्त करके पुरस्कृत सूची में अपना नाम दर्ज करा लें एवं उत्साह के साथ इसी तरह के और भी कई पुरस्कार प्राप्त करता रहे | इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले लेखक बहुत ही महान एवं द्रणनिश्चयी होते हैं | यह पुरस्कार भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार माना जाता है|

बता दें कि ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्याय के द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई २२ भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य माना जाता है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र एवं भाग्यदेवी की कांस्य प्रतिमा भी दी जाती है।

ज्ञानपीठ पुरस्कार की आरंभ कब की गई थी –

प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार सन १९६५ में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। उस समय पुरस्कार की धनराशि केवल १ लाख रुपए थी। सन १९८२ तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। परन्तु इसके पश्चात् से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा।

ज्ञानपीठ पुरस्कार की राशि कितनी है –

दरअसल देश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में दी जाने वाली राशि को कम से कम सात लाख रुपये से बढ़ाकर अब 11 लाख रुपये कर दिया गया है। ज्ञानपीठ के निदेशक रवीन्द्र कालिया ने बताया कि भारतीय ज्ञानपीठ की स्थापना सन 1944 में हुई थी एवं सन 1965 में ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत हुई थी।

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखक कौन है –

बता दें कि ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने सन 2021 एवं सन 2022 के लिए क्रमश: 56वां और 57वां ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा की थी। सन 2021 के लिए असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन को एवं सन 2022 के लिए कोंकणी साहित्यकार दामोदर मौउजो को दिए जाने की घोषणा की गयी है।

इतिहास 

बता दें कि 22 मई सन 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन का पन्चासवां जन्मदिन था | उनके इस जन्मदिन के अवसर पर ही उनके परिवार के सदस्यों के मन में ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत करने का विचार उनके मन में आया था | इसके पश्चात् इस पुरस्कार की शुरुआत करने के लिए 2 अप्रैल सन 1962 को दिल्ली में भारतीय ज्ञानपीठ एवं टाइम्स ऑफ़ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में देश की सभी भाषाओं के 300 मूर्धन्य विद्वानों ने मिलकर इस विषय पर बहुत ध्यान – पूर्वक विचार- विमर्श किया।  इसके पश्चात् सन 1965 में पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार को प्रदान करने का निर्णय भी लिया गया था |

निष्कर्ष – 

यहाँ पर हमने आपको ज्ञानपीठ पुरस्कार के विषय में जानकारी अवश्य उपलब्ध कराई है | अगर इस जानकारी से रिलेटेड आपके मन में किसी प्रकार का सवाल या विचार उत्पन्न हो रहा है, या इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप हमें इस कमेंट बाक्स के माध्यम से अवश्य पूछ सकते हैं, हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया एवं सुझावों का इंतजार कर रहे हैं | अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट पर विजिट अवश्य करते रहें. धन्यवाद.