Hernia Means in Hindi|हर्निया के प्रकार|पूरी जानकारी

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आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Hernia Means in Hindi के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं हमारे एक मांसपेशी या ऊतक में किसी छेद के माध्यम से अंदर का अंग उभरकर बाहर आने लगता है, उसे हर्निया कहते हैं।

हर्निया क्या है – 

दरअसल जब एक मांसपेशी या ऊतक में किसी छेद के माध्यम से अंदर का अंग उभरकर बाहर आने लगता है, उसे हर्निया कहते हैं। 

बता दें कि बॉडी की केविटी की झिल्लियां फट जाती हैं तो अंग का कुछ हिस्सा बाहर की ओर निकल आता है इसे ही हर्निया कहते हैं हमारे शरीर के भीतर कुछ अंग खोखले स्थानों में होते हैं। इन खोखले स्थानों को बॉडी केविटी कहते हैं। दरअसल यह बॉडी केविटी चमड़ी की झिल्ली से पूरी तरह ढकी होती है। जब इन केविटी की झिल्लियां एकदम से फट जाती हैं तो अंग का कुछ भाग बाहर निकल आता है। इस तकलीफ को हर्निया कहते हैं। हर्निया आमतौर पर पेट में ही होता है किन्तु यह जांघ के ऊपरी हिस्से, नाभी एवं कमर के आस-पास भी हो सकता है। ज्यादातर हर्निया घातक नहीं होते हैं.

हर्निया कितने प्रकार का होता है –

याद रहे कि हर्निया कई प्रकार का होता है। इनगुइनल हर्निया सबसे सामान्य प्रकार का हर्निया होता है। यह स्त्रियों की तुलना में पुरुषों में अधिक पाया जाता है। हर्निया में निकलने वाले अंगों के अनुसार भी हर्निया का वर्गीकरण अवश्य किया गया है। सामान्यत: हर्निया के तीन प्रकार होते हैं। वेक्षण हर्निया (इंग्वाइनल हर्निया), नाभि हर्निया (अंबिलाइकल) एवं जघनास्थिक हर्निया (फीमोरल हर्निया)। सभी का इलाज पूरी तरह से संभव है।

  • इनगुइनल हर्निया-
  • हाइटल हर्निया –
  • अम्बिलिकल हर्निया-
  • इंसिज़नल हर्निया-
  • स्पोर्ट्स हर्निया-

हर्निया कितना गंभीर है –

आपको यह बता दूँ कि एक हर्निया आंतों के ऊतकों से पेट की मांसपेशियों में उभार होता है। कुछ मामलों में तो स्थिति दर्दनाक भी हो सकती है, जैसे खासकर खांसने, आगे झुकने या फिर भारी चीजों को उठाने जैसी गतिविधियों के दौरान। इसके परिणामस्वरूप कमर के क्षेत्र में असुविधा भी अधिक उत्पन्न होती है जो क्षेत्र में कमजोरी या दबाव की भावना, उभार के आसपास जलन एवं दर्द की अनुभूति तथा अंडकोष में दर्द और सूजन के कारण ही उत्पन्न हो सकता है।

यह शिशुओं एवं नवजात शिशुओं को भी प्रभावित अवश्य कर सकता है जिससे वे एकदम से चिड़चिड़े हो जाते हैं एवं भूख भी कम हो जाती है। कुछ मामलों में जब हर्निया पेट की मांसपेशियों में फंस जाता है, तो यह कठिनाई का सबब बन सकता है। ऐसे मामलों में घुटन बहुत अधिक होने लगती है एवं स्थिति जानलेवा भी हो जाती है।

लक्षण –

जिस जगह पर हर्निया होता है, वहाँ पर उसका दर्द महसूस होने लगता है। उस भाग में सूजन के कारण से जलन एवं दर्द की सनसनाहट महसूस होती है। हालांकि हर्निया के कोई खास लक्षण बिल्कुल भी नहीं होते, परन्तु कुछ लोगों में सूजन एवं दर्द की शिकायत हो सकती है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि इस प्रकार का दर्द खड़े होने, मांसपेशियों में खिंचाव होने या कुछ भारी सामान उठाने पर तेजी के साथ बढ़ सकता है।

इलाज क्या है –

किसी मरीज को हर्निया के उपचार की आवश्यकता है या नहीं ये उसके हर्निया का आकार एवं उसके लक्षण की गंभीरता पर ही निर्भर करता है। हर्निया किसी भी उम्र में हो सकता है। दरअसल यह बच्चों से लेकर वृद्ध किसी में भी हो सकता है। यह स्त्रियों में भी होता है। हर्निया का उपचार दूरबीन द्वारा एक छोटे ऑपरेशन से पूरी तरह संभव है। जीवन शैली में बदलाव, दवाईयां एवं सर्जरी आदि हैं।

हर्निया रोग के प्रकार

आपको यह बता दें कि हर्निया कई प्रकार के होते हैं, परन्तु मुख्य रूप से उन्हें पांच भागों में बांटा गया है। हर्निया रोग के प्रकार इस प्रकार से हैं:-

1. इनगुइनल हर्निया

याद रहे कि इनगुइनल हर्निया सबसे सामान्य प्रकार का हर्निया होता है। शोध के मुताबिक लगभग 70% हर्निया के मामलों में इनगुइनल हर्निया होता है। इस स्थिति में पेट के निचले हिस्से की परत में छेद हो जाता है एवं उस हिस्से की आंत बाहर की ओर आ जाती है।

आमतौर पर इनगुइनल हर्निया इनगुइनल कैनाल अर्थात जांघ नलिका के आसपास ही होता है। महिलाओं की तुलना में इनगुइनल हर्निया पुरुषों में अधिकतर देखने को मिलता है।

2. हाइटल हर्निया

याद रहे कि हाइटल हर्निया 50 से अधिक उम्र के लोगों में अधिक देखने को मिलता है। इस बीमारी से गर्ड (गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स) पैदा होता है जिसके कारण पेट की सामग्री का रिसाव भोजन नलिका में ही होने लगता है जो आगे पेट में जलन का कारण बनता रहता है।

3. अम्बिलिकल हर्निया

आपको यह भी बता दें कि अम्बिलिकल हर्निया 6 महीने से कम उम्र के शिशु में हो सकता है। इस बीमारी की स्थिति में आंत का उभार पेट की अंदरूनी परत के माध्यम से नाभि के पास ही पहुंच जाता है। जब शिशु रोता है तो अम्बिलिकल हर्निया के उभार को नाभि के पास ही इसे देखा जाता है।

अम्बिलिकल हर्निया एकमात्र ऐसा हर्निया होता है जो पेट की मांसपेशियां तन्दुरुस्त होने पर भी अपने आप ही ठीक हो जाता है। यदि बच्चे की उम्र एक साल होने के पश्चात् भी अम्बिलिकल हर्निया पूरी तरह ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर सर्जरी से इसका इलाज अवश्य करते हैं।

4. इंसिजनल हर्निया

बता दें कि पेट में सर्जरी होने के पश्चात् इंसिजनल हर्निया का खतरा बहुत ही अधिक होता है। सर्जरी के दौरान जहां चीर-फाड़ की जाती है वहां और उसके आसपास की कमजोर मांसपेशियों पर इसका बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है जिसके कारण इंसिजनल हर्निया भी हो सकता है।

5. स्पोर्ट्स हर्निया

याद रखने वाली बात यह है कि पेट के निचले हिस्से एवं ग्रोइन में तनाव और किसी मुलायम उत्तक के फटने से स्पोर्ट्स हर्निया भी होता है।

हर्निया रोग से नुकसान – 

बता दें कि हर्निया से अनेक नुकसान भी हो सकते हैं। जब आंत या वसायुक्त चर्बी का टुकड़ा हर्निया की थैली में फंस जाता है तो बहुत ही अधिक सूजन पैदा होती है एवं उत्तक में खून की आपूर्ति एकदम से बंद हो जाती है। खून की आपूर्ति न होने के कारण उत्तक मरने लगते हैं जिसे स्ट्रैंगुलेटेड हर्निया भी कहते हैं।

ध्यान रहे कि स्ट्रैंगुलेटेड हर्निया के कारण रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। यही वजह है कि इसे आपात मेडिकल देखभाल की ज़रूरत होती है। साथ ही साथ, हर्निया का आकार बड़ा होने पर पेट एवं खाने की नली विस्थापित हो सकती है।

निष्कर्ष – 

आशा करता हूँ कि हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी आपको अवश्य पसंद आई होगी अतः आपसे निवेदन है कि अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से ज़रूर जुड़े रहें. धन्यवाद.