Kaziranga National Park in Hindi|काजीरंगा नेशनल पार्क कैसे पहुंचे

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आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Kaziranga National Park in Hindi के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना सन् 1904 में ब्रिटिश शासन के दौरान ब्रिटिश सरकार के द्वारा ही की गई थी।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना –

बता दें कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान आंशिक रूप से असम राज्य के गोलाघाट एवं नागांव जिले में स्थित एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान है इसके साथ ही यह असम राज्य का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान माना जाता है.

नदी एवं दक्षिण में कार्बी आंगलोग पहाड़ियों के साथ लगभग 430 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है.

दरअसल काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना सन् 1904 में ब्रिटिश शासन के दौरान ब्रिटिश सरकार के द्वारा ही की गई थी।

मौसम –

याद रखने वाली बात यह है कि सर्दियों के मौसम में इस राष्ट्रीय उद्यान का ज्यादातर तापमान 26 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस जबकि गर्मियों में इस राष्ट्रीय उद्यान का अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस होता है ।

वन्यजीव – 

आपको यह भी बता दूँ कि जंगली भैंस एवं एक सींग वाले गैंडों की प्रमुख आबादी इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है। इसके अलावा, बंगाल के बाघ, एशियाई हाथी, भैंस, गैंडे, और दलदल हिरण इस पार्क के कुछ प्रमुख वन्यजीव भी पाए जाते हैं। जिसमें 30 से अधिक स्तनधारी भी शामिल हैं, जिनमें से 15 प्रजातियाँ लुप्तप्राय समूह के अंतर्गत आती हैं।

दरअसल कुछ अन्य वन्यजीवों में सफ़ेद-भूरे रंग के गिब्बन, भारतीय गौर, भारतीय जंगली सूअर, भौंकने वाले हिरण, बंगाल लोमड़ी, भारतीय गेंदा, चीनी बेजर, सुस्त भालू, असमिया मकाक, पत्ती बंदर एवं बहुत कुछ शामिल हैं।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य –

  • याद रहे कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम राज्य के गोलाघाट एवं नागांव में 42,996 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है । 

दरअसल यह उद्यान एक सींग वाले गैंडे के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध माना गया है यह दुनिया में पाए जाने वाले एक सींग वाले गैंडे का दो – तिहाई हिस्सा इसी राष्ट्रीय उद्यान में ही पाया जाता है।

  • बता दें कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान इसमें वन-सींग वाले गैंडों के लिए बहुत ही प्रसिद्ध माना गया है।
  • दरअसल पार्क में हाथी, बाघ, हॉग हिरण आदि सहित अन्य जानवर पाए जाते हैं।
  • बता दें कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान पर्णपाती जंगल की अपनी अनूठी मिट्टी के कारण अवशोषित होने से अधिक कार्बन जारी करता रहता है। मिट्टी बैक्टीरिया की विशाल आबादी का घर है, जो सांस लेते समय कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ती है। इसमें अन्य जीवों एवं पेड़ों के द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड भी शामिल है।
  • आपको यह बता दें कि बादलों के बढ़ने के कारण मानसून के दौरान पेड़ों की प्रकाश संश्लेषक गतिविधि पूरी तरह से कम हो जाती है। इस प्रकार, वनों की कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की क्षमता भी बहुत ही कम हो जाती है।
  • इसमें जीप सफारी एवं एलिफेंट सफारी की सुविधाएं बहुत ही अधिक हैं।
  • राष्ट्रीय उद्यान घोषित होने से पहले यह एक आरक्षित वन हुआ करता था।
  • काजीरंगा सभी पर्यटकों के लिए एक सुंदर वातावरण प्रदान किया करता है।
  • काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान 37 राजमार्गों का निवास स्थान माना जाता है जो कि इस राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र से होकर गुजरता है।
  • भारत सरकार के द्वारा सन 1974 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित अवश्य किया गया था । 
  • बता दें कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को सन 2007 से बाघ अभयारण्य घोषित किया गया इसके तहत इस राष्ट्रीय उद्यान के 1,030 वर्ग किमी के क्षेत्र को कुल बाघ आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। 
  • यूनेस्को के द्वारा सन 1985 में इस राष्ट्रीय उद्यान को विश्व धरोहर स्थल घोषित अवश्य किया गया था । 
  • इस राष्ट्रीय उद्यान में कम से कम 300 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है जिनमें से बहुत सी प्रजातियां लुप्तप्रायः है इसके कारण बर्डलाइफ इंटरनेशनल के द्वारा इस राष्ट्रीय उद्यान को एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के रूप में भी मान्यता अवश्य दी गई है ।

काजीरंगा में हाथी सफारी – 

बता दें कि अगर आप काजीरंगा में हाथी पर बैठकर जंगल की सैर करना चाहते हैं, तो काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के जंगल में आपको हाथी की सवारी यहाँ पाए जाने वाले गैंडों एवं अन्य वन्यजीवों का आकर्षक नजारा दिखाएगी। वन विभाग के द्वारा काजीरंगा में हाथी सफारी दिन में कम से कम दो बार (सुबह एवं शाम) की जाती है। जिसमे एक हाथी सफारी में केवल  चार पर्यटकों एवं एक हाथी चालक को बठने की अनुमति होती है। इस सफारी शुल्क में सवारी शुल्क एवं प्रवेश शुल्क दोनों ही शामिल होते हैं।

काजीरंगा में हाथी सफारी का समय – 

याद रखने वाली बता यह है कि काजीरंगा में हाथी सफारी सुबह 05:30 बजे से 07:30 बजे तक या फिर दोपहर में 3:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक ही की जा सकती है।

काजीरंगा नेशनल पार्क कैसे पहुंचे –

अब हम आपको यह भी बताते हैं कि देश के विभिन्न हिस्सों से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में कैसे पहुंचा जा सकता है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान पहुंचने के लिए आप वायु परिवहन, रेल परिवहन एवं सड़क परिवहन के माध्यम से बहुत ही सरलता से पहुँचा जा सकता है।

रेल परिवहन – Rail transport

निकटतम रेलवे स्टेशन – फुरकेटिंग रेलवे स्टेशन जो कि यहां से तकरीबन 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन जो कि 240 किलोमीटर एवं जोरहाट केवल 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इन स्टेशन के लिए देश के प्रत्येक हिस्से से बहुत ही सरलता से ट्रेन उपलब्ध हो जाती है।

वायु परिवहन – Air transportation

निकटतम हवाई अड्डा – गुवाहाटी एवं जोरहाट जो कि क्रमशः 217 एवं 97 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गुवाहाटी के लिए देश एवं विदेश के लगभग सभी क्षेत्रों से बहुत ही सरलता से फ्लाइट मिल जाती है।

सड़क परिवहन – Road transport

बता दें कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 37 जो कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य द्वार के सामने होकर गुजरता है। इसके माध्यम से बहुत ही सरलता से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान पर पहुंचा जा सकता है एवं सभी निकटवर्ती रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डों से बस तथा टैक्सी के माध्यम से राष्ट्रीय उद्यान परिसर पहुंचा जा सकता है।

रेस्टोरेंट्स एवं भोजन – 

आपको यह भी बता दूँ कि यहां भोजन के लिए सबसे सुविधाजनक विकल्प रिसॉर्ट्स, लॉज एवं होटल भी उपलब्ध कराए गये हैं जो सभी पर्यटकों की आवश्यकताओं का विशेष रूप से ध्यान भी रखते हैं। इनके अलावा स्थानीय ढाबों के संदर्भ काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में सीमित विकल्प भी हैं।

आप विभिन्न प्रकार की स्थानीय असमिया तैयारियों में शामिल भी अवश्य हो सकते हैं जिसमें लक्सा, खार, टेंगा के साथ-साथ कुछ अन्य मछली व्यंजनों और चावल के व्यंजन भी शामिल हैं। इसके साथ ही आप काजीरंगा में एक विशिष्ट भारतीय भोजनसूची की लोकप्रिय वस्तुओं का आनंद भी ज़रूर ले सकते हैं।

वनस्पति – 

काजीरंगा में वनस्पति एवं पौधों के जीवन की एक बहुत ही बड़ी सूची है और पौधों को कम से कम तीन वर्गों मतलब उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन, जलोढ़ घास के मैदानों तथा उष्णकटिबंधीय अर्ध-हरे जंगलों में वर्गीकृत किया गया है।

पार्क मुख्य रूप से अपने लंबे हाथी घास एवं दलदली के लिए ही पहचाना जाता है। इसमें पानी की एक उच्च किस्म के जलकुंभी, लिली तथा कमल शामिल हैं जो भूमि को शुद्ध रूप से राजसी एवं सुंदर व बढ़िया बनाते हैं।

निष्कर्ष – 

आशा करता हूँ कि हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी आपको अवश्य पसंद आई होगी अतः आपसे निवेदन है कि अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से अवश्य जुड़े रहें. धन्यवाद.