Keoladeo National Park in Hindi|केवलादेव नेशनल पार्क के वन्यजीव

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आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Keoladeo National Park in Hindiके बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं सन 1985 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित भी किया गया था।

कुछ खास तथ्य – 

  • बता दें कि केवलादेव नेशनल पार्क भारत के राजस्थान राज्य के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है।
  • इसे सन 1982 में नेशनल पार्क घोषित किया गया था और बाद में सन 1985 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित भी किया गया था।
  • यह नेशनल पार्क, पक्षियों एवं जानवरों के 370 से अधिक प्रजातियों का निवास स्थान माना जाता है, जैसे कि अजगर, सारस, हिरण नीलगाय एवं बहुत कुछ।
  • बता दें कि केवलादेव नेशनल पार्क 1850 के दशक के दौरान एक शाही शिकार रिजर्व के रूप में उभरा एवं महाराजाओं तथा अंग्रेजों के लिए एक गेम रिजर्व था। कहा जाता है कि सन 1943 में एक शिकार पार्टी के लिए हजारों बत्तखो को गोली मार दी गई थी।
  • दरअसल प्रसिद्ध भारतीय पक्षी विज्ञानी एवं प्रकृति वादी सलीम अली ने केवलादेव नेशनल पार्क बनाने के लिए सरकारी मदद प्राप्त करने के लिए अपने प्रभाव का प्रयोग किया।
  • केवलादेव नेशनल पार्क माइग्रेट साइबेरियन सारस की उपस्थिति के लिए बहुत ही प्रसिद्ध जाना जाता है।
  • दरअसल स्थानीय रूप में इस नेशनल पार्क को ‘घाना’ के नाम से भी जाना जाता है एवं यह शुष्क घास के मैदान, वुडलैंड्स, वुडलैंड दलदलो तथा आद्रभूमियों का मोजेक है।
  • आपको बता दूँ कि इस पार्क में ब्रिटिश वायसराय के सम्मान में हर साल डक शूट फेस्टिवल का आयोजन भी भलीभांति किया जाता है।
  • यह नेशनल पार्क राजस्थान वन अधिनियम, 1953 के तहत एक आरक्षित वन है एवं इसलिए, भारतीय संघ के राजस्थान राज्य की संपत्ति होती है।
  • याद रखें कि नेशनल पार्क में प्रवासी पक्षियों में क्रेन, पेलीकन, गीज, बत्तख़, चील, हॉक्स, शैँक्स, स्टिंट्स, वैगटेल, वारब्लर, फ्लाईकैचर, बंटीँग, लार्क एवं पिपिट आदि की कई प्रजातियां शामिल होती है।
  • आपको यह भी बता दूँ कि यह नेशनल पार्क पूरे दिन खुला रहता है। इस पार्क में भारतीयों के लिए प्रवेश शुल्क रु – 25 और विदेशियों के लिए 200 रु मान्य है।

देखने का समय –

बता दें कि सर्दियों के मौसम में इस पार्क में प्रवेश का समय सुबह 6:30 होता है, एवं शाम को 5:00 बजे तक यह यह पार्क खुला रहता है। गर्मियों के मौसम में इस पार्क में प्रवेश का समय सुबह 6:00 बजे होता है, एवं शाम को 6:00 तक यह पार्क खुला रहता है।

पैदल सैर करना – 

अगर आप केवलादेव राष्ट्रीय पार्क की यात्रा का भरपूर मजा उठाना चाहते हैं तो आप इस पार्क के अंदर पैदल सैर अवश्य कर सकते हैं। यह भी बता दें कि पार्क के अंदर पूरा पक्का रास्ता लगभग 11 किमी तक का बनाया हुआ है। यदि आप पैदल चलकर यहाँ की छोटी सी सैर करना चाहते हैं, तो आपको यहां पहले कम से कम 5 किलोमीटर तक यहां के ज्यादातर पक्षी देखने को मिलते हैं। यदि आप पैदल चल सकते हैं तो आप अवश्य इस सैर पर जायें।

साइकिल से सैर करें – 

यदि आप नेशनल पार्क में सैर का पूरा मजा लेना चाहते हैं तो आपके पास पैदल चलने के अलावा साइकिल से सैर करना एक बहुत ही बढ़िया विकल्प होता है। इसके लिए आपको एक साइकिल किराए पर लेनी होगी जो आपको बहुत महंगी बिल्कुल भी नहीं पड़ेगी। यहां एक दिन के लिए साइकिल किराये पर लेने के लिए आपको कम से कम 50 से 100 रूपये ही देने पड़ते हैं।

पूरे परिवार के साथ रिक्शा सफारी- 

यदि आप अपने पूरे परिवार के साथ केवलादेव राष्ट्रीय अभयारण्य की सैर पर जा रहे हैं तो आपके लिए घोड़ा गाड़ी या तांगे से यहां की सैर करना बहुत ही बढ़िया रहेगा। क्योंकि एक परिवार के लिए यह एक बहुत ही बढ़िया विकल्प माना गया है। इस तांगे से सवारी के लिए आपको केवल 150 प्रति घंटे के हिसाब रूपये देने पड़ते हैं। इस सैर में बच्चे एवं बड़े सभी यहाँ की प्रकृति का आनंद अवश्य ले सकते हैं। घोड़ा गाड़ी सफारी की सहायता से आप भीड़ होने के पश्चात् भी बहुत ही कम समय में अधिक से अधिक पार्क को ज़रूर देख सकते हैं।

सबसे अच्छा समय

ध्यान रखने वाली बात यह है कि केवलादेव नेशनल पार्क में गर्मियों के मौसम में बहुत ही अधिक गर्मी होती है। इस नेशनल पार्क में गर्मियों में तापमान इतना बढ़ जाता है कि पर्यटकों के लिए वास्तव में यह असहनीय हो जाता है। मानसून के मौसम में वह समय होता है जब पंछी घोंसला बनाना आरंभ कर देते हैं, परन्तु वर्षा इतनी अधिक नहीं होती है, इसलिए आद्रता आगंतुकों के लिए कुछ परेशानियां पैदा कर सकती है। इस पार्क का अवलोकन करने का सबसे बढ़िया समय अक्टूबर एवं फरवरी के मध्य होता है, जब जलबायु सबसे हल्की होती है एवं आगंतुकों को बहुत सारे प्रवासी पक्षी देखने को मिलते हैं।

केवलादेव नेशनल पार्क के वन्यजीव –

बता दें कि पूरे एशिया में पक्षियों के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण नेशनल पार्क माना जाता है। इस पार्क में पक्षियों की कम से कम 380 से भी अधिक प्रजातियाँ पायी जाती है। इनमे कुछ साइबेरियन क्रेन भी मौजूद है। जंगली बिल्ली, नीलगाय, सांबर, सुनहरा रंग का सियार, हैना, काला हिरण एवं जंगली भालू के लिए यह सबसे बढ़िया जगह मानी जाती है।

प्रभु शिव जी के मंदिर को केवलादेव के नाम से इस जगह का यह नाम दिया गया था साथ ही साथ यहाँ का जंगल बहुत ही घना होने के कारण से इसे यह नाम दिया गया। सर्दियों के दिनों में यहाँ पर महाकाय अजगर भी दिखाई देते हैं।

दरअसल इस पार्क को नवम्बर से मार्च के मध्य में भेट भी दी जाती है।

यह नेशनल पार्क भरतपुर शहर में स्थित है। इस शहर में होने के कारण से इसे भरतपुर पक्षी अभयारण्य भी कहा जाता है। पूरे राजस्थान के पक्षियों की सबसे अधिक प्रजातियाँ पायी जाती है। इस पार्क में घूमने के लिए सर्दी के दिनों में आना चाहिए।

परन्तु सर्दी के दिनों में यहाँ पर सावधानी से घूमना चाहिये क्योंकि इस समय अजगर भी बहुत दिखाई देते हैं। इसीलिए घूमते समय इस बात का पूरा ध्यान अवश्य रखना चाहिए।

निष्कर्ष – 

आशा करता हूँ कि हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी आपको अवश्य पसंद आई होगी अतः आपसे निवेदन है कि अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से अवश्य जुड़े रहें. धन्यवाद.