Nadi Dosh Kya Hota Hai

Nadi Dosh Kya Hota Hai | नाड़ी दोष क्यों होता है?

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Nadi Dosh Kya Hota Hai और क्यूँ होता है ऐसे बहुत से सवाल आपके मन में होंगे जैसे की विवाह अनुदान क्या है और भी बहुत से ऐसे सवाल जिनके विषय में आपको प्रयाप्त जानकारी नही होती जैसे की आप सब जानना चाहते होंगे जन्म कुंडली क्यों आवश्यक है.

नाडी दोष के वैज्ञानिक कारण

अगर दंपत्ति में नाडी दोष होते हैं तो उनकी संतान मानसिक कमजोर, शरीरिक बीमार और असवस्थ होते हैं। 

 नाडी दोष अर्थ और प्रभाव इन हिंदी

 हिंदू धर्म की विवाह परंपरा में विवाह से पूर्व भावी वर-वधू की कुंडलियों का मिलान दोनों परिवार कराते है। दोनों की कुंडली मिलान इसलिए किये जाते हैं जिससे दोनों में कोई दोष ना हो और हो तो पता लग जाए ताकि वे विवाह के बाद दांपत्य का सार्थक उपभोग कर सके। उनकी संतानें सब प्रकार से अच्छी हों और उन सबके बीच तालमेल हो। कुंडली मिलान के दौरान मंगल तथा अन्य ग्रह जनित दोष देखे जाते हैं। 

गृह दोष के अतिरिक्त एक और दोष होता है जो सबसे बड़ा दोष माना जाता है उसे नाड़ी दोष कहते हैं। कुछ जतियों विशेषकर ब्राह्मण और वैश्यों में नाड़ी दोष को मंगल दोष के जैसा माना जाता है और अगर यह दोष भावी वर-वधू के गुण मिलान में होता है तो वह विवाह संभव नही है। ज्योतिषियों के अनुसार नाड़ी दोष होने के बाबजूद विवाह होता है तो दांपत्य जीवन के दौरान दंपत्ति में से किसी एक या दोनों को कई तरह के रोग होने अनुमान रहता है। और संतानों को रक्त संबंधी कोई गंभीर रोग हो सकता है या फिर ऐसे दंपतियों को संतान सुख नहीं मिलता है|

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नाड़ी दोष क्या होता है

विवाह से पूर्व लड़का और लड़की की कुंडली मिलान में गुणों का मिलान होता है, इसे मेलापक मिलान कहते हैं। इसमें आठ बिंदुओं पर गुणों का मिलाये जाते हैं। इन गुणों का योग 36 अंक हैं। सुखद विवाह के लिए 18 गुणों का मिलना अनिवार्य है। इस मिलान में नाडी दोष नही होना चाहिए।गुण मिलान के आठ बिंदुओं को कूट या अष्टकूट कहते हैं। ये कूट वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी हैं।

 नाड़ी तीन तरह की होती हैं

  • आद्य नाड़ी
  • मध्य नाड़ी
  • अंत्य नाड़ी

हर मनुष्य की जन्म कुंडली में चंद्रमा की किसी नक्षत्र विशेष में उपस्थिति होने से व्यक्ति की नाड़ी का ज्ञान हो जाता है। 27 नक्षत्रों में से नौ नक्षत्रों में चंद्रमा के उपस्थित होने से जातक की कोई एक नाड़ी होती है।

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नाडी दोष के प्रभाव

जीवन में निर्धनता और परेशानियाँ रहती है जीवन में अगर दंपत्ति में नाडी दोष है तो दांपत्य जीवन के दौरान दंपत्ति में से किसी एक या दोनों को कई तरह के रोग होने अनुमान रहता है। और संतानों को रक्त संबंधी कोई गंभीर रोग हो सकता है या फिर ऐसे दंपतियों को संतान सुख नहीं मिलता है।

नाड़ी दोष के कारणनक्षत्र में नाडी और दोष

आद्य नाड़ी- जब भी चंद्रमा अश्विनी, आर्द्रा, पुनर्वसु, उत्तर फाल्गुनी, हस्त, ज्येष्ठा, मूल, शतभिषा तथा पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में हो तो जातक की आद्य नाड़ी होती है।

मध्य नाड़ी- जब चंद्रमा भरणी, मृगशिरा, पुष्य, पूर्व फाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा तथा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में हो तो जातक की मध्य नाड़ी होती है।

अंत्य नाड़ी- चंद्रमा जब कृत्तिका, रोहिणी, अश्लेषा, मघा, स्वाति, विशाखा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण तथा रेवती नक्षत्र में हो तो जातक की अंत्य नाड़ी होती है।

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कब होता है नाड़ी दोष

गुण मिलान करते समय यदि वर और वधू की नाड़ी एक ही आ जाए तो नाड़ी दोष बनता हैं। और इसके लिए उन्हें 0 अंक मिलते हैं। उदाहरण के लिए यदि लड़के की नाड़ी आद्य हो और लड़की की भी आद्य आ जाए तो नाड़ी दोष बन जाता है। ऐसी स्थिति में विवाह करना उचित नहीं होता है।

नाडी दोष कें सिलेसन रूल्स इन हिंदी

नाडी दोष कें सिलेसन रूल्स होते हैं जब नाडी दोष नही लगता है यह जानना बहुत जरुर है।

  1. लड़के और लड़की के जन्म चार्ट में कुछ ज्योतिषीय संयोजन होते हैं, जो नाडी दोष के नकारात्मक प्रभावों को खत्म करते हैं।
  2. दूल्हे व दुल्हन के जन्म चार्ट में समान राशी के समान नक्षत्र होने के परिणामस्वरूप नाडी दोष नहीं माना जाता है।
  3. अगर राशी का स्वामी शुक्र, बुध या बृहस्पति है, तो वर और वधु की एक ही नाडी होने पर भी नाडी दोष नहीं माना जायेगा।
  4. अगर लड़का और लड़की की कुंडली में एक ही नक्षत्र है लेकिन राशियां भिन्न भिन्न  हैं, तो इसे असाधारण नाडी दोष माना जाता है। (लड़की का जन्म राशी और जन्म चरण दूल्हे से पहले नहीं होना चाहिए)।
  5. अगर लड़का और कन्या की जन्म राशि एक ही है, लेकिन नक्षत्र अलग-अलग हैं 
  6. (लड़की का नक्षत्र लड़के के नक्षत्र से पहले नहीं हो सकता), तो इस स्थिति में भी नाडी दोष नहीं माना जाता है।

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क्या नाड़ी दोष में विवाह हो सकता है?

नाडी महादोष- लड़के और लड़की के विवाह से पूर्व जिन आठ बिन्दुओं पर कुंडली मिलायी जाती हैं। उन बिदुओं के अंतिम तिन गण भकूट और नाडी के मिलान में दोष होता है और इन तीनों के दोष को ‘महादोष’ कहते हैं।

विवाहित जीवन तनावपूर्ण- अगर नाडी दोष के बाबजूद भी विवाह होता है तो पति पत्नी का जीवन तनाव पूर्ण रहता है और इनमे सम्बन्ध विच्छेद हो जाता है।

हादसे में मृत्यु- अगर मध्य नाडी दोष क्र बाबजूद शादी कर दी जाती है तो दोनों के किसी हादसे में मृत्यु होने की सम्भावना रहती है।

तनाव और कलेश पूर्ण जीवन-अगर दोनों के अन्त्य नाडी दोष के बाबजूद विवाह कर दिया जाता है तो जीवन भर तनाव और कलेश पूर्ण जीवन रहता है और दोनों को तरह तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

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नाड़ी दोष का निवारण क्या है?

निवारण नियम-

नाडी दोष एक भयानक भेद है और इसे गंभीरता से स्वीकार करना चाहिए। अगर यह दोष है तो व्यक्ति को इसका निवारण नियम पूर्वक और प्रभावी तरीके से करना चाहिए।

महा मृत्युंजय जाप-

अगर नाडी दोष है तो महा मृत्युंजय जाप का सर्वश्रेष्ठ है इसका जाप आस्था और भक्ति के साथ करना नाडी  दोष के प्रभाव का कम करता है।

नाडी दोष निवारण पूजा-

नाडी दोष निवारण के लिए दोनों लोगों को  साथ बैठ कर भगवान् शिव की पूजा आस्था और श्रद्वा से करने से इस दोष के प्रभाव को काफी हद तक कम कर होता है।

अच्छे काम-

लड़के और लड़की के अच्छे काम भी  इस दोष के प्रभावों को कम कर सकते हैं। दोनों को गरीबों में अनाज, कपड़े और भोजन दान करना चाहिए। साथ ही, श्रद्वा अनुसार ब्राह्मण परिवारों को अनाज, कपड़े, गाय और स्वर्ण-नाड़ी भेंट करनी चाहिए।

भगवान विष्णु से विवाह-

कुंडली में नाडी दोष वाले दंपति में, लड़की को शादी पहले भगवान विष्णु की मूर्ति से शादी करनी चाहिएं।