Rashtrapati ki shaktiyan | निर्वाचन | कार्यकाल | संपूर्ण जानकारी

WELLNESS FOREVER

हैलो दोस्तों, क्या आप Rashtrapati ki shaktiyan के बारे में जानतें है? यदि नही तो इस पोस्ट पर Rashtrapati ki shaktiyan के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है| तो Rashtrapati ki shaktiyan जानें  और अपना और अपने परिवार का ज्ञान वर्धन करें तथा दोस्तों से शेयर भी कीजिए|  

निर्वाचन प्रक्रिया – 

ऐसा कहा जाता है कि भारतीय राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचक मंडल का उल्लेख भारतीय के अनुच्छेद 54 में है।

  • ध्यान रहे कि राष्ट्रपति उम्मीदवार के निर्वाचन मंडल में 50 सदस्य प्रस्तावक के रूप में एवं 50 सदस्य अनुमोदक रूप में होना बहुत ही अनिवार्य होता है।
  • कहते हैं कि भारत के राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल के द्वारा ही होता है इसमें लोक सभा राज्य सभा एवं राज्यों के विधान सभाओं को केवल निर्वाचित सदस्य ही शामिल होते हैं।
  • दरअसल राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा ही समानुपातिक प्रणाली के आधार पर होता है। (अनुच्छेद 55 के अनुसार)
  • ध्यान देने वाली बात यह है कि राष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विवादों का निपटारा उच्चतम न्यायालय के द्वारा ही किया जाता है।

राष्ट्रपति की योग्यताएं – 

बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार कोई मनुष्य राष्ट्रपति होने योग्य तब होगा, जब वह –

  • भारत का नागरिक अवश्य हो.
  • वह 35 वर्ष की आयू को पूर्ण कर चुका हो.
  • लोकसभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने के भरपूर योग्य हो।
  • ध्यान रहे कि चुनाव के समय लाभ के पद पर न हो, परन्तु राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति राज्यपाल संघ एवं राज्य के मंत्री लाभ के पद पर नहीं माने जाते हैं अतः उन्हें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

कार्यकाल – 

  • ध्यान रहे कि राष्ट्रपति का कार्यकाल केवल 5 वर्षों का होता है परन्तु राष्ट्रपति अपने पद पर तब तक बना रहेगा जब तक कि उसका उत्तराधिकारी पद पूरी तरह से ग्रहण नहीं कर ले। 
  • यदि राष्ट्रपति का पद मृत्यु त्याग पत्र अथवा महाभियोग के द्वारा ही खाली हो जाए तो इस स्थिति में नए राष्ट्रपति का चुनाव केवल 5 वर्षों के लिए होता है. न कि शेष अवधि के लिए खाली पद पर चुनाव केवल 6 महीने के भीतर होना बहुत भी आवश्यक होता है।
  • बता दें कि राष्ट्रपति का पद मृत्यु त्याग पत्र अथवा पद से हटाए जाने के कारण रिक्त होता है तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में अपना काम निष्ठापूर्वक करता है। 
  • अगर उपराष्ट्रपति भी अनुपस्थित हो, तो संसद के द्वारा पारित राष्ट्रपति उत्तराधिकार अधिनियम, 1969 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति के रूप में अपना काम करता है। यदि मुख्य न्यायाधीश भी अनुपस्थित हो, तो सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश राष्ट्रपति के रूप में काम करेगा.

राष्ट्रपति की संवैधानिक स्थिति – 

  • बता दें कि राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक एवं देश का संविधान प्रधान होता है।  भारतीय संघ की कार्यपालिका की शक्ति राष्ट्रपति में निहित में ही होती है। जिसका इस्तेमाल वह स्वयं अथवा अपने अधीन अधिकारियों के माध्यम से ही करता है।
  • दरअसल राष्ट्रपति की संविधान की स्थिति की चर्चा करें तो अनुच्छेद 52 में राष्ट्रपति पद का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रपति का पद सर्वाधिक सम्मान, गरिमा एवं प्रतिष्ठा वाला पद होता है। राष्ट्रपति राष्ट्र का अध्यक्ष भी होता है।
  • बता दें कि भारत में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है क्योंकि मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदाई होती है अतः राष्ट्रपति नाम मात्र की कार्यपालिका है एवं प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यपालिका है।

सैलरी तथा भत्ते – 

  • बता दें कि राष्ट्रपति की सैलरी कम से कम 5 लाख रूपए प्रतिमाह होती है, राष्ट्रपति का वेतन पर कोई भी टैक्स बिल्कुल नहीं लगता है। इसके अतिरिक्त उन्हें नि:शुल्क आवास एवं संसद के द्वारा स्वीकृत अन्य भत्ते भी प्राप्त होते हैं। सेवानिवृत्ति के पश्चात राष्ट्रपति को केवल 9 लाख रुपए वार्षिक पेंशन भी प्राप्त होती है।
  • ध्यान देने वाली बात यह है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 59 के अनुसार, राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान सैलरी एवं भत्ते में किसी प्रकार की कमी बिल्कुल भी नहीं की जा सकती है।

राष्ट्रपति की शक्तियां –

बता दें कि भारतीय संविधान के तहत भारत के राष्ट्रपति को अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त हैं जैसे-

  • कार्यपालिका शक्तियां
  • विधायी शक्तियां
  • न्यायिक शक्तियां
  • सैन्य शक्तियां 
  • विवेकी शक्तियां
  • आपातकालीन शक्तियां
  • विटो शक्तियां