दारिद्रय दहन स्तोत्र | अर्थ | लाभ | PDF | MP3

शिव तांडव स्तोत्र | Meaning In Hindi | लाभ | Mantra Lyrics | PDF

WELLNESS FOREVER

Stotram meaning in hindi-

भक्ति के ९ भेदों में से एक जिसमे उपासक अपने देव का गुणगान करता है. वह पध वद्ध रचना जिसमे किसी देवता आराध्य आदि की स्तुति की गई हो.

स्त्रोत – स्तुति स्तुत्यात्मक श्लोकवद्ध ग्रंथ वंदना गुणकथन किसी देवी देवता की स्तुति में लिखे गये काव्य को स्र्तोत कहा जाता है. महा कवि कालिदास के अनुसार स्त्रोत कस्य तुष्टये विश्व में ऐसा कोई भी प्राणी नहीं है जो स्तुति से प्रसन्न न हो जाता हो. विभिन देवी देवताओं को प्रसन्न करने हेतु वेदों पुराणों तथा काव्यों में सर्वत्र सूक्त तथा स्त्रोत भरे पड़े है. अनेक भक्तों द्वारा अपने इष्ट देव की आराधना हेतु स्त्रोत रचे गए है. विभिन्न स्त्रोतों का संग्रह स्त्रोत रत्नावली के नाम से उपलब्ध है.

शिव तांडव स्त्रोत , महिम स्त्रोत ,श्री पंचाक्षर स्त्रोत ,श्री राम रक्षा स्त्रोत ,महिषा सुरमर्दिनि स्त्रोत ,मारुती स्त्रोत ,अगस्ति लक्ष्मी स्त्रोत ,सिद्ध मंगलम स्त्रोत ,द्वादश स्त्रोत ,विष्णु सहस्त्र नाम स्त्रोत ,लक्ष्मी सहस्त्र नाम स्त्रोत ,श्री गायत्री सहस्त्र नाम स्त्रोत आदि है.

Also Read – Shiv Mahimna Stotram (शिव महिमा स्त्रोत)

lord shiv tandav stotram benefits

शिव तांडव स्त्रोत के लाभ– भगवान शिव के वारे में एक बात प्रचलित है कि आप जिस भी प्रकार से भगवान शिव को सच्चे मन से याद करते हो तो आप की भक्ति से बेहद जल्दी प्रसन्न  जाते हैं . यदि आप किसी अप्रिय स्थिति में पड़े है तो शिव तांडव स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं. इस स्त्रोत में इतनी शक्ति है कि आप के सभी कष्ट भगवान शिव हर लेते हैं. शिव स्त्रोत का पाठ करने बाला कभी निर्धन नहीं रहता है उसकी आर्थिक स्थिति समस्याएं बेहद जल्दी संभल  जाती हैं जो लोग साधना करते हैं नृत्य ,चित्र कला ,योग ,समाज से जुड़े हैं उन्हें साधना में सिद्धि प्राप्त होती है. सनातन धर्म में यह भी लिखा है कि आप शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करते हैं तो किसी भी मनोकामना को पूर्ण होने में देर नहीं लगती है. इसके साथ ही महा लक्ष्मी हमेशा आप के साथ बनी रहती है. यदि आप पितृ दोष ,काल सर्प दोष ,से पीड़ित हैं ऐसे में आप को नियमित तौर पर शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना चाहिए यह एक मात्र ऐसा पाठ है जिसके द्वारा आप अपने कष्टों को दूर कर  सकते हैं.

Also Read – Stotra In Hindi (Stotram Lyrics,हिंदी अनुवाद)

कब और कैसे करे शिव तांडव स्त्रोत का पाठ –

सम्पूर्ण रूप से संस्कृत  में रचित शिव तांडव स्त्रोत (शिव तांडव स्त्रोत का पाठ) पढ़ना इतना आसान नहीं है. इसके शब्द और बोल बेहद कठिन हैं लेकिन आप भक्ति और सच्चे मन से इस स्त्रोत को आसानी से पढ़ सकते हैं अगर आप इसे गायन (शिव तांडव स्त्रोत का पाठ) के साथ पढ़ते हैं तभी इसका मनोवांछित फल आप को मिलता है क्योंकि  इसके उतार चढ़ाव में अदभुत बैलेंस है जिसको गाकर पढ़ने  में ही आनंद आता है.

रावण ने भी जब शिव तांडव स्त्रोत गाया था तो उसने अपने एक सिर को काटकर वीणा बनाया था उस वीणा को बजाते हुए जोर जोर से शिव तांडव स्त्रोत को गाया था.

Shiv Tandav Mantra Lyrics-

Also Read – Shiv Panchakshar Stotra (शिव पंचाक्षर स्तोत्र)

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले

गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्.

डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं

चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥१॥

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी

विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि.

धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके

किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम॥२॥

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर

स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे.

कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि

क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥३॥

जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा

कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे.

मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे

मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि॥४॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर

प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः.

भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक

श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा

निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम्.

सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं

महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः॥६॥

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल

द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके.

धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक

प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम॥७॥

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्

कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः.

निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः

कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः॥८॥

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा

वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम्.

स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं

गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे॥९॥

अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी

रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम्.

स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं

गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे॥१०॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस

द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट्.

धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल

ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः॥११॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्

गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः.

तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः

समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम॥१२॥

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्

विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन्.

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः

शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम्॥१३॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका

निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः.

तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं

परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः॥१४॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी

महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना.

विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः

शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्॥१५॥

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं

पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम्.

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं

विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम्॥१६॥

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं

यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे.

तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां

लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः॥१७॥

इति श्री रावण कृतं शिव तांडव स्त्रोत सम्पूर्ण.

Also Read – Lord Shiva 108 नाम Hindi | Shiv Meaning | Boys Names PDF

Shiv Tandav Stotram Meaning In Hindi-

|| अथ श्री शिव तांडव स्त्रोत्रम ||

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले

गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्.

डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं

चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥१॥

उनके बालों से बहने वाले  जल से उनका कंठ पवित्र है. उनके गले में सांप हार की तरह लटका है और डमरू से डमट डमट की मधुर ध्वनि हो रही है. भगवान शिव तांडव नृत्य कर रहे है वे सभी को सम्पनता प्रदान करे.

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी

विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि.

धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके

किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम॥२॥

मेरी शिव में गहरी श्रद्धा है जिनका सिर अलौकिक गंगा लहरों से सुशोभित है जो उनकी उलझी जटाओं की गहराइयों में उमड़  रही है जिनके मस्तक पर चमकदार अग्नि प्रज्वलित है जो अपने सिर पर अर्द्धचंद्र आभूषण पहने है.

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर

स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे.

कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि

क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥३॥

मेरा मन भगवान शिव में अपनी ख़ुशी खोजता है अद्भुत व्रह्मांड के सभी प्राणी जिसके मन में मौजूद हैं जिनकी अर्धांगनी पर्वतराज की पुत्री है जो अपनी करुणा दृष्टि से असाधारण आपदा को नियंत्रित करते हैं जो दिव्यलोक को अपने वस्त्र की तरह धारण करते हैं.

जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा

कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे.

मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे

मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि॥४॥

मुझे भगवान  शिव में अनोखा सुख मिले जो सभी जीवन के रक्षक हैं उनके रेंगते हुए साँप के फन का रंग लाल भूरा है और मणि चमक रही है. ये दिशाओं की देवियों के सुंदर चेहरों पर विभिन रंग विखेर रहा है जो विशाल मदमस्त हाथी की खाल से बने जगमगाते दुशाले से ढका है.

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर

प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः.

भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक

श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥

भगवान शिव हमें सम्पनता दें जिनका मुकुट चन्द्रमा है जिनके बाल लाल नाग के हार से बँधे हैं जिनका पायदान फूलों की धूल से गहरे रंग का हो गया है जो इंद्र विष्णु और अन्य देवताओं के सिर से गिरती है. 

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा

निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम्.

सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं

महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः॥६

शिव के बालों की उलझी जटाओं से हम सिद्धि प्राप्त करें  जिन्होंने कामदेव को अपने मस्तक की अग्नि ज्वाला से भस्म कर दिया था जो सारे देवताओं के आदरणीय हैं जो अर्धचंद्र से सुशोभित हैं.

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल

द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके.

धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक

प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम॥७॥

जिन्होनें  शक्ति शाली कामदेव को अग्नि में भस्म करदिया था तांडव की कदम ताल से धरती के वक्ष पर सुंदर रेखाएं  ऊभर आयी हैं  मेरी रूचि भगवान  शिव में है जिनके तीन नेत्र हैं  उनके डरावने मस्तक के तल पर धगद धगद ध्वनि से अग्नि जल रही है. 

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्

कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः.

निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः

कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः॥८॥

तांडव के धड़क से शिव की गर्दन अमावस्या की अर्द्ध रात्रि की तरह काली है. गंगा धारण करने वाले हाथी की खाल पहने वाले अर्ध चंद्र धारण करने वाले सारे संसार का भार उठाने वाले शिव हमें  सम्पनता प्रदान करें.

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा

वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम्.

स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं

गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे॥९॥

हलाहल विष उनके गले में नीले कमल के समान प्रतीत हो रहा है. करधनी की भाँति चमक रहा है जिसे उन्होंने अपनी शक्ति से रोक रखा है. जिन्होंने कामदेव और त्रिपुरा सुर का अंत किया जिन्होंने दक्ष अंधकासुर और गजासुर को विदीर्ण किया और यम को पराजित किया मै उस शिव की पूजा करता हूँ.

अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी

रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम्.

स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं

गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे॥१०॥

वे सभी सम्पनता के लिए कभी न कम होने वाले मंगल का भंडार है. वे सभी कलाओं के स्रोत हैं. कदम के फूलों से आने वाली  शहद की सुगंध के कारण मधु मखियाँ घूमती हैं जिन्होंने कामदेव और त्रिपुरा सुर का अंत किया जिन्होंने दक्ष अंधकासुर और गजासुर को विदीर्ण किया और यम को पराजित किया मैं उस शिव की पूजा करता हूँ.

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस

द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट्.

धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल

ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः॥११॥

उनकी भौहें आगे पीछे गति कर रही हैं जो तीनों लोकों पर उनके अस्तित्व को दर्शाती हैं. उनकी गर्दन पर फुँकार मारते हुए साँप लोट रहे हैं उनके मस्तक पर डरावनी तीसरी आँख यज्ञ की अग्नि की भाँति धड़क रही है मृदंगों से लगातार धिमिद धिमिद की ध्वनि हो रही है इस ध्वनि पर शिव तांडव कर रहे हैं.

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्

गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः.

तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः

समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम॥१२॥

मैं आराम दायक विस्तर और कठोर भूमि का स्पर्श में समानता कब देखूँगा. मैं मोतियों के हार और साँपो के हार को समरूप से कब देखूँगा मैं मित्र और शत्रु में एकरूपता कब देखूँगा मैं दृष्टि और आचरण की समानता से सदा शिव की पूजा करुँगा. 

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्

विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन्.

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः

शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम्॥१३॥

कब मैं मन के पाप युक्त स्वभाव से मुक्ति पाकर गंगा किनारे जंगलों में शिव की तपस्या में लीन रहूँगा ? कब मैं काम भावना से मुक्त होकर माथे तिलक लगाकर शिव पूजा करुँगा? कब मैं शिव मंत्रों का उच्चारण करते हुए सुखी होऊंगा ?

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-

निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः.

तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं

परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः॥१४॥

देवांगनाओं के सिर में गुथे कदम के फूलों की मालाओं  सुगंधित पराग से मनोहर शोभा धाम महादेव के अंगों की सुंदरता आनंद युक्त हमारे मन की प्रसन्ता को सदा वढ़ाती रहे.

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी

महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना.

विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः

शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्॥१५॥

समुद्र की अग्नि की भाँती पापों को भस्म करने में स्त्री स्वरूपी अणिमादिक अष्ट महासिद्धियों और चंचल नैनों वाली  देव कन्याओं से शिव विवाह समय में गान की गई मंगल ध्वनि सब मंत्रों में श्रेष्ठ शिव मंत्र से परिपूर्ण हो कर हम सांसारिक दुखों पर विजय पाएं.

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं

पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम्.

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं

विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम्॥१६॥

पवित्र  मन से शिव का चिंतन करके इस महान से भी महानतम स्त्रोत का जो भी अखंड पाठ करता  है. शिव उसकी ओर  गति करते हैं उसे शिव की भक्ति प्राप्त  होती है इस भक्ति को पाने का कोई दूसरा मार्ग नहीं है शिव चिंतन से व्यक्ति का मोह नष्ट हो जाता है.

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं

यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे.

तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां

लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः॥१७॥

शिव की पूजा की समाप्ति के समय प्रदोष काल में रावण के इस स्त्रोत का पाठ करते हैं वे हाथी घोड़ों के रथ पर चलते हैं उन पर देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. श्री शिव उन पर वरदान बनाये  रहते हैं.

इति श्री रावण कृतं शिव तांडव स्त्रोत सम्पूर्ण.

Also Read – Shri Shiv Chalisa In Hindi – Benefits & Lyrics