Vyanjan kya hai in Hindi | 3 प्रकार | संपूर्ण जानकारी

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Vyanjan kya hai in Hindi की जानकारी के लिए इस पोस्ट पर बने रहें| hellozindgi.com पे Vyanjan kya hai in Hindi की इतनी जानकारी है कि आप पढ़ते पढ़ते थक जाएंगे पर हम ऑप्शन्स देते देते नही। 

व्यंजन क्या है – 

दरअसल आम भाषा में क से ज्ञ तक के वर्णों को व्यंजन ही कहते हैं। जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी दूसरे वर्णों के साथ नहीं हो सकता उन्हें व्यंजन ही कहते हैं। मतलब स्वर की मदद से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन ही कहलाते हैं। वैसे तो व्यंजनों की संख्या केवल 33 ही होती है। परन्तु 2 द्विगुण व्यंजन एवं 4 संयुक्त व्यंजन मिलाने के पश्चात व्यंजनों की संख्या केवल 39 हो जाती है।

व्यंजन के कितने भेद होते हैं – 

दरअसल मुख्य रूप से व्यंजन केवल 3 प्रकार के ही होते हैं-

  • स्पर्शी व्यंजन
  • अन्तःस्थ व्यंजन
  • उष्म / संघर्षी व्यंजन

बता दें कि इनके अलावा भी व्यंजन दो प्रकार के और भी होते हैं।

  • द्विगुण / उत्क्षिप्त व्यंजन
  • सयुक्त व्यंजन

इन सबके बारे में इस प्रकार से दिया गया है –

स्पर्शी व्यंजन – 

बता दें कि जिन वर्णों के उच्चारण में मुख किसी विशेष स्थान जैसे- (कंठ, तालु, मूर्धा, दांत और होठ) आदि से स्पर्श हो जाता है तो उसे स्पर्शी व्यंजन ही कहते हैं। यह क से म तक होते हैं, इनकी संख्या केवल 25 ही होती है, जिन्हें 5 वर्गों में बाटा गया है।

  • क वर्ग- क ख ग घ ङ (कंठ)
  • च वर्ग- च छ ज झ ञ  (तालु)
  • ट वर्ग- ट ठ ड ढ ण   (मूर्धा)
  • त वर्ग- त थ द ध न    (दांत)
  • प वर्ग- प फ ब भ म    (होठ)

ध्यान देने वाली बात यह है कि इनका उच्चारण क्रमशः कन्ठ, तालु,  मूर्द्धा, दंत्य, ओष्ठ इत्यादि के जीभ के अग्र भाग के स्पर्श से ही होता है।

अन्तःस्थ व्यंजन – 

यह भी जान लें कि जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों एवं व्यंजनों के मध्य स्थित हो तो उसे अन्तःस्थ व्यंजन ही कहते हैं। यह केवल 4 ही होते हैं। जैसे – य र ल व

बता दें कि इन चार वर्णों में से य एवं व को अर्ध स्वर या संघर्ष हीन वर्ण के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह स्वरों की भांति उच्चरित अवश्य किए जाते हैं ।

उष्म व्यंजन – 

कहा जाता है कि जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु मुख में किसी स्थान पर घर्षण खा कर ऊष्मा पैदा करती है, तो उसे उष्म व्यंजन ही कहते हैं। यह भी 4 प्रकार के ही होते हैं जैसे – श, ष, स, ह

द्विगुण व्यंजन – 

दरअसल जिनके उच्चारण में जीभ ऊपर उठकर मूर्धा को स्पर्श करके तुरंत नीचे के ओर आ जाए, तब उसे द्विगुण व्यंजन कहते हैं। यह केवल दो ही होते हैं जैसे -ड़ एवं ढ

सयुक्त व्यंजन – 

बता दें कि दो व्यंजनों से मिलकर बने व्यंजन को संयुक्त व्यंजन ही कहते हैं। इनकी संख्या केवल 4 ही होती है। जैसे – क्ष, त्र, ज्ञ, श्र

निष्कर्ष – 

मैं आपसे यह आशा करता हूँ कि आपको हमारे द्वारा दी सारी जानकारी अवश्य पसंद आई होगी अतः आपसे निवेदन है कि अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से जुड़े रहें. ताकि आपको ओर भी बढ़िया से बढ़िया जानकारी आप तक पहुँच सके.