Ram Chalisa Lyrics In Hindi को पढ़ कर आप भी भगवान राम का गुणगान कर सकते हैं। अगर आप किसी भी प्रकार की मुसीबत से बचना चाहते हैं तो आपको Maruti Stotra Lyrics का पाठ भी नियमित रूप से करना होगा.
Ram Chalisa Lyrics In Hindi
श्री रघुवीर भक्त हितकारी |
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ||
निशदिन ध्यान धरै जो कोई |
ता सम भक्त और नहिं होई ||
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं |
ब्रह्म इंद्र पार नहिं पाहीं ||
दूत तुम्हार वीर हनुमाना |
जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना ||
तब भुज दंड प्रचंड कृपाला |
रावण मारि सुरन प्रतिपाला ||
तुम अनाथ के नाथ गुसाई |
दीनन के हो सदा सहाई ||
ब्रह्मादिक तव पारन पावैं |
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ||
चारिउ भेद भरत है साखी |
तुम भक्तन की लज्जा राखीं ||
गुण गावत शारद मन माहीं |
सुरपति ताको पार न पाहीं ||
नाम तुम्हार लेत जो कोई |
ता सम धन्य और नहिं होई ||
राम नाम है अपरम्पारा |
चारिहु वेदन जाहि पुकारा ||
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो |
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो ||
शेष रटत नित नाम तुम्हारा |
मही को भार शीश पर धारा ||
फूल समान रहत सो भारा |
पाव न कोऊ तुम्हरो पारा ||
भरत नाम तुम्हरो उर धारो |
तासों कबहुं न रण में हारो ||
नाम शक्षुहन ह्रदय प्रकाशा |
सुमिरत होत शत्रु कर नासा ||
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी |
सदा करत सन्तन रखवारी ||
ताते रण जीते नहिं कोई |
युद्ध जुरे यमहूँ किन होई ||
महालक्ष्मी धर अवतारा |
सब विधि करत पाप को छारा ||
सीता राम पुनीता गायो |
भुवनेस्वरी प्रभाव दिखायो ||
घट सों प्रकट भई सों आई |
जाको देखत चन्द्र लजाई ||
सों तुमरे नित पाव पलोटत |
नवो निद्धि चरणन में लोटत ||
सिद्धि अठारह मंगलकारी |
सो तुम पर जावै बलिहारी ||
औरहु जो अनेक प्रभुताई |
सों सीतापति तुमहिं बनाई ||
इच्छा ते कोटिन संसारा |
रचत न लागत पल की बारा ||
जो तुम्हें चरणन चित लावै |
ताकि मुक्ति अवसि हो जावै ||
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा |
नर्गुण ब्रह्म अखंड अनूपा ||
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी |
सत्य सनातन अन्तर्यामी ||
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै |
सों निश्चय चारो फल पावै ||
सत्य शपथ गौरीपति कीन्ही |
तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्ही ||
सुनहु राम तुम तात हमारे |
तुम्ही भरत कुल पूज्य प्रचारे ||
तुमहिं देव कुल देव हमारे |
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे ||
जो कछु हो सों तुम ही राजा |
जय जय जय प्रभु राखो लाजा ||
राम आत्मा पोषण हारे |
जय जय दशरथ राज दुलारे ||
ज्ञान ह्रदय दो ज्ञान स्वरूपा |
नमो नमो जय जगपति भूपा ||
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा |
नाम तुम्हार हरत संतापा ||
सत्य शुद्ध देवन मुख गाया |
बजी दुंदभी शंख बजाया ||
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन |
तुम ही हो हमरे तन मन धन ||
याको पाठ करे जो कोई |
ज्ञान प्रकट ताके उर कोई ||
आवागमन मिटे तिहि केरा |
सत्य वचन माने शिर मेरा ||
और आस मन में जो होई |
मनवांछित फल पावे सोई ||
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै |
तुलसी दल अरु फूल चड़ावै ||
साग पत्र सों भोग लगावै |
सों नर सकल सिद्धता पावै ||
अंत समय रघुबरपुर जाई |
जहाँ जन्म हरी भक्त कहाई ||
श्री हरिदास कहै अरु गावै |
सों बैकुंठ धाम को पावै ||
दोहा
सात दिवस जो नेम कर ,
पाठ करे चित लाय |
हरिदास हरी कृपा से ,
अवसि भक्ति को पाय ||
राम चालीसा जो पढ़े ,
राम चरण चित लाय |
जो इच्छा मन में करै ,
सकल सिद्ध हो जाय ||
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