जरूर जाने के बिस्तर पर बैठ कर खाना क्यों नहीं खाना चाहिए

Bistar pe khana |बिस्तर पर बैठ कर खाना क्यों नहीं खाना चाहिए

Vastu Tips for Home in Hindi

Bistar pe khana आइए आपको बताते हैं वास्तु के अनुसार भोजन करते समय कौन सी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है वास्तु शास्त्र के अनुसार। कौन सी दिशा में मुंह करके खाना खाना चाहिएं।

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Bistar pe baith ke khana

वास्तुशास्त्र में घर के लिए बताए गए उपाय

नमस्कार आपका स्वागत हैं, वास्तुशास्त्र में घर के अंदर सकारात्मकता बनाए रखने के लिए और सुख समृद्धि लाने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय बताए गए हैं साथी ही कुछ ऐसे कार्यों का वर्णन किया गया है जिन्हें करना अनुचित माना गया है आधुनिक जीवन शैली में हमारे जीवन में कई तरह के बदलाव आए हैं।

जमीन पर बैठकर खाना खाने से शरीर और पृथ्वी की ऊर्जा का मिलन

इसी कारण कई लोग अपनी संस्कृति को भूलते जा रहें हैं जिसका असर उनके जीवन पर पड़ रहा है जहां प्राचीन काल में लोग समर्द्ध और अधिक समय तक जीवित रहते थे वह आजकल मनुष्य की आयु कम होती जा रही हैं। पहले लोग जमीन पर बैठकर खाना खाते थे जिस कारण उनके शरीर की और पृथ्वी की उर्जा का मिलन होता था और वे स्वस्थ और बलशाली होते थे आजकल देखा गया है कि लोगों में कमजोरी आना आम सी बात हो गई है।

प्राचीन ग्रंथों में खाना खाते समय के नियम

प्राचीन ग्रंथों में खाना खाते समय कुछ नियम बताए गए हैं जो हमें ध्यान में रखने चाहिए और यह नियम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सही साबित हुए हैं जो प्राचीन ऋषि-मुनियों ने हजारों साल पहले बताया था वह विज्ञान आज हमें बता रहा है साथी ही ज्योतिष के अनुसार खाना खाने की आदतों से हमारे ग्रहों पर भी असर पड़ता है।

वास्तु के अनुसार भोजन करते समय कौन सी बातों का ध्यान रखें

भोजन कक्ष वास्तु शास्त्र के अनुसार किस स्थान पर बनवाना चाहिए

वास्तु के अनुसार भोजन कक्ष को बृहस्पति ग्रह का प्रतीक माना गया है। प्राचीन काल में राजा महाराजाओं की भोजन कक्ष भी इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर ही बनाए जाते थे भोजन कक्ष को स्नान ग्रह तथा शौचालय के ऊपर अथवा नीचे कभी नहीं बनाना चाहिए, भोजन कक्ष शौचालय के ठीक सामने कभी ना बनाएं या तक स्नान ग्रह या शौचालय की दीवार एवं भोजन कक्ष की दीवार कभी एक नहीं होनी चाहिए। यह भी महत्वपूर्ण है कि भोजन कक्ष का दरवाजा कभी भी शौचालय के दरवाजे के ठीक सामने स्थापित नहीं करना चाहिए।

किस दिशा में मुख करके भोजन करना चाहिएं

पूर्व अथवा उत्तर दिशा

 खाना खाते समय भी दिशाओं का ध्यान रखना आवश्यक है पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करना सर्वोत्तम माना गया हैं। यह सर्वोत्तम दिशा मानी गई है। इससे मनुष्य का स्वास्थ्य ठीक रहता है और देवी देवताओं की कृपा बनी रहती है साथ ही मनुष्य को यश की प्राप्ति होती है। 

दक्षिण और पश्चिम दिशा

दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है परंतु जिन लोगों के माता-पिता जीवित है और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन नहीं करना चाहिए। बल्कि उन्हें पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन करना चाहिएं वास्तु के अनुसार नेत्रत्व कोण अर्थात दक्षिण और पश्चिम दिशा के मध्य की दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से पाचन शक्ति कमजोर होती हैं तथा पेट की बीमारियां भी हो सकतीं हैं।

भोजन करने से पहले करें ये काम

हाथ पैर और मुंह को अच्छी तरीके से धो ले

भोजन शुरू करने से पहले हाथ, पैर और मुंह धो लेना चाहिए। इससे आयु में वृद्धि होती है गीले पैरों के साथ भोजन करना शुभकारी होता है। जल पंचतत्व में से एक हैं।

जमीन पर बैठकर भोजन करें

 जमीन पर बैठकर भोजन करने से पृथ्वी और जल तत्व का मिलन होता हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम माना गया हैं। इसे सिर में ऊर्जा का प्रवाह अच्छे तरीके से होता है साथ ही मन को शांत रखता है और क्रोध का नाश करता हैं।

दक्षिण पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन बिल्कुल ना करें

अग्नि कोण की दिशा अर्थात दक्षिण पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से यौन संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा स्वप्नदोष भी होता है।

टांगे हिलाते हुए भोजन ना करें

शास्त्र के मुताबिक पालथी मारकर भोजन करना सर्वोत्तम माना जाता हैं। कुर्सी पर बैठकर टांगें हिलाते हुए भोजन नहीं करना चाहिएं। ऐसा करना अशुभ होता हैं।

पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन करें

 जिन लोगों को पैसों की तंगी होती हैं तथा धन कमाने की चिंता है उन्हें पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन करना चाहिए इस दिशा में भोजन करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति ठीक हो सकती हैं।

ध्यान रहे टूटे – फूटे अथवा गंदे बर्तनों में भोजन नहीं करना चाहिएं

 ऐसा करना दुर्भाग्य को आमंत्रण देने के बराबर हैं। अगर रसोई घर में टूटे-फूटे बर्तन हैं तो उसे तुरंत अलग करें।

भगवान को प्लास्टिक अथवा कांच के बर्तन में प्रसाद ना चढ़ाएं

 साथ ही भगवान को प्लास्टिक अथवा कांच के बर्तन में प्रसाद न चढ़ाएं, इसके लिए तांबा पीतल चांदी के बर्तन का इस्तेमाल करें। 

बेड पर बैठकर भोजन ना खाएं

भोजन कभी भी अपने बेड पर बैठकर ना खाएं, इससे अन्न का अपमान होता हैं और राहू प्रसन्न होते हैं। साथ ही बिस्तर रुई से बनी होती है और रुई हमारे शरीर की ऊर्जा को निकलने नहीं देती खाना खाते समय हमारे लिवर की गर्मी निकलती हैं। बिस्तर पर बैठने से यह गर्मी शरीर में रुक जाती हैं जमीन तक नहीं पहुंच पाती इससे हमारा पाचन तंत्र खराब हो जाता हैं जमीन पर बैठकर खाना खाने से हमारे शरीर का तापमान सही रहता हैं।

भोजन करने के बाद थाली में हाथ नहीं धोने चाहिए

भोजन करने के बाद कुछ लोग थाली में ही अपना हाथ धोते हैं ऐसा करना मां अन्नपूर्णा का अपमान माना जाता हैं और चंद्र और शुक्र ग्रह को अप्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे घर से वर्क्कत चली जाती हैं। थाली में झूठन छोड़ना अन्न का अपमान माना गया हैं इससे मां अन्नपूर्णा का श्राप लगता है इसलिए जितना आवश्यक हो उतना ही भोजन लेना चाहिए भोजन करने से पहले या भोजन करने के बाद लघु शंका करनी चाहिएं।

तो दोस्तों यह थी वो महत्त्वपूर्ण बातें जो भोजन करते समय हमें ध्यान में रखनी चाहिएं।