Shri Durga Chalisa (दुर्गाचालीसा) ke Bare mein – देवी संहिता के अनुसार maa ambe दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ रोगों से करता है रक्षा, shri durga chalisa (दुर्गाचालीसा) ka पाठ करते समय एक गाय के घी का दीपक जलाकर रखें। हिंदू धर्म में दुर्गाजी को आदिशक्ति माना गया है और दुर्गा मां की उपासना करने से मनुष्य के सबी पाप भी धुल जाते हैं। उनकी अराधना करने से भक्त के सभी कार्य सिद्ध भी हो जाते हैं। maa ambe दुर्गा जी की साधना के लिये श्रीदुर्गाचालीसा करना बेहद ही प्रभावशाली भी माना जाता है। श्री दुर्गाचालीसा को खासकर नवरात्री के समय पढ़ने से ज्यादा लाभ मिलता है । We are providing durga chalisa lyrics.
Durga Chalisa lyrics in hindi
दुर्गाचालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी | नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ||
निरंकार है ज्योति तुम्हारी | तिहूँ लोक फैली उजयारी ||
शशि ललाट मुख महाविशाला | नेत्र लाल भ्रकुटी विकराला ||
रूप मातु को अधिक सुहावे | दरश करत जन अति सुख पावै ||
तुम संसार शक्तिमय कीन्हा | पालन हेतु अन्न धन दीन्हा ||
अन्नपूरना हुई जगपाला | तुमहीआदि सुन्दरी वाला ||
प्रलय काल सब नाशनहारी | तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ||
शिव योगी तुम्हरे गुणगावे | ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावे ||
रूप सरस्वती का तुम धारा | दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ||
धरयो रूप नरसिहं को अम्बा | प्रगट भई फाड़कर खम्बा ||
रक्षा करि प्रहलाद बचायो | हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ||
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं | श्रीनारायण अंग समाही ||
क्षीर सिन्धु में करत विलासा | दया सिंधु दीजे मन आशा ||
हिंग लाज में तुम्हीं भवानी | महिमा तब न जाये बखानी ||
मातंगी धूमावती माता | भुवनेश्वरी बगला सुखदाता ||
श्रीभैरव तारा जगतारिणी | छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ||
केहरि वाहन सोह भवानी“ | लांगुर वीर चलत अगवानी ||
कर में खप्पर खडग विराजे | जाको देख काल डर भाजे ||
सोहे अस्त्र और त्रिशूला | जाते उठत शत्रु हिय शूला ||
नगर कोटि में तुम्हीं विराजत | तिहूं लोक में डंका बाजत ||
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे | रक्तबीज शंखन संहारे ||
महिषा सुर नृप अति अभिमानी | जेहि अधभार मही अकुलानी ||
रूप कराल काली को धारा | सेन सहित तुम तिहीं संहारा ||
परी भीर सन्तन पर जब जब | भई सहाय मातु तुम तब तब ||
अमरपुरी अरुबा सव लोका | तब महिमा सब कहें अशोका ||
प्रेम भक्ति से जो यश गावे | दुःख दरिद्र निकट नहीं आवे ||
ध्यावें तुम्हें जो नर मन लाई | जन्म मरण से सो छुट जाई ||
जोगी सुरनर कहत पुकारी | योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ||
शंकर ने आचरज तप कीनो | काम क्रोध जीती सब लीनों ||
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को | कहू काल नहीं सुमिरो तुमको ||
शक्ति रूप को मरम ना पायो | शक्ति गयी तब मन पछितायो ||
शरणागत हुई कीर्ति बखानी | जय जय जय जगदम्ब भवानी ||
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा | दई शक्ति नहीं कीन विलम्बा ||
मोको मातु कष्ट अति घेरो | तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ||
आशा तृष्णा निपट सतावे | रिपु मुरख मोहिं अति डर पावे ||
शत्रु नाश की जे महारानी | सुमिरों इक चित तुम्हें भवानी ||
जब लगि जियो दया फल पाऊं | तुम्हरो जस मैं सदा सुनाऊँ ||
दुर्गा चालीसा जो कोई गावे | सब सुख भोग परम पद पावे ||
देवी दास शरण निज जानी | करहु कृपा जगदम्ब भवानी ||
इति श्री दुर्गा चालीसा ॐ तत्सत