हिंदू धर्म में माता सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा गया है। सरस्वती जी को श्वेत वर्ण अत्यधिक प्रिय होता है। श्वेत वर्ण सादगी का परिचायक होता है। माता सरस्वती जी को वाग्देवी के नाम से भी जाना जाता है हिन्दू धर्म के अनुसार श्री कृष्ण जी ने सर्वप्रथम सरस्वती जी की आराधना की थी।
ऐसा कहा जाता है कि सरस्वती जी की पूजा साधना में Saraswati चालीसा का विशेष महत्त्व है। We are providing Saraswati chalisa lyrics.
सरस्वती चालीसा ( maa saraswati chalisa in hindi)
जनक जननी पद्धराज ,
निज मस्तक पर धरि |
बंदौ मातु सरस्वती ,
बुद्धि बल दे दातारि ||
पूर्ण जगत में व्याप्त तव ,
महिमा अमित अनंतु |
दुष्टजनो के पाप को ,
मातु तु ही अब हन्तु ||
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी |
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी ||
जय जय जय वीणाकर धारी |
करती सदा सुहंस सवारी ||
रूप चतुर्भुज धारी माता |
सकल विश्व अंदर विख्याता ||
जग में पाप बुद्धि जब होती |
तब ही धर्म की फीकी ज्योति ||
तब ही मातु का निज अवतारी |
पाप हीन करती महतारी ||
वाल्मीकि जी थे हत्यारा |
तव प्रसाद जानै संसारा ||
रामचरित जो रचे बनाई |
आदि कवि की पदवी पाई ||
कालिदास जो भये विख्याता |
तेरी कृपा द्रष्टि से माता ||
तुलसी सूर आदि विदवाना |
भये और जो ज्ञानी नाना ||
तिन्ह न और रहेऊ अवलम्बा |
केवल कृपा आपकी अम्बा ||
करहु कृपा सोई मातु भवानी |
दुखित दीन निज दासहि जानी ||
पुत्र करहीं अपराध बहूता |
तेहिं न धरई चित माता ||
राखू लाज जननी अब मेरी |
विनय करऊँ भांति बहु तेरी ||
मै अनाथ तेरी अवलम्बा |
कृपा करूउ जय जय जगदम्बा ||
मधु – कैटभ जो अति बलबाना |
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना ||
समर हजार पांच में घोरा |
फिर भी मुख उनसे नही मोरा ||
मातु सहाय कीन्ह तेहि काला |
बुद्धि विपरीत भई खलहाला ||
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी |
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी ||
चंद मुंड जो थे विख्याता |
क्षण महु सँहारे उन माता ||
रक्त बीज से समरथ पापी |
सुर मुनि ह्रदय धरा सब कांपी ||
काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा |
बार – बार बिन वऊँ जगदम्बा ||
जगप्रसिद्ध जो शम्भु – निशुम्भा |
क्षण में बांधे ताहि तू अम्बा ||
भरत – मातु बुद्धि फेरेउ जाई |
रामचंद्र बनवास कराई ||
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा |
सुर नरमुनी सबको सुख दीन्हा ||
को समरथ तव यश गुण गाना |
निगम अनादि अनंत बखाना ||
विष्णु रूद्र जस कहिन मारी |
जिनकी हो तुम रक्षाकारी ||
रक्त दंतिका और शताक्षी |
नाम अपार है दानव भक्षी ||
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा |
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा ||
दुर्ग आदि हरनी तू माता |
कृपा करहु जब जब सुखदाता ||
नृप कोपित को मारन चाहे |
कानन में घेरे मृग नाहे ||
सागर मध्य पोत के भंजे |
अति तूफान नहिं कोऊ संगे ||
भूत प्रेत बाधा या दुःख में |
हो दरिद्र अथवा संकट में ||
नाम जपे मंगल सब होई |
संशय इसमें करई न कोई ||
पुत्रहीन जो आतुर भाई |
सबै छांडी पूजें एहि भाई ||
करे पाठ नित यह चालीसा ||
होए पुत्र सुंदर गुण ईशा |
धूपादिक नैवेध चड़ावे |
संकट रहित अवश्य हो जावे ||
भक्ति मातु की करै हमेशा |
निकट ना आवै ताहि कलेशा ||
बंदी पाठ करें सत वारा |
बंदी पाश दूर हो सारा ||
रामसागर बांधी हेतु भवानी |
कीजै कृपा दास निज जानी ||
दोहा
मातु सूर्य कांति तव, अंधकार मम रूप |
डूबन से रक्षा करहु परुं न मैं भव कूप ||
बलबुधि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु |
राम सागर अधम को आश्रय तु ही देदातु ||
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MAA SARASWATI CHALISA LYRICS
Saraswati Chalisa Benefits
माता सरस्वती बुद्धि, विद्या, कला, संगीत, स्मरण शक्ति और अन्य कोमल कौशलों की अधिष्ठात्री हैं। माँ सरस्वती की पूजा करने से हम मानसिक दबाव से राहत पाते हैं और हमारी एकाग्रता, स्मरण शक्ति, ध्यान और जटिल चीजों को समझने की हमारी क्षमता में सुधार होता है।महान स्मृति शक्ति प्राप्त करने और किसी भी कला रूप में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए।भाषण, ज्ञान और सीखने की शक्ति प्राप्त करें।