विंध्येश्वरी देवी हिंदुओं में बहुत प्रसिद्ध देवी हैं। बेहतर स्वास्थ्य और धन के लिए लोगों द्वारा देवी की पूजा की जाती है। देवी का प्रसिद्ध मंदिर विंध्याचल पर्वत श्रृंखला पर स्थित है इसलिए देवी का नाम विंध्येश्वरी है। We are providing Vindheshwari Chalisa Lyrics.
Vindheshwari Chalisa Lyrics
दोहा
नमो नमो विन्धेश्वरी नमो नमो जगदम्ब |
संतजनों के काज में माँ करती नहीं विलम्ब ||
जय जय जय विन्ध्याचल रानी |
आदि शक्ति जग विदित भवानी ||
सिंहवाहिनी जै जग माता |
जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता ||
कष्ट निवारिनी जय जग देवी |
जय जय संत असुर सुरसेवी ||
महिमा अमित अपार तुम्हारी |
सेष सहस मुख वरनत हारी ||
दीनन के दुःख हरत भवानी |
नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी ||
सब कर मनसा पुरवत माता |
महिमा अमित जगत विख्याता ||
जो जन ध्यान तुम्हारो लावै |
सो तुरतहिं वांछित फल पावै ||
तु ही वैष्णवी तु ही रुद्रानी |
तु ही शारदा अरु ब्रह्मानी ||
रमा राधिका स्यामा काली |
तु ही मात सन्तन प्रतिपाली ||
उमा माधवी चंडी ज्वाला |
बेगि मोहि पर होहु दयाला ||
तुम ही हिंगलाज महारानी |
तुम ही शीतला अरु विज्ञानी ||
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता |
तुम ही लक्ष्मी जग सुखदाता ||
तुम ही जानवी अरु उत्रानी |
हेमावती अम्बे निर्वानी ||
अष्टभुजी वराहिनी देवा |
करत विष्णु शिव जाकर सेवा ||
चौसठी देवी कल्यानी |
गौरी मंगला सब गुण खानी ||
पाटन मुम्बा दंत कुमारी |
भद्रकाली सुन विनय हमारी ||
वज्र धारिणी सोक नासिनी |
आयु रक्षिणी विन्ध्य्वाशिनी ||
जया और विजया बैताली |
मातु संकटी अरु विकराली ||
नाम अनंत तुम्हार भवानी |
बरनै किमि मानुष अज्ञानी ||
जा पर कृपा मातु तव होई |
तो वह करै चहै मन जोई ||
कृपा करहु मो पर महारानी |
सिद्धि करिय अम्बे मम वानी ||
जो नर धरै मातु कर ध्याना |
ताकर सदा होय कल्याना ||
विपत्ति ताहि सपनेहु नहिं आवै |
जो देवी कर जाप करावै ||
जो नर कहं ऋण होय अपारा |
सो नर पाठ करै शत बारा ||
निश्चय ऋण मोचन होई जाई |
जो नर पाठ करै मन लाई ||
अस्तुति जो नर पढ़े पढ़ावै |
या जग में सों बहु सुख पावै ||
जाको व्याधि सतावै भाई |
जाप करत सब दूरि पराई ||
जो नर अति बंदी महं होई |
बार हजार पाठ कर सोई ||
निश्चय बंदी ते छुट जाई |
सत्य वचन मम मानहु भाई ||
जा पर जो कुछ संकट होई |
निश्चय देविहिं सुमिरै सोई ||
जो नर पुत्र होय नहिं भाई |
सों नर या विधि करै उपाई ||
पांच वर्ष सो पाठ करावै |
नौरात्र में विप्र जिमावै ||
निश्चय होहि प्रसन्न भवानी |
पुत्र देहि ताकहं गुण खानी ||
ध्वजा नारियल आन चढ़ावै |
विधि समेत पूजन करवावै ||
नित प्रति पाठ करै मन लाई |
प्रेम सहित नहिं आन उपाई ||
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा |
रंक पढ्त होवै अवनीसा ||
यह जनि अचरच मानहु भाई |
कृपा द्रष्टि जापर होई जाई ||
जय जय जय जगमातु भवानी |
कृपा करहु मोहि पर जन जानी ||