STD Full Form | STD क्या है | महिलाओं को है STD का अधिक खतरा

Full Form in Hindi

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एसटीडी का फुल फॉर्म (STD Ka Full Form) –

बता दें कि STD का फुल फॉर्म “Sexually Transmitted Diseases” होता हैं जिसे हम अपनी हिंदी भाषा मे ‘सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीसेस’ के नाम से पुकारते हैं।

  • S Sexually 
  • T Transmitted 
  • D Diseases 

ध्यान रहे कि STD एक यौन संचरित रोग का संक्रमण होता है जो योनि सम्भोग, गुदा एवं मौखिक सेक्स के द्वारा ही फैलता है।

एसटीडी क्या है –

कहा जाता है कि एसटीडी यौन संचरित रोग का एक संक्रमण होता है जो खासतौर पर योनि संभोग, गुदा तथा मौखिक सेक्स के द्वारा ही फैलता हैं, STD को STI संक्रमण के रूप में भी जाना जाता हैं। यह एक बहुत ही खतरनाक बीमारी होती है। 

एसटीडी एक ऐसा संक्रमण होता है जो कि किसी भी प्रकार के यौन के संपर्क में आने से एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य अंदर फैल जाता है। STD को कभी कभी STI से भी संदर्भित किया जाता हैं क्योंकि यौन गतिविधि के दौरान ये किसी एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में भी बीमारी पैदा करने वाले जीव के संचरण को भी शामिल करते हैं।

दरअसल यह संक्रमण (STD) हजारों वर्षों से हैं परन्तु इसी तरह के कुछ और खतरनाक रोग AIDS या HIV भी हैं जिसे सन 1984 के पश्चात से मान्यता दी गयी है।

STD के लक्षण क्या होते हैं – 

बता दें कि सभी को STD बीमारियों में लक्षण दिखाई नहीं देते इसलिए उपचार कभी-कभी देरी से हो पाता है। परन्तु कुछ लक्षणों से यह पता अवश्य लगाया जा सकता है जैसे भूख न लगना, उल्टी आना, मूत्र आंखों एवं त्वचा के पीले रंग से लक्षणों का पता लग जाता है। जननांगों पर छोटे छोटे लाल दाने निकल आते हैं जांघों, उंगलियों पर भी दाने निकल आते हैं।

असामान्य योनिस्त्राव होता है सफेद पानी की समस्या अधिक बढ़ जाती है। पेशाब के दौरान जलन का अनुभव होना, लगातार पेशाब होना यह लिंग एवं योनि के आसपास दर्द होना एवं बदबू आना। यदि उपरोक्त में से कोई भी लक्षण आपको दिखाई देते हैं तो ऐसे में डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए क्योंकि यह सारे STD के लक्षण ही हो सकते हैं।

सावधानियां – 

दरअसल उपचार के दौरान एवं उपचार के पश्चात भी मरीजों को बहुत विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि यह कोई साधारण बीमारी नहीं है। रोगियों को अपनी दवा का कोर्स अवश्य पूर्ण करना चाहिए एवं जब तक डॉक्टर कहें तब तक इसको जारी अवश्य रखना चाहिए। यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि मरीजों के ऊपर दबा का असर हो भी रहा है या नहीं। अगर सेक्स की आवश्यकता है तो योन भागीदारों को भी परीक्षण कराया जाना चाहिए तथा सुरक्षित यौन संबंध ही बने।

महिलाओं को है STD का सबसे अधिक खतरा – 

बता दें कि अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार यह बात सामने आयी है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को STD का खतरा बहुत अधिक बना हुआ है। महिलाएँ इससे अधिक प्रभावित हो रही हैं। महिलाओं के गुप्तांग अधिक नाजुक एवं पतले होते हैं जिस कारण से बैक्टीरिया एवं वायरस का उनके अंदर बहुत ही सरलता से जाना संभव हो जाता है एवं यही कारण होता है कि उनमें STD जैसे रोग बहुत ही जल्दी पनपने लगते हैं तथा उन्हें प्रभावित भी करते हैं।

यदि सम्भोग के समय सावधानी बरती जाये तो इस प्रकार के रोगों से अवश्य बचा जा सकता है। जी हाँ सावधानी कई प्रकार से बरती जा सकती है जैसे:

  • ओरल सेक्स बिल्कुल भी न करें। यदि आपका पार्टनर आपके मन करने के पश्चात भी ओरल सेक्स करना चाहता है तो गुप्तांगों को अच्छी तरह से धो लें।
  • कंडोम का सदैव इस्तेमाल करें।
  • यह ध्यान रखें कि कहीं आपके गुप्तांगों में से किसी प्रकार का ब्लड तो नहीं आ रहा है।
  • गुप्तांगों में किसी प्रकार का इंफेक्शन या फिर कोई चोट तो नहीं है।
  • टॉयलेट शीट सदैव साफ़ व स्वच्छ करके इस्तेमाल करें।