PITTA DOSH KE KARAN LAKSHAN SYMPTOMS AAHAAR DIET PEHCHAAN UPCHAAR पित्त दोष कारण लक्षण आहार पहचान

Pitta Dosha पित्त दोष | Meaning | Symptoms | Diet | Remedies

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What is Pitta- 

आयुर्वेद के मुताबिक हर व्यक्ति में 3 में से 1 दोष होता ही है जिसे वात, पित्त , कफ कहते हैं और ये दोष त्रिदोष के नाम से जाने जाते हैं  आगे जाकर ये कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनते हैं.

आज हम pitta dosha  के बारे में जानेंगे. मेरा दावा है की इस लेख को पढने के बाद आप के माइंड से ये डाउट दूर हो जायेगा कि what is pitta.

अगर आपको संदेह है की आपको pitta dosha है तो इस लेख में pitta dosha symptoms  के बारे में चर्चा की गई है और अगर pitta dosha  का इलाज की घर पर करना चाहता है तो home remedies for pitta dosha  और pitta dosha diet  के बारे में भी बताया जायेगा.

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Pitta meaning in English –  

According to Ayurveda there are three types of energies is present in everybody’s body which are called Vatta, Pitta, Kapha .

Any imbalance in any of these three or more than one of these three are root cause of several disease in a human body. Pitta is representation of heat and metabolism. imbalance of pitta or heat (metabolism and digestion).  Let’s see what are the pitta characteristics-

Pitta Dosha Symptoms-

  • Indigestion
  • Stress
  • Anger
  • Gastritis
  • Stomach and Intestinal Ulcers
  • Acne
  • Eczema
  • Skin Diseases such as furuncles and abscesses
  • Liver infections

You must know that what happens when there is pitta dosha imbalance. Actually pitta imbalance symptoms can be seen on the surface means anyone can identify pitta dosha. This dosha leads to indigestion, stress, anger and gastritis, stomach and intestinal ulcers, acne, eczema and other skin diseases such as furuncles and abscesses, as well as liver infections. Imbalanced in pitta occurs due to over stress, overworking and eating too much spicy food.

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Pitta dosha –

आइये जानते हैं की पित्त दोष क्या होता है (pitta dosha kyaa hota hai ) दोस्तों आयुर्वेद के अनुसार शरीर में 3 प्रकार की ऊर्जा होती है जिन्हें वात, पित्त और कफ के नाम से जानते हैं। इन ऊर्जाओं में असंतुलन ही अनेकों बीमारियों को जन्म देता और पित्त की गड़बड़ी से होने वाली बिमारियों के वारे में हम आपको पहले ही इस लेख में बता चुके हैं.

पित्त दोष के कारण

आइये समझते हैं पित्त दोष क्यों होता है (reasons of pitta dosh).  जब मानव शरीर में पित्त ऊर्जा में असंतुलन होता है तब उसे पित्त दोष कहते हैं. शरीर में पित्त दोष तब सबसे अधिक होता है जब आप हद से ज्यादा तनाव लेते हैं. हालांकि अत्यधिक तनाव से मधुमेह जैसी समस्याएं भी जन्म ले सकती हैं लेकिन ये पित्त दोष का भी एक प्रमुख कारण माना जाता है.

पित्त दोष (pitta dosha in body) का मुख्या कारण है तीखा और मसालेदार भोजन तथा उसके बाद ना तो गरम पानी पीना और ना ही टहलना. ऐसा होने से कई अन्य बीमारियाँ भी उत्पन्न हो जाती हैं जैसे मधुमेह, अधरंग, दमा, टीबी आदि.

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पित्त दोष के लक्षण हिंदी में

  • अधिक थकावट
  • पेट में गैस की समस्या
  • बात बार मुह में डकार के साथ खट्टा पानी आ जाना (acid reflux )
  • नींद में कमी
  • शरीर में तेज जलन
  • गर्मी लगना और ज्यादा पसीना आना
  • त्वचा का रंग पहले की तुलना में डार्क हो जाना
  • अंगों से दुर्गंध आना
  • ज्यादा गुस्सा आना
  • बेहोशी और चक्कर आना
  • मुंह का कड़वा और खट्टा स्वाद
  • ठंडी चीजें ज्यादा खाने का मन करना
  • त्वचा, मल-मूत्र, नाखूनों और आंखों का रंग पीला पड़ना ।

Pitta on skin

पित्त दोष का होना शरीर मे गर्मी बढ़ने का संकेत देता है जिसका सीधा असर चेहरे या त्वचा में दिखाई देता. पित्त बढ़ने या पित्त दोष होने से शरीर की त्वचा गरम हो जाती है और पसीना छूटने लगा है. इसके अतिरिक्त त्वचा से दुर्गंध भी आती है. चेहरे में मुहसें आना, चेहरे का रंग दब जाना, चेहरा ताजा नहीं दिखना ये भी पित्त दोष के लक्षण हैं.

PITTA DOSH SE HONE WALI SAMASYEIN BIMARIYEIN

Pitta in blood

पित्त दोष का होना खून पर सीधा असर करता है. पित्त दोष के कारण खून की कमी होती है और खून पतला होने लगता है. पित्त दोष में पेट ठीक तरीके से साफ नहीं होता इसलिए पित्त पीड़ित को खून में गंदगी या खून गंदा होने का सामना भी करना पड़ सकता है. अधिक समय तक पित्त की समस्या बने रहने से व्यक्ति को पीलिया भी हो सकता है जिसमें व्यक्ति के शरीर का ब्लड अर्थात खून पीले रंग के पानी में परिवर्तित होने लग जाता है इसलिए इस बीमारी की हलके में नहीं लेना चाहिए| अच्छी बात ये है कि इसका बहुत ही सटीक एवं कारगर इलाज संभव है

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पित्त को तुरंत कैसे कम करें-

यह सवाल कि पित्त दोष को कैसे संतुलित किया जाए या पित्त दोष का इलाज कैसे करें एक ऐसा विषय है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.

  • किसी भी समय आपको ऐसा लगता है कि खट्टी डकारें आ रही हैं या फिर भिजन हजम नहीं हो रहा या अन्य लक्षण दिखें तो आप लगभग एक से डेढ़ कप तुरंत ठंडा दूध पी लें .
  • इसके अतिरिक्त तेज़ तेज़ टहलना भी आपको तुरंत आराम दिलाएगा .
  • यदि आप चाहें तो गरम पानी भी आपको पित्त दोष से तुरंत रहत दिला सकता है जिसे पी कर आपको वज्रासन में बैठना होगा या टहलना होगा.
  • अगर पित्त दोष को तुरंत नियंत्रित करना है तो नीम और त्रिफला का सेवन करें। अमला का सेवन भी मददगार साबित होगा.
  • आमले का जूस भी पित्त को नियंत्रित करने की सबसे कारगर दावा मानी जाती है ये मेरा खुद का आजमाया हुआ नुस्खा है
  • एक और अत्यंत प्रभावशाली दवाई है लौकी अर्थात घिया का जूस.

इस में से किसी भी नुस्खे को आजमाने से पित्त से तुरंत रहत मिलती है .

Pitta dosha diet

दोस्तों अगर आप चाहें तो पित्त दोष का इलाज (how to reduce pitta dosha)घर में ही अपने आहार को संतुलित करके कर सकते हैं. पित्त दोष से राहत पाने के लिए घी का सेवन अवश्य करें. इसके अलावा हरी पत्तियाँ जैसे गोभी, शिमला, आलू , खीरा, गाजर आदि जैसी सब्जियाँ भी खाएं. सभी तरह के दलों, दलिया, अंकुरित अनाज, सलाद एवं एलोवेरा जूस भी लें.

पित्त शांत करने वाले आहार से साथ पित्त दोष को कैसे संतुलित करें-

 ताजा, ठंडा, ग्राउंडिंग और कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के के सेवन से पित्त को शांत किया जाता है. यदि आप के शरीर में पित्त दोष की अधिकता है, तो आपको नीचे दिए गए बिंदुओं का अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए:

  • अत्यधिक गर्म या अत्यधिक माहौल में नहीं रहना चाहिए
  • पौष्टिक और हल्के भोजन को भारी खाद्य पदार्थों से पहले लेना चाहिए
  • पहले कुछ तरल है से छाछ या लस्सी या दही के बाद भोजन पित्त दोष को रोकने में मदद करता है
  • अल्कोहल या कैफीन आधारित पेय की अपेक्षा हल्के पेय जैसे ताजा जूस या अधिक पानी पित्त को शांत करने में अच्छा काम करते हैं

Pitta Reducing Foods-

ताजे फल और सब्जियाँ पित्त दोष को नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा काम करती हैं. ऐसे फल जो स्वाद में मीठे होते हैं और थोड़े कसैले जैसे होते हैं पित्त को शांत करने में मदद करते हैं. जैसे- सेब, एवोकाडो, नारियल, अंजीर, तरबूज, संतरा, नाशपाती, आलूबुखारा, अनार, और आम पित्त शांत करने वाले खाद्य पदार्थों को चुनते समय, स्वाद को पहचानना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि कुछ भी मीठा आपके पक्ष में काम कर सकता है, लेकिन एक फल या सब्जी जो स्वाद में कड़वी होती है, आपके शरीर के सिस्टम से विरुद्ध काम कर सकती है।

इसके अलावा, फलों, सब्जियों और रसों का आनंद बिना किसी भोजन के लिया जाना चाहिए, न कि किसी अन्य भोजन के साथ. सबसे अच्छा यह होगा कि इस चीज़ों को भोजन से इसे 30 मिनट पहले या एक घंटे बाद किसी लिया जाये. यह आपके भोजन को ठीक से पचाने और अपने आहार का अधिकतम भाग शरीर के लिए फायदेमंद बनाने में मदद करेगा.

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1) शरीर से पित्त को हटाने के लिए फायदेमंद फल:

सेब, खुबानी, जामुन, चेरी, नारियल, खजूर, नाशपाती, पपीता, प्लम, अनार, आम, संतरा, तरबूज, तरबूज, स्ट्रॉबेरी, अंजीर और अंगूर

 नोट: जो कुछ भी पित्त शांत करने वाले खाद्य पदार्थों की श्रेणी में कड़वा होता है, उसे तुरंत त्यागने की आवश्यकता होती है।

2) पित्त असंतुलन को रोकने के लिए खाई जाने वाली वाली सब्जियां:

एवोकैडो, ब्रोकोली, फूलगोभी, अजवाइन, सीताफल / धनिया, मटर, कद्दू, मूली, गोभी, शकरकंद, पालक, सलाद, सलाद, भिंडी, ककड़ी, आलू, पत्तेदार साग, और मशरूम.

3) अनाज जो पित्त आहार के लिए अच्छे माने जाते हैं –

जौ, couscous salad , ओट्स, क्विनोआ, ग्रेनोला, गेहूं, गेहूं की भूसी, पास्ता, पेनकेक्स, ऐमारैंथ और चावल (बासमती) अन्य.

अनाज जिन से पित्त रोगियों को बचना चाहिए : मकई, एक प्रकार का अनाज, बाजरा, मुसली, राई, खमीरयुक्त रोटी, पोलेंटा और ब्राउन चावल.

4) फलियों के साथ पित्त दोष को कैसे संतुलित करें:

फलियां स्वाद में कसैली होती हैं और इसलिए, पित्त को शांत करने में मदद करती हैं . यदि आप घर पर ही अपने पित्त दोष को पूर्ण रूप से शांत करना चाहते हैं तो आपको आसान और सरल पित्त उपचार के रूप में, अपने रोजमर्रा के आहार में निम्नलिखित फलियां शामिल करनी चाहिए.

काले सेम, राजमा, मसूर, छोले, छोले मटर, सोयाबीन, टोफू, लीमा बीन्स, मूंग दाल आदि  फलियां जिनका सेवन पित्त रोगी को नहीं करना चाहिए : सोया मांस, उड़द की दाल और सोया सॉस. इन चीजों में उच्च नमकीन (salty ) सामग्री होती है जो की पित्त दोष को बढ़ा सकती है.

5) डेयरी उत्पादों की सूची जो पित्त दोष को कम करने में सहायक हैं –

अनसाल्टेड बटर, गाय का दूध, पनीर, बकरी का पनीर, घी, आइसक्रीम, दही और बकरी का दूध.

इन डेयरी उत्पादों से बचें : नमकीन मक्खन, छाछ, जमे हुए दही, खट्टा क्रीम, हार्ड पनीर, और फल या संरक्षक आधारित योगर्ट.

6) नट और बीज जो पित्त उपचार में सहायक होते हैं-

अधिकांश नट और बीजों में तेल की उच्च मात्रा पाई जाती है और इसलिए उन्हें पित्त आहार से बाहर रखने की सलाह दी जाती है। लेकिन, कुछ नट और बीज होते हैं जो स्वस्थ्य की द्रष्टि से शरीर से पित्त को कम करने के काम आते हैं। पित्त आहार के अनुकूल नट और बीज में शामिल हैं:

बादाम (भीगे हुए एवं छीले हुए ), फ्लैक्ससीड्स अर्थात अलसी के बीज , नारियल, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज और पॉपकॉर्न (अनसाल्टेड और सादे)

 नट्स और बीज जिनसे बचना चाहिए : काजू, बादाम त्वचा, पाइन नट, पेकान, पिस्ता, ताहिनी, अखरोट, तिल, चिया बीज और मूंगफली के साथ

7) तेल जो पित्त उपचार के रूप में सबसे अच्छा काम करते हैं:

नारियल तेल, अलसी का तेल, जैतून का तेल, प्रिमरोज़ तेल, सूरजमुखी तेल, सोया तेल, घी और अखरोट का तेल.

 ऐसे तेल जिनसे बचना चाहिए : बादाम का तेल, तिल का तेल, मकई का तेल और खूबानी का तेल

8) मसाले:

मसाले हमारा भोजन पकाने में बहुत ही अभिन्न भूमिका निभाते हैं. तो, अगर आप सोच रहे हैं कि कौन से मसालों को शामिल किया जाए जो की पित्त को कम करने में सहायक हैं तो वो हैं –

तुलसी, काली मिर्च, धनिया, अदरक, सौंफ, पुदीना, संतरे के छिलके, केसर, पुदीना, दालचीनी, डिल, इलायची, अजमोद और वेनिला.

ऐसे मसाले जिनसे आपको बचना चाहिए- पत्ती, लहसुन, गदा, हिंग, जायफल, सरसों के बीज, नमक, अजवायन के फूल, लौंग, मेथी, दौनी और गदा.

9) मिठास:

मीठे खाद्य पदार्थों को शरीर में पित्त को संतुलित करने के लिए जाना जाता है और इसलिए उनमें से अधिकांश पित्त को कम करतेहैं . शायद आप ने बड़े बूढों से सुना भी होगा की भोजन के बाद मीठा खाना चाहिए. लेकिन ध्यान रहे की आपको एक उचित संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता होती है है.

Home Remedies for Pitta –

अगर पाठक ऊपर दिये हुए उपचार से संतुष्ट नहीं हैं तो ये घरेलू उपचार आजमा के देखें. ठंडे तेल से पूरे शरीर की मालिश करें. ठंडे पानी से रोजाना नहाये और हो सके तो तैराकी भी करें. इसके अतिरिक्त सुबह और शाम छाँव में पैदल चलें. ये नुस्खे पित्त दोष को संतुलित करने में लाभकारी सिद्ध होंगी.

पित्त दोष आयुर्वेदिक मेडीसीन- 

दोस्तों इस लेख से आपको समझ में आ चुका होगा की पित्त दोष कितना हानिकारक हो सकता है. अगर आप इसे जल्द ही आयुर्वेदिक तरीके से संतुलित करना चाहते हैं तो Patanjali Medicine for Pitta Dosh-

उदारामृत वटी

उदारामृत वटी का उपयोग कर सकते हैं आप इसकी 2 – 2 गोलियां भोजन के आधे आधे घंटे के बाद ले सकते हैं.

इसके साथ यदि आप चाहें तो Paranjali Company का ही लिवामृत सिरप भी प्रयोग कर सकते हैं.

उदारामृत वटी एवं लिवामृत दोनों ही आपको काफी लाभ पहुचायेंगे

इसके अतिरिक्त आप Himalya कंपनी की Liv- 52 का प्रयोग भी कर सकते हैं. इसको भी लेने की विधि same ही है.

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