Gayatri Stotram- Lyrics PDF Download Laabh

Gayatri Stotram | Lyrics | PDF Download | Laabh

STOTRA

गायत्री माता कौन है?

Gayatri Stotram देवी गायत्री को वेदमाता अर्थात वेदों की माँ के रूप में पूजा जाता है, – ऋग्, यजुर, साम और अथर्व. माता गायत्री सिद्ध और ज्ञेय ब्रह्मांड के पीछे का आधार हैं. देवी गायत्री हमारे मन में प्रकाश देकर अंधकार को दूर करने के लिए जानी जाती हैं. गायत्री माता ज्ञान और ज्ञान की अथक खोज को व्यक्त करती हैं. वैदिक साहित्य के अनुसार, उन्हें सूर्य के प्रकाश के स्त्री रूप में चित्रित किया गया है. प्रकाश ही उस ज्ञान को दर्शाता है जो आत्मा को प्रबुद्ध करता है.

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Gayatri- गायत्री शब्द का अर्थ-

Meaning of the word Gayatri- गायत्री शब्द ‘गया‘ का एक संयोजन है जिसका अर्थ है ज्ञान का भजन और ‘त्रि’ तीनों देवी-देवताओं की संयुक्त शक्ति. गायत्री माता या देवी गायत्री महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली के दिव्य सार का प्रतिनिधित्व करती हैं.

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गायत्री स्तोत्र का जाप क्यों किया जाता है?

ऐसा माना जाता है कि गायत्री स्तोत्र का जाप करने से आप अपने जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करते हैं. Gayatri Stotram के नियमित जाप से मन को दृढ़ता से स्थापित और स्थिर किया जा सकता है।

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गायत्री स्तोत्र का जाप करने से क्या लाभ होता है?

  • गायत्री स्तोत्र के नियमित जाप से एकाग्रता और सीखने की क्षमता में सुधार होता है.
  • यह शरीर से विषाक्त विचारों को निकालने के लिए जाना जाता है.
  • यह श्वास और तंत्रिका तंत्र के कामकाज में सुधार करता है
  • यह आपके दिल को स्वस्थ रखता है और नकारात्मकता को दूर करता है
  • गायत्री स्तोत्र के जाप से मन शांत होता है
  • यह तनाव और चिंता को कम करता है

नोट- गायत्री स्तोत्र के लाभ कहीं न कहीं गायत्री मंत्र से काफी मिलते जुलते हैं.

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दोस्तों हमे उम्मीद है कि आप नीचे दिए हुए Gayatri Stotram In Sanskrit का पाठ कर के अपने जीवन में अपार शान्ति का अनुभव करेंगे-

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Gayatri Stotram Lyrics

सुकल्याणीं वाणीं सुरमुनिवरैः पूजितपदम

शिवाम आद्यां वंद्याम त्रिभुवनमयीं वेदजननीं

परां शक्तिं स्रष्टुं विविध विध रूपां गुण मयीं

भजे अम्बां गायत्रीं परम सुभगा नंदजननीम

 

विशुद्धां सत्त्वस्थाम अखिल दुरवस्थादिहरणीम्

निराकारां सारां सुविमल तपो मूर्तिं  अतुलां

जगत् ज्येष्ठां श्रेष्ठां सुर असुर पूज्यां श्रुतिनुतां

भजे अम्बां गायत्रीं परम सुभगा नंदजननीम

 

तपो निष्ठां अभिष्टां स्वजनमन संताप शनीम

दयामूर्तिं स्फूर्तिं यतितति प्रसादैक सुलभां

वरेण्यां पुण्यां तां निखिल भवबन्धाप हरणीं

भजे अम्बां गायत्रीं परम सुभगा नंदजननीम

 

सदा आराध्यां साध्यां सुमति मति विस्तारकरणीं

विशोकां आलोकां ह्रदयगत मोहान्धहरणीं

परां दिव्यां भव्यां अगम भव सिन्ध्वेक तरणीं

भजे अम्बां गायत्रीं परम सुभगा नंदजननीम

 

अजां द्वैतां त्रेतां विविध गुणरूपां सुविमलां

तमो हन्त्रीं तन्त्रीं श्रुति मधुरनादां रसमयीं

महामान्यां धन्यां सततकरूणाशील विभवां

भजे अम्बां गायत्रीं परम सुभगा नंदजननीम

 

जगत् धात्रीं पात्रीं सकल भव संहारकरणीं

सुवीरां धीरां तां सुविमलतपो राशि सरणीं

अनैकां ऐकां वै त्रयजगत् अधिष्ठान् पदवीं

भजे अम्बां गायत्रीं परम सुभगा नंदजननीम

 

प्रबुद्धां बुद्धां तां स्वजनमति जाड्यापहरणीं

हिरण्यां गुण्यां तां सुकविजन गीतां सुनिपुणीं

सुविद्यां निरवद्याममल गुणगाथां भगवतीं

भजे अम्बां गायत्रीं परम सुभगा नंदजननीम

 

अनन्तां शान्तां यां भजति वुध वृन्दः श्रुतिमयीम

सुगेयां ध्येयां यां स्मरति ह्रदि नित्यं सुरपतिः

सदा भक्त्या शक्त्या प्रणतमतिभिः प्रितिशगां

भजे अम्बां गायत्रीं परम सुभगा नंदजननीम

 

शुद्ध चितः पठेद्यस्तु गायत्र्या अष्टकं शुभम्

अहो भाग्यो भवेल्लोके तस्मिन् माता प्रसीदति।

Gayatri Stotram Pdf– दोस्तों अगर आप Gayatri Mata Stotram को ऑफलाइन डाउनलोड कर के प्रतिदिन इसका पाठ करना चाहते हैं तो आप नीचे दिए हुए लिंक से स्तोत्र को डाउनलोड कर सकते हैं-