Akbar Birbal Stories in Hindi me PDF | Kahani Sunao-मनोरंजन

Hindi Stories with Moral

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सोने का खेत

अकबर के महल में अलंकरण के कई कीमती सामान थे, लेकिन एक फूलदान का अकबर से विशेष लगाव था. अकबर इस गुलदस्ते को हमेशा अपने बिस्तर के पास रखता था. एक दिन अचानक महाराज अकबर के कमरे की सफाई करते समय उनके नौकर का गुलदस्ता टूट गया. नौकर घबरा गया और उस गुलदस्ते को जोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन असफल रहा. हार कर उसने टूटे हुए गुलदस्ते को कूड़ेदान में फेंक दिया और प्रार्थना की कि राजा को इसके बारे में कुछ पता न चले.

34 Akbar Birbal Stories in Hindi me PDF | Kahani Sunao-मनोरंजन

कुछ समय बाद जब महाराज अकबर महल में लौटे तो उन्होंने देखा कि उनका प्रिय गुलदस्ता उसकी जगह पर नहीं है. राजा ने नौकर से उस गुलदस्ते के बारे में पूछा तो नौकर डर से कांप उठा. नौकर को जल्दी में कोई अच्छा बहाना नहीं मिला, तो उसने कहा कि महाराज, मैं उस गुलदस्ता को अपने घर ले गया हूं ताकि मैं इसे अच्छी तरह से साफ कर सकूं. यह सुनकर अकबर ने कहा, “मुझे वह गुलदस्ता तुरंत दे दो.”

अब नौकर के पास बचने का कोई रास्ता नहीं था. नौकर ने महाराज अकबर को सच बता दिया कि गुलदस्ता टूट गया है. यह सुनकर राजा क्रोधित हो गया. राजा ने गुस्से में नौकर को मौत की सजा सुनाई. राजा ने कहा, “मुझे झूठ बर्दाश्त नहीं है.” जब गुलदस्ता टूटा तो झूठ बोलने की क्या जरूरत थी? “

अगले दिन जब सभा में इस घटना का जिक्र हुआ तो बीरबल ने इसका विरोध किया. बीरबल ने कहा कि हर व्यक्ति कभी न कभी झूठ बोलता है. अगर झूठ बोलने से कुछ बुरा या गलत नहीं है, तो झूठ बोलना गलत नहीं है. बीरबल के मुख से ऐसी बातें सुनकर अकबर उसी समय बीरबल पर भड़क गया. उन्होंने बैठक में लोगों से पूछा कि क्या यहां कोई झूठ बोलने वाला था. सभी ने राजा से कहा कि वे झूठ नहीं बोलते. यह सुनकर राजा ने बीरबल को राज्य से निकाल दिया.

कोर्ट से निकलने के बाद बीरबल ने फैसला किया कि वह साबित करेंगे कि हर व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी मोड़ पर झूठ बोलता है. बीरबल के दिमाग में एक विचार आया, जिसके बाद बीरबल सीधे सुनार के पास गए. उसने जौहरी से सोने-गेहूं की तरह की बाली बनाई और उसे लेकर महाराज अकबर की बैठक में पहुंचा.

अकबर ने जैसे ही बीरबल को सभा में देखा, उसने पूछा कि तुम अभी यहाँ क्यों आए हो. बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह आज ऐसा चमत्कार होगा जो किसी ने कभी नहीं देखा. आपको बस मेरी बात सुननी है.” राजा अकबर और सभी अध्यक्षों की जिज्ञासा बढ़ी और राजा ने बीरबल को बोलने दिया.

बीरबल ने कहा, “आज मुझे रास्ते में एक सिद्ध पुरुष दिखाई दिया. उन्होंने मुझे सोने की बनी हुई गेहूं की यह बाली दी है और कहा है कि हर खेत में जहां वे लगाए जाएंगे, वहां सोने की फसल होगी. अब मुझे तुम्हारे लिए कुछ जमीन चाहिए. राज्य इसे रोपने के लिए.” राजा ने कहा, “यह बहुत अच्छी बात है, हम आपको भूमि देते हैं.” अब बीरबल ने कहा कि मैं चाहता हूं कि पूरी अदालत इस चमत्कार को देखे. बीरबल को मानकर सारा दरबार खेत की ओर चला गया.

“खेत में पहुँचकर बीरबल ने कहा कि इस सोने की बाली से बनी गेहूँ की फसल तभी बढ़ेगी जब इसे ऐसे व्यक्ति द्वारा लगाया जाएगा जिसने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला है. बीरबल की बात सुनकर सभी दरबारी चुप हो गए और कोई भी गेहूं की बाली लगाने को तैयार नहीं हुआ.

राजा अकबर ने कहा कि दरबार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसने अपने जीवन में कभी झूठ न बोला हो? सब खामोश थे. बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह, अब तुम इस बाली को खेत में लगाओ.” बीरबल की बात सुनकर महाराज ने सिर झुका लिया. उन्होंने कहा, “मैंने बचपन में बहुत से झूठ भी बोले हैं, तो मैं इसे कैसे लागू कर सकता हूं?” इतना कहकर बादशाह अकबर समझ गए कि बीरबल सही कह रहे हैं कि इस दुनिया में कभी-कभी सभी लोग झूठ बोलते हैं. यह जानकर अकबर उस नौकर की फांसी रोक देता है.

शिक्षा बिना सोचे समझे किसी को सजा नहीं देनी चाहिए. सब कुछ सोच-समझकर ही करना चाहिए. साथ ही किसी व्यक्ति को एक छोटे से झूठ से नहीं हांकना चाहिए, क्योंकि कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि लोग झूठ बोलते हैं.

गाय का दूध

एक बार की बात है जब बादशाह अकबर दरबार में आए और बीरबल मौजूद नहीं थे.

तब अकबर ने पूछा, “बीरबल जी कहां है?”

एक दरबारी ने झिझकते हुए कहा, “वह अभी तक नहीं आया है, हुजूर.”

अकबर ने कहा, ” बीरबल अभी तक नहीं आया?”

थोड़ी ही देर के बाद बीरबल दरबार में हाजिर हो जाते हैं और देर से आने के लिए उनसे माफ़ी मांगी.

“मुझे बहुत खेद है, जहांपनाह, मेरा बच्चा रो रहा था|” मुझे उस को शांत कराने में जरा देरी हो गई|इसलिए आप मुझे क्षमा कर दीजिये.

अकबर ने बीरबल की इस बात को सुनकर बड़ा ही आश्चर्य किया. अकबर ने कहा “बीरबल! क्या तुम्हें मालूम नहीं है कि बच्चे को कैसे समझाया जाता है?! “” चलो मैं तुम्हें करके बताता हूं “.

बादशाह ने कहा, “आज मैं कुछ देर के लिए तुम्हारा पिता बन जाता हूं और तुम मेरे बेटे.”  वही सवाल तुम मुझसे पूछो जो तुम्हारे बच्चे ने तुमसे पूछा था”.

बीरबल ने कहां ” इसके लिए मुझे एक गाय चाहिए”

अकबर ने कहा, “गाय? ठीक है ” बीरबल के लिए एक गाय लाओ ” बादशाह ने आदेश दिया. तभी एक गाय को दरबार में पेश किया गया.

बीरबल ने एक बच्चे की आवाज में अकबर से कहा, “मैं इस गाय का दूध पीना चाहता हूं”.

एक नौकर ने गाय का दूध निकालकर बीरबल को दे दिया. बीरबल ने इसे थोड़ा पी लिया और कटोरे को बाकी दूध के साथ अकबर को सौंप दिया.

फिर उसने कहा “अब इस बचे हुए दूध को वापस गाय में डाल दो”.

अकबर ने गुस्से में कहा, ” क्या बक रहे हो बीरबल?” भला ऐसा भी कहीं हो सकता है!

लेकिन बीरबल तो बच्चे बने हुए थे इसलिए उन्होंने इस बात की जिद पकड़ ली|

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अकबर को कोई जवाब नहीं मिला और चुपचाप वहां से बाहर निकल गए.

शिक्षा दूसरों को दोष देने से पहले वास्तविक स्थिति का अनुभव करना चाहिए.

आधी छाँव आधी धूप

एक बार बादशाह अकबर ने नाराज होकर बीरबल को नगर छोड़कर कहीं अन्य जगह पर जाने का आदेश दिया| आदेश पाते ही बीरबल किसी दूर के गांव में भेष बदल कर जीवन व्यतीत करने लगे| बीरबल स्वाभिमानी पुरुष थे इसलिए बादशाह के बिना बुलाए कैसे आते|

आधी छाँव आधी धूप

36 Akbar Birbal Stories in Hindi me PDF | Kahani Sunao-मनोरंजन

एक दिन बादशाह को बीरबल की याद आई और उनका पता निकालने के लिए बादशाह को एक उपाय सूझा|

उन्होंने शहर में मुनादी कराकर कहा:- ‘जो कोई आधी धूप और आधी छाया लेकर मेरे सामने आएगा उसे 1000 रुपए इनाम में दिए जाएंगे’|

यह खबर सारे शहर तथा गांव में फैल गई| लेकिन किसी को कुछ भी उपाय नहीं सूझा| इस बात की खबर बीरबल के कानों में भी पहुंच गई| बीरबल ने एक किसान से कहा:- अपने आंगन में जो तुम यह खाट देख रहे हो| इस खाट को अपने सिर पर रख कर बादशाह के सामने जाना और निवेदन करना कि मैं आपके सामने आधी धूप और आधी छाया लेकर आया हूं, इसलिए मुझे पुरस्कार मिलना चाहिए|

किसान ने ऐसा ही किया| वह खाट को सिर पर रखकर बादशाह के महल में उपस्थित हो गया| बादशाह समझ गए कि यह किसान के दिमाग की उपज नहीं है और किसान से बोले:- तुम सच-सच बताओ कि यह उपाय तुम्हें किसने बताया है?

किसान ने सारा वर्णन बादशाह को बता दिया कि एक बीरबल नाम का एक ब्राह्मण, कुछ दिनों से हमारे गांव में रहता है| उन्होंने ही मुझे ऐसा करने की सलाह दी है| बादशाह बीरबल का नाम सुनते ही बहुत ही प्रसन्न हो गए| उन्होंने किसान को 1000 रुपए इनाम में दिए और अपने एक कर्मचारी को उस किसान के साथ भेजकर बीरबल को वापस महल में बुला लिया|

शिक्षा इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी हमें किसी व्यक्ति पर संदेह नहीं करना चाहिए.

दुष्ट काजी

एक दिन बादशाह अकबर के दरबार में एक किसान आया, उसका नाम सैफ अली था.

अकबर – बोलो कैसे आना हुआ?

सैफ अली – जहाँ पनाह छह महीने पहले मेरी बीबी की मृत्यु हो गई थी, जिसके चलते मैं अपनी ज़िंदगी मे बिल्कुल अकेला हो गया हूँ. अभी छह महीने पहले बहुत खुशी से ज़िन्दगी काट रहा था, फिर अचानक मेरी बीबी गुज़र गई. मेरी कोई औलाद भी नही है जिसके सहारे मैं अपनी ज़िंदगी काट लूँ.

अकबर – हमें बहुत दुख हुआ ये सब सुनके !

37 Akbar Birbal Stories in Hindi me PDF | Kahani Sunao-मनोरंजन

सैफ अली – जहाँ पनाह मैं खेती करके थोड़े बहुत पैसे कमा लेता हूँ, पर मेरा अब किसी काम मे मन ही नही लग रहा है. फिर एक दिन मुझे काज़ी अब्दुल्ला मिले और उन्होंने मेरे हाल चाल पूछे. मैने उन्हें अपनी पूरी कहानी बताई, “मैंने कहा मेरी बीबी गुज़र गई है , जिसकी वजह से मैं बहुत अकेला हो गया हूँ.”

तो उन्होंने मुझसे कहा तुम एक काम करो अजमेर चले जाओ, ख्वाजा के दरबार मे, वहाँ तुम्हे काफी सुकून मिलेगा. मैं उनकी इस बात से सहमत हो गया फिर उस रात मैं यही सोचता रहा कि मैं अपनी ज़िन्दगी भर की जमा पूंजी कहाँ छोड़ कर जाऊंगा.

फिर मैंने सोचा इस काम के लिए काज़ी अब्दुल्ला से बेहतर कौन हो सकता है. फिर मैं अगले दिन काज़ी अब्दुल्ला के घर अपनी जमा पूंजी लेकर पहुँचा, वह रखने के लिए राजी हो गए. उन्होंने मुझ से कहा तुम इत्मीनान से जाओ मैं इसकी हिफाज़त करूँगा और उन्होंने उस थैले पर मुझसे मोहर लगाने को कहा.

मैंने उस पर मोहर लगाई और थैला दे दिया. फिर मैं इत्मिनान से अजमेर को चला गया. जब मैं वहां से बापस लौटा तो मैंने सोचा मैं अपनी पूरी ज़िन्दगी बच्चो को इल्मी तालीम देने में निकाल दूंगा और जो मेरी जमा पूंजी है मैं उससे गुजारा कर लिया करूँगा.

फिर जब मैं काज़ी अब्दुल्ला के नगर पहुंचा, जब मैं उनके घर पहुंचा तो उन्होने मुझे मोहर देखने को कहा, मोहर ठीक लगी है? मैंने कहा मोहर तो ठीक है और मैं थैला घर लाया.

जब मैंने घर आकर थैला देखा तो उसमे सोने की अशर्फियों की जगह पत्थर भरे हुए थे. फिर मैं काज़ी अब्दुल्ला के पास गया और कहा मैंने तो आपको सोने की अशर्फियाँ दी थीं, फिर इसमें पत्थर कैसे बन गए?

काज़ी ने कहा जिस तरह तुमने मुझे थैला दिया बैसे ही मैंने तुम्हे दे दिया था. तुम मुझ पर चोरी का इल्जाम लगा रहे हो.

इस तरह दोनों में बहुत देर तक बहस हुई और काज़ी अब्दुल्ला ने मुझे अपने घर से जाने को कह दिया जहाँ पनाह अब मैं क्या करूँ? मुझे इंसाफ चाहिये.

अकबर –  तुम क्या कहते हो बीरबल , तुम्हारा क्या कहना है?

बीरबल – जहाँ पनाह मैं कुछ जानना चाहता हूँ, बीरबल सैफ अली से थैला लेते हैं और उसे जांचते हैं. बीरबल सैफ अली को थैला बापस लौटा देते है और कहतें है जहाँ पनाह मुझे कुछ वक्त चाहिये मुझे आप दो दिन का वक्त दें.

अकबर – हाँ-हाँ बीरबल क्यों नही हम तुम्हें दो – दिन का वक्त देते है और सैफ अली अगर तुम्हारी बात झूठी निकली तो तुम्हे एक साल के लिए कारागार में डाल दिया जाएगा और जब तक ये फैसला नही हो रहा तब तक तुम हमारे मेंहमान बनके रहो.

फिर क्या था बीरबल सच्चाई की खोज करने लगे और अपनी एक पोशाक को जान बूझ कर फाड़ कर अपने सेवक को बुलाया और उससे कहा जो शहर का सबसे अच्छा दर्जी हो उससे रफू करबा कर लाओ.

सेवक – मैं अभी जाता हूँ और अच्छे से दर्जी का पता लगाता हूँ.

सेवक सबसे अच्छे दर्जी की तलाश में निकल जाता है. थोड़ी देर में वो सेवक पोशाक सिलवा कर लाता है.

बीरबल – वाह क्या रफू किया है पोशाक भी सिल गयी और रफू का पता भी नही चल रहा है. वाह क्या कारीगरी है. जरा उस कारीगर का नाम तो बताओ?

सेवक – जनाब बहुत से लोग उसके बारे में जानते थे और उसे ढूंढना ज्यादा मुश्किल भी नही हुआ जनाब उसका नाम गोपाल है.

बीरबल – सेवक तुम उस दर्जी को बुला कर लाओ मुझे और भी फ़टी हुई पोशाकें सिलबानी हैं.

फिर अगले दिन अकबर के दरबार मे फैसला होता है.

अकबर – क्या दोषी का पता चल गया बीरबल?

बीरबल – हाँ जहाँ पनाह मैंने दोषी का पता लगा लिया. सैफ अली और काज़ी अब्दुल्ला को दरबार मे बुलाया जाए, दोनों को दरबार मे बुलाया जाता है.

बीरबल – सैफ अली ये क्या तुम्हारा ही थैला है?

सैफ अली – जी हुजूर ये मेरा ही थैला है.

बीरबल – काज़ी अब्दुल्ला इस थैले को पहचानते हो?

काज़ी अब्दुल्ला – जी ये थैला देखा तो है, ये थैला सैफ अली का है ये जो मेरे पास रखने आया था. ये मोहर भी इसी ने अपने हाथों से लगाई थी जो अभी खुली है. ये थैला सैफ अली जब मेरे पास रखने आया था तो मुझे क्या पता इसमे सोने की अशर्फियाँ है या पत्थर हैं. ये मुझे कैसे पता होगा इसने तो खुद इस पर मोहर लगाई थी. सैफ अली झूठ बोल रहा है.

बीरबल काज़ी अब्दुल्ला की ये बात सुनकर चौंकता है.

बीरबल – दर्जी गोपाल को दरबार मे पेश किया जाए

दर्जी गोपाल का नाम सुनकर काज़ी अब्दुल्ला के चेहरे की हबाइयाँ उड़ जातीं हैं.

बीरबल – गोपाल तुम ये बताओ कि तुमने हाल ही में काज़ी अब्दुल्ला की किसी चीज पर रफू किया है?

दर्जी गोपाल– जी हुजूर मैने अभी हाल ही में काज़ी अब्दुल्ला का एक पैसों का थैला सिला था जो फट गया था.

बीरबल – जहाँ पनाह आप इसे क्या सज़ा देंगे इसने इतना बड़ा धोखा किया.

काज़ी अब्दुल्ला – काज़ी अब्दुल्ला गिड़गिड़ाने लगा, रहम की भीख मांगने लगा. जहाँ पनाह मैं बहुत लालची हो गया था मुझे माफ़ कर दीजिये. बस एक बार माफ कर दीजिये अब मैं कभी ऐसा नही करूंगा.

अकबर – नही तुम्हारी गलती माफ करने लायक नही है, इतने बड़े औधे पर होकर इतनी घटिया हरकत करते हुए तुम्हे शर्म नही आई. तुम्हे एक साल के लिए कारावास में डाल दिया जाए, सिपाहियों इसे ले जाओ.

सैफ अली तुम फिक्र मत करो तुम्हे तुम्हारा पैसा मिल जाएगा और साथ ही हम तुम्हारे इस नेक काम मे सहायता करेंगे. हम तुम्हारे लिए एक मदरसा बनबा देंगे जिसमे तुम बच्चों को इल्मी तालीम देना.

सैफ अली – शुक्रिया जहाँ पनाह, शुक्रिया बीरबल मेरा साथ देने के लिए.

अकबर – शाबास बीरबल! अच्छा ये बताओ कि तुम्हे कैसे पता चला काज़ी अब्दुल्ला ही दोषी है?

बीरबल – जब मैंने सैफ अली के मुँह ये सुना मुझसे थैले पर मोहर लगाने को काज़ी अब्दुल्ला ने कहा तभी मैने सैफ अली से जांच करने के लिए थैला मांगा. मैं समझ गया पैसा मोहर तोड़ कर नही किसी और तरीके से निकाला गया है. फिर क्या था तलाश थी एक दर्जी की जिसे अच्छे से रफू करना आता हो.

अकबर – वाह! बीरबल वाह! तुमने एक बार फिर मिसाल कायम कर दी.

शिक्षा इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी दूसरों की संपत्ति पर लालच नहीं करना चाहिए.

दोस्तों akbar birbal story with moral समय बिताने के साथ साथ अपने बच्चों को शिक्षित करने का ऐसा तरीका है जिसमें समय का पता ही नहीं चलता. कई बार आप के घर के बच्चे आप को बोलते होंगे की akbar birbal ki kahani bataiye उस समय आपको जवाब देना काफी मुश्किल होता होगा. इसीलिए प्रस्तुत हैं अकबर बीरबल की कहानियां.

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रेत से चीनी अलग करना

एक समय की बात है कि बादशाह अकबर के दरबार की कार्यवाही चल रही थी, तभी एक दरबारी के हाथ में एक शीशे का एक मर्तबान लिए वहां आया.

बादशाह अकबर ने पूछा – क्या है इस मर्तबान में ?

दरबारी ने कहा – इसमें रेत और चीनी का मिश्रण है.’ जनाब !

अकबर ने पूछा  – यह किसलिए है ?

38 Akbar Birbal Stories in Hindi me PDF | Kahani Sunao-मनोरंजन

दरबारी  ने कहा –  माफी चाहता हूँ हुजूर. मैं बीरबल की काबलियत को परखना चाहता हूँ. मैं यह जानना चाहता हूँ कि बीरबल रेत से चीनी को कैसे दाना अलग – अलग कर देंगे.

बादशाह अब बीरबल से मुखातिब हुए, देख लो बीरबल, रोज ही तुम्हारे सामने एक नई समस्या रख दी जाती है.’’ वह मुस्कराए और आगे बोले, तुम्हें बिना पानी में घोले इस रेत में से चीनी को अलग करना है.

बीरबल ने कहा – कोई समस्या नहीं जहांपनाह , यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है. यह कहकर बीरबल ने वह मर्तबान उठाकर दरबार से बाहर की तरफ चल दिया. बाकी दरबारी भी उनके पीछे थे. बीरबल बाग में पहुंचकर रुका और मर्तबान से भरा सारा मिश्रण आम के एक बड़े पेड़ के चारों ओर बिखेर दिया.

एक दरबारी ने पूछा –  यह तुम क्या कर रहे हो ?

बीरबल ने कहा – यह तुम्हें कल पता चलेगा.

अगले दिन सभी लोग फिर से उस आम के पेड़ के निकट जा पहुंचे. वहां अब केवल रेत पड़ी थी, चीनी के सारे दाने चीटियां बटोर कर अपने बिलों में पहुंचा चुकी थीं. कुछ चीटियां तो अभी भी चीनी के दाने घसीट कर ले जाती दिखाई दे रही थीं.

एक दरबारी ने पूछा – लेकिन सारी चीनी कहां चली गई ?’

बीरबल ने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा –  रेत से अलग हो गई. सभी जोरों से हंस पड़े.

बादशाह अकबर को जब बीरबल की चतुराई का पता चला तो उन्होंने कहा – ‘‘अब तुम्हें चीनी ढूंढ़नी है तो चीटियों के बिल में घुसना होगा.’’

सभी दरबारियों ने जोरदार ठहाका लगाया और बीरबल का गुणगान करने लगे.

शिक्षा इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी किसी की बुद्धि का परीक्षण नहीं करना चाहिए.

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ईश्वर अच्छा ही करता है

बीरबल एक ईमानदार तथा धर्म-प्रिय व्यक्ति था. वह रोजाना ईश्वर की पूजा व आराधना किया करता था. इससे उसे नैतिक व मानसिक बल प्राप्त होता था. वह हमेशा कहा करता था कि ‘भगवान जो कुछ भी करता है मनुष्य के अच्छे के लिए ही करता है. कभी-कभी हमें ऐसा प्रतीत होने लगता है कि भगवान हमारे साथ ठीक नहीं कर रहा है, लेकिन ऐसा होता नहीं है. कभी-कभी तो लोग ईश्वर के वरदान को भी लोग शाप समझने की भूल कर बैठते हैं. लेकिन ईश्वर हमको थोड़ी – सी पीड़ा इसलिए देता है ताकि हम बड़ी पीड़ा से बच सकें.’

39 Akbar Birbal Stories in Hindi me PDF | Kahani Sunao-मनोरंजन

एक दरबारी को बीरबल की ऐसी बातें पसंद नहीं आती थीं. एक दिन वही दरबारी दरबार में बीरबल को संबोधित करता हुआ बोला, ‘‘देखो, ईश्वर ने मेरे साथ क्या किया, कल-शाम को जब मैं जानवरों के लिए चारा काट रहा था तो अचानक मेरी छोटी उंगली कट गई. क्या अब भी तुम यही कहोगे कि प्रभु ने मेरे लिए यह अच्छा किया है ?’’

कुछ देर चुप रहने के बाद बीरबल ने कहा – ‘‘मेरा अब भी यही विश्वास है क्योंकि प्रभु जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है.’’

यह सुनकर वह दरबारी बहुत ही नाराज हो गया कि मेरी तो उंगली कट गई और बीरबल को इसमें भी अच्छाई नजर आ रही है. मेरी पीड़ा तो जैसे कुछ भी है ही नहीं. कुछ अन्य दरबारियों ने भी उसके सुर में सुर मिलाया.

तभी बीच में हस्तक्षेप करते हुए बादशाह अकबर बोले, ‘‘बीरबल हम भी अल्लाह पर भरोसा रखते हैं, लेकिन यहां तुम्हारी बात से सहमत नहीं. इस दरबारी के मामले में ऐसी कोई बात नहीं दिखाई देती जिसके लिए उसकी तारीफ की जाए.’’

बीरबल हँसता हुआ बोला, ’’ठीक है जहांपनाह, समय ही बताएगा अब.’’

तीन महीने बीत चुके थे. वह दरबारी, जिसकी उंगली कट गई थी, घने जंगल में शिकार खेलने निकला हुआ था. एक हिरन का पीछा करते वह भटककर आदिवासियों के हाथों में जा पड़ा. वे आदिवासी अपने देवता को प्रसन्न करने के लिए मानव बलि में विश्वास रखते थे. अतः वे उस दरबारी को पकड़कर मंदिर में ले गए, बलि चढ़ाने के लिए. लेकिन जब पुजारी ने उसके शरीर का निरीक्षण किया तो हाथ की एक उंगली कम पाई.

तब पुजारी ने कहा – इस आदमी की बलि नहीं दी जा सकती. यदि नौ उंगलियों वाले इस आदमी को बलि चढ़ा दिया गया तो हमारे देवता प्रसन्न होने की बजाय हम पर बहुत ही नाराज हो जाएंगे, अधूरी बलि उन्हें पसंद नहीं. हमें महामारियों, बाढ़ या सूखे का प्रकोप झेलना पड़ सकता है. इसलिए इसे छोड़ देना ही ठीक होगा.’’

और उस दरबारी को मुक्त कर दिया गया.

अगले दिन वह दरबारी दरबार में बीरबल के पास आकर विलाप करने लगा.

तभी बादशाह भी दरबार में आ पहुंचे और उस दरबारी को बीरबल के सामने रोता देखकर हैरान रह गए.

अकबर ने कहा – ‘‘तुम्हें क्या हुआ, तुम यह विलाप क्यों कर रहे हो ?

दरबारी ने अपनी आपबीती विस्तार से सुनाई. वह बोला, ‘‘अब मुझे विश्वास हो गया है कि ईश्वर जो कुछ भी करता है, मनुष्य के भले के लिए ही करता है. यदि मेरी उंगली न कटी होती तो निश्चित ही आदिवासी मेरी बलि चढ़ा देते. इसीलिए मैं रो रहा हूं, लेकिन ये आंसू खुशी के हैं. मैं खुश हूं क्योंकि मैं जिन्दा हूं. बीरबल के ईश्वर पर विश्वास को संदेह की दृष्टि से देखना मेरी सबसे बड़ी भूल थी.’’

अकबर ने मंद-मंद मुस्कराते हुए दरबारियों की ओर देखा, जो सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे. अकबर को गर्व महसूस हो रहा था कि बीरबल जैसा बुद्धिमान उसके दरबारियों में से एक है.

शिक्षा इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें भी अपने ईश्वर पर पूरा विश्वास रखना चाहिए.

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सबकी सोच एक – जैसी

दरबार की पंचायत चल रही थी. सभी दरबारी एक ऐसे प्रश्न पर विचार कर रहे थे कि जो राज-काज चलाने की दृष्टि से बेहद अहम न था. सभी एक-एक कर अपनी राय दे रहे थे. बादशाह दरबार में बैठे यह महसूस कर रहे थे कि सबकी राय अलग है. उन्हें आश्चर्य हुआ कि सभी एक जैसे क्यों नहीं सोचते!

तब बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा, “क्या तुम बता सकते हो कि लोगों की राय आपस में मिलती – जुलती क्यों नहीं? सब अलग-अलग क्यों सोचते रहते हैं?”

बीरबल बोले – “हमेशा ऐसा नहीं होता, बादशाह सलामत! कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जिन पर सभी के विचार समान होते हैं.”

40 Akbar Birbal Stories in Hindi me PDF | Kahani Sunao-मनोरंजन

इसके पश्चात कुछ और काम निपटा कर दरबार की कार्यवाही समाप्त हो गई. सभी अपने-अपने घर की ओर लौट जाते हैं.

उसी शाम जब बीरबल और बादशाह अकबर बाग में घूम रहे थे, तो बादशाह ने फिर वही राग छेड़ दिया और बीरबल से बहस करने लगे.

तब बीरबल बाग के ही एक कोने की ओर उंगली से संकेत करते हुए बोले, “वहां उस पेड़ के निकट एक कुंआ है. वहां चलिए, मैं कोशिश करता हूं कि आपको समझा सकूं कि जब कोई समस्या जनता से जुड़ी हो तो सभी एक जैसा ही सोचते हैं. मेरे कहने का मतलब यह है कि बहुत-सी ऐसी बातें हैं जिनको लेकर लोगों के विचार एक जैसे होते ही हैं.”

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बादशाह अकबर ने कुछ देर कुंए की ओर देखा , और फिर बोले, “लेकिन मैं कुछ समझा नहीं, तुम्हारे समझाने का ढंग कुछ अजीब-सा है.” बादशाह जबकि जानते थे कि बीरबल अपनी बात सिद्ध करने के लिए ऐसे ही प्रयोग करता रहता है.

“सब समझ जाएंगे हुजूर!”

बीरबल बोला, “आप शाही फरमान जारी कराएं कि नगर के हर घर से एक लोटा दूध लाकर बाग में स्थित इस कुंए में डाला जाए. दिन पूर्णमासी का होगा. हमारा नगर बहुत बड़ा है, यदि हर घर से एक लोटा दूध इस कुएं में पड़ेगा तो यह दूध से भर जाएगा.”

बीरबल की यह बात सुन बादशाह अकबर ठहा का लगाकर हंस पड़े. फिर भी उन्होंने बीरबल के कहेनुसार फरमान जारी कर दिया.

शहर भर में आवाज लगवा दी गई कि आने वाली पूर्णमासी के दिन हर घर से एक लोटा दूध लाकर शाही बाग के कुंए में डाला जाए. जो ऐसा नहीं करेगा उसे बहुत कढ़ी सजा मिलेगी.

पूर्णमासी के दिन बाग के बाहर लोगों की कतार लग गई. इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा था कि हर घर से कोई न कोई वहां जरूर आए. सभी के हाथों में दूध से भरे हुए पात्र (बरतन) दिखाई दे रहे थे.

बादशाह अकबर और बीरबल दूर बैठे यह सब देख रहे थे और एक-दूसरे को देख मुस्करा रहे थे. शाम ढलने से पहले कुंए में दूध डालने का काम पूरा हो गया. हर घर से दूध लाकर कुंए में डाला गया था.

जब सभी वहां से चले गए तो बादशाह अकबर व बीरबल ने कुंए के निकट जाकर अंदर झांका. कुंआ मुंडेर तक भरा हुआ था. लेकिन यह देख बादशाह अकबर को बेहद हैरानी हुई कि कुंए में दूध नहीं पानी भरा हुआ था. दूध का तो कहीं नामोनिशान तक न था.

हैरानी भरी निगाहों से बादशाह अकबर ने बीरबल की ओर देखते हुए पूछा, “ऐसा क्यों हुआ? शाही फरमान तो कुंए में दूध डालने का जारी हुआ था, यह पानी कहां से आया? लोगों ने दूध क्यों नहीं डाला?”

बीरबल एक जोरदार ठहाका लगाता हुआ बोला, “यही तो मैं सिद्ध करना चाहता था हुजूर! मैंने कहा था आपसे कि बहुत-सी ऐसी बातें होती हैं जिस पर लोग एक जैसा सोचते हैं, और यह भी एक ऐसा ही मौका था. लोग कीमती दूध बरबाद करने को तैयार न थे. वे जानते थे कि कुंए में दूध डालना व्यर्थ है. इससे उन्हें कुछ मिलने वाला नहीं था. इसलिए यह सोचकर कि किसी को क्या पता चलेगा, सभी पानी से भरे बरतन ले आए और कुंए में उड़ेल दिए. नतीजा…दूध के बजाय पानी से भर गया कुंआ.”

बीरबल की यह चतुराई देख बादशाह अकबर ने उसकी पीठ थपथपाई.

बीरबल ने सिद्ध कर दिखाया था कि कभी-कभी लोग एक जैसा भी सोचते हैं.

शिक्षा इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें भी कभी एक जैसा नहीं सोचना चाहिए.

बीरबल मुर्गा है

अकबर और बीरबल की कहानियाँ मुख्य रूप से लोकप्रिय हैं क्योंकि बीरबल राजा अकबर के वफादार हैं. दरबार में हर कोई यह जानता था और कुछ इसी कारण से बीरबल से ईर्ष्या भी करते थे.

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एक बार ऐसा हुआ कि अकबर बीरबल से कहना चाहता था कि वह वफादार नहीं है. इसके लिए उन्होंने कुछ प्लान किया. उसने अपने दरबार के सभी सदस्यों को बुलाया और उनसे कहा कि वे अगले दिन अपने वस्त्र में एक अंडा लेकर दरबार में लाएं.

अगले दिन सबने वैसा ही किया. जब अदालत शुरू हुई, तो राजा अकबर ने घोषणा की, “मैं आप सभी को शाही बगीचे में जाने और आप में से प्रत्येक को एक अंडा लाने का आदेश देता हूं.”

तुरंत, वे सभी बगीचे में गए और उन अंडों को निकाल लिया जिन्हें वे छुपा रहे थे. वे उन्हें वापस राजा के पास ले आए और उन्हें दिखाया.

लेकिन बीरबल को बगीचे में एक भी अंडा नहीं मिला. उसने कुछ देर सोचा और समझ गया कि यह राजा की योजना है. फिर उसने एक विचार सोचा.

वह मुर्गे की तरह चिल्लाते हुए दरबार में आया.

राजा सहित सभी दंग रह गए और ठहाके लगाने लगे. बाद में राजा ने पूछा, “यह बीरबल क्या है?” तब बीरबल ने कहा, “महाराज, ये सब मुर्गियाँ हैं. इसलिए वे बगीचे में गए और अंडे दिए. लेकिन मैं एक मुर्गा हूँ, मैं अंडे नहीं दे सकता!”

बीरबल के उत्तर से राजा को फिर सुखद आश्चर्य हुआ.

शिक्षा हर समय सकारात्मक सोचें और किसी भी समस्या को हल करने के लिए नवीन विचारों के साथ आएं.

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भगवान मानव रूप क्यों लेते हैं?

एक दिन अकबर ने बीरबल से पूछा, “भगवान इंसान का रूप क्यों लेता है जबकि वह सब कुछ अपनी मर्जी से कर सकता है..?”

प्रश्न सुनने के बाद बीरबल ने अकबर से उसे कुछ समय देने के लिए कहा ताकि वह अकबर को इस प्रश्न का उपयुक्त उत्तर देने का तरीका सोच सके.

अकबर इंतजार करने को तैयार हो गया.

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इसी बीच बीरबल अकबर के बेटे के कमरे में गया. वहाँ बीरबल उस दासी के पास गया जो अकबर के बच्चे की देखभाल कर रही थी और उससे कहा, “आज अकबर ने मुझसे एक दार्शनिक प्रश्न पूछा और मुझे उस प्रश्न पर अकबर को उचित उत्तर देना है और उसके लिए मुझे आपकी सहायता की आवश्यकता है.”

बीरबल ने आगे कहा, “अब ध्यान से सुनो.. अकबर जब आकर अपने बच्चे के साथ खेलने के लिए पूल के किनारे बैठ जाए, तो उसके बच्चे को अंदर छिपा दें. इसके बजाय एक खिलौना-बच्चे को बाहर लाएँ और पूल के पास गिरने का नाटक करें और उस खिलौने-बच्चे को पूल में फेंक दें. ”

अंत में बीरबल ने उसे सुनिश्चित किया कि वह इसके लिए परेशानी में नहीं पड़ेगी. वह बीरबल की सहायता करके प्रसन्न हुई और ऐसा करने के लिए तैयार हो गई.

रोज की तरह शाम को अकबर शाम की सैर से लौटा और अपने बेटे के साथ खेलने के लिए पूल के पास बेंच पर बैठ गया. वहाँ बैठने के बाद अकबर ने दासी से अपने पुत्र को वहाँ लाने को कहा.

बीरबल की योजना के अनुसार बच्चे को अकबर के पास लाते समय धीरे-धीरे कुंड के किनारे चल रही नौकरानी ने संतुलन खोने का नाटक किया और खिलौना-बच्चे को टैंक में फेंक दिया.

अकबर तुरंत दौड़ा और अपने बेटे को बचाने के लिए कुंड में कूद गया.

तभी बीरबल अकबर के बेटे के साथ आए और बोले, “चिंता मत करो. यहाँ तुम्हारा बेटा है. ”

अकबर उसके इस कृत्य पर क्रोधित हो गया और उसे इस शरारत के लिए दंडित करने का आदेश दिया.

बिना समय गवाए बीरबल ने कहा, “आपने आज कोर्ट में जो प्रश्न पूछा, उसका व्यावहारिक उत्तर मैंने दे दिया है. हालाँकि आपके बच्चे को बचाने के लिए बहुत सारे नौकर थे, फिर भी आप अपने बच्चे के लिए स्नेह से बाहर थे, आप स्वयं पूल में कूद गए.

शिक्षा इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भगवान केवल इच्छा से सब कुछ पूरा कर सकते हैं, फिर भी वे स्वयं इस दुनिया में मानव रूप में अपने भक्तों के लिए प्यार और उन्हें परेशानी से बचाने और अपनी उपस्थिति से आशीर्वाद देने के लिए आते हैं.

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भ्रष्ट अधिकारी

एक दिन पहरेदारों ने एक व्यक्ति को राजा अकबर के दरबार में पेश किया.

पहरेदारों में से एक ने कहा, “महाराज, वह रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया आदमी है.”

“वह किस रूप में काम कर रहा था?” राजा ने पूछा.

“महामहिम, वह अन्न भंडार के प्रभारी अधिकारी हैं.”

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“उसे जेल में डाल दो. मैं उसकी सजा के बारे में बाद में सोचूंगा.” तब बीरबल ने कहा, “भ्रष्ट व्यक्ति जो भी पद धारण करेगा, वह रिश्वत लेगा.”

एक दरबारी उठ खड़ा हुआ और बोला, “मैं आपसे क्षमा चाहता हूं लेकिन मैं इस पर विश्वास नहीं करता. कुछ काम ऐसे होते हैं जिनमें कोई रिश्वत नहीं ले सकता.”

“ठीक है,” बीरबल ने कहा, “मैं इस भ्रष्ट आदमी को आपके द्वारा सुझाए गए काम पर लगा दूंगा और हम देखेंगे कि वह क्या करता है.”

तो दरबारी ने कहा, “उसे यमुना नदी में लहरों को गिनने का काम दे दो. मुझे यकीन है कि वह इस काम में रिश्वत नहीं ले सकते.”

राजा अकबर और बीरबल सहमत हो गए. भ्रष्ट आदमी को जेल से बुलाया गया और उसे पूरे दिन यमुना नदी के किनारे बैठकर उसकी लहरों को गिनने के लिए कहा गया.

कुछ दिन बीत गए. एक दिन राजा अकबर ने पूछा, “बीरबल, क्या उस आदमी से कोई शिकायत है जिसे हमने रिश्वत लेने के लिए दंडित किया था?”

दरबारी ने हस्तक्षेप किया, “कोई खबर नहीं है. महामहिम, मैंने तुमसे कहा था कि वह वहां रिश्वत नहीं ले सकता.”

इस पर बीरबल ने कहा, “अच्छा, कल सुबह वहाँ जाओ और खुद देख लो.”

अगले दिन भोर में, बीरबल, दरबारी और राजा अकबर ने खुद को मछुआरों के रूप में प्रच्छन्न किया. उन्होंने एक नाव, एक जाल लिया और यमुना नदी के लिए निकल पड़े. वे किनारे के पास दौड़ पड़े जहाँ वह आदमी हाथ में कलम और कागज लिए बैठा था और कुछ नोट करने में व्यस्त था.

जैसे ही वे उसके पास पहुँचे, वह उठा और चिल्लाया, “अरे, तुम कौन हो? तू यहाँ क्या कर रहा है?”

“हम गरीब मछुआरे हैं, सर. हम यहां पानी से मछलियां पकड़ने आए हैं.”

“क्या आप जानते हैं कि आपने शाही आदेशों द्वारा किए जा रहे कुछ काम में हस्तक्षेप किया है? मुझे नदी में लहरें गिनने के लिए नियुक्त किया गया है. अब तुम आए और मुझे परेशान किया. आपको इसके लिए दंडित किया जाएगा. ”

“लेकिन साहब, हम गरीब मछुआरे हैं.” “ठीक है, आपको सौ सोने के सिक्कों का जुर्माना देना होगा.”

“दयालु बनो साहब. हमारे पास इतना कुछ नहीं है लेकिन… “

“तुम मुझे पचास सोने के सिक्के दे सकते हो. आप नहीं कर सकते?” आदमी ने कहा.

लेकिन एक मछुआरे ने गुस्से से कहा, “वह सौ मांग रहा है और मैं उसे दूंगा,” यह कहकर उसने अपना भेष उतार दिया. वह राजा अकबर थे. वह आदमी सदमे में पीछे हट गया.

“मैं तुम्हें तुम्हारी पीठ पर सौ कोड़े दूंगा.” राजा ने उस आदमी से कहा.

फिर उसने बीरबल से कहा, “आप ठीक कह रहे थे बीरबल. एक भ्रष्ट आदमी चाहे जिस भी नौकरी में हो, रिश्वत लेने के तरीके ढूंढ ही लेता है.”

दरबारी के पास कहने के लिए कुछ नहीं था. भ्रष्ट अधिकारी को सौ कोड़े मारे गए और जेल में डाल दिया गया.

शिक्षा इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी किसी से रिश्वत नहीं लेनी चाहिए.