सम्राट अशोक इन हिंदी|सम्राट अशोक कौन था ? 

BIOGRAPHY

आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में सम्राट अशोक इन हिंदी के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं चक्रवर्ती सम्राट अशोक का जन्म 304 ई.पू वर्तमान बिहार के पाटलिपुत्र में हुआ था.

जीवन परिचय – 

नाम सम्राट अशोक

जन्म और स्थान 304 ई. पू पाटलिपुत्र

शासन का समय 269 ई.पू से 232 ई.पू 

पहचान महान राजा के रूप में

पत्नी का नाम देवी, कारुवाकी, पद्मावती, तिष्यरक्षिता

पिता एवं माता बिन्दुसार एवं शुभाद्रंगी 

मृत्यु 232 ई पु

मृत्यु-

ध्यान रखने वाली बात यह है कि अशोक ने तकरीबन 40 वर्ष तक शासन किया जिसके पश्चात् लगभग 234 ईसापूर्व में उनकी मृत्यु हो गई। उसके कई संतान एवं पत्नियां थीं। उनके बारे में ज्यादा मालूम नहीं है। अशोक की मृत्यु के पश्चात् मौर्य राजवंश तकरीबन 50 वर्ष तक चला। लुम्बिनी में भी अशोक स्तंभ अवश्य देखा जा सकता है। कर्नाटक के कई स्थानों पर उसके धर्मोपदेश के शिलोत्कीर्ण अभिलेख ज़रूर मिले हैं।

जन्म एवं स्थान –

बता दें कि चक्रवर्ती सम्राट अशोक का जन्म 304 ई.पू वर्तमान बिहार के पाटलिपुत्र में हुआ था. सम्राट बिन्दुसार के पुत्र एवं मौर्य वंश के तीसरे राजा के रूप में माने गये थे. चन्द्रगुप्त मौर्य की तरह ही उनका पोता भी बहुत ही अधिक शक्तिवान था. पाटलिपुत्र नामक स्थान पर जन्म लेने के पश्चात् उन्होंने अपने राज्य को पूरे अखंड भारतवर्ष में फैलाया एवं पूरे भारत पर एकछट राज किया.

अशोक स्तंभ एवं बौद्ध स्तूप

बता दें कि अशोक महान ने जहां-जहां भी अपना साम्राज्य स्थापित किया, वहां-वहां अशोक स्तंभ भी बनवाए गये। उनके हजारों स्तंभों को मध्यकाल के मुस्लिमों ने ध्वस्त भी कर दिया। इसके अलावा उन्होंने हजारों बौद्ध स्तूपों का निर्माण भी करवाया था। दरअसल अपने धर्मलेखों के स्तंभ आदि पर अंकन के लिए उन्होंने ब्राह्मी एवं खरोष्ठी दो लिपियों का इस्तेमाल भी किया था। कहते हैं कि उन्होंने लगभग तीन वर्ष के अंतर्गत कम से कम 84,000 स्तूपों का निर्माण भी कराया था।

सम्राट अशोक की पत्नी – 

याद रखने वाली बात यह है कि सम्राट अशोक ने कम से कम पांच विवाह किए थे, सम्राट अशोक की पांचों पत्नियों के नाम देवी, तिष्यरक्षिता, देवी, कारुवाकी, पद्मावती था। अशोक की अंतिम पत्नी कौर्वकी थी, जिससे अशोक ने प्रेम-विवाह रचाया था, इसके अलावा अशोक ने विदिशा महादेवी साक्याकुमारी से शादी की थी। एक बार जब सम्राट अशोक ईलाज करवाने उज्जैन गए हुए थे तो उस समय अशोक की मुलाकात विदिशा की राजकुमारी महादेवी से हो गई, उसके पश्चात् अशोक ने महादेवी साक्याकुमारी से भी विवाह कर लिया था.

शिक्षा –

दरअसल सम्राट अशोक जन्म से ही एक महान शासक थे, उसके साथ ही वे ज्ञानी एवं महान शक्तिवान शासक भी थे. महान सम्राट अशोक अर्थशास्त्र एवं गणित के महान ज्ञाता भी थे. सम्राट अशोक ने शिक्षा के प्रचार के लिए कई स्कूल एवं कॉलेजों की स्थापना भी की थी. इन्होंने 284 ई.पू बिहार में एक उज्जैन अध्ययन केंद्र की स्थापना की थी. इतना ही नहीं इन सबके अलावा भी उन्होंने कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की थी. सम्राट स्वयं शिक्षा के क्षेत्र में भी कई महान काम अवश्य किये थे जिनके कारण से उन्हें एक महान शासक के नाम से माना जाता है.

अशोक का परिवार – 

याद रहे कि मौर्य वंश का संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य था, चंद्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी बिंदुसार था एवं बिंदुसार का उत्तराधिकारी सम्राट अशोक महान हुआ जो 269 ईसा पूर्व में मगध की राजगद्दी पर बैठा, दरअसल सम्राट अशोक की माता का नाम सुभद्रांगी था, अशोक ने 273 ईसा पूर्व में ही सिंहासन प्राप्त कर लिया था परन्तु ग्रह युद्ध होने के कारण राज्य अभिषेक 4 वर्षों के पश्चात् 269 ईसा पूर्व में हुआ, अशोक की पांचों पत्नियों के नाम देवी, तिष्यरक्षिता, देवी, कारुवाकी, पद्मावती था, सम्राट अशोक की सभी संतानों के नाम महेंद्र, संघमित्रा, तीवर, कनार, चारुमती था.

धार्मिक परिचय –

आपको यह भी बता दूँ कि सम्राट अशोक स्वयं एक महान धार्मिक सहिष्णु शासक थे. सम्राट अशोक बौद्ध धर्म के अनुयायी भी थे. सम्राट अशोक पशु हत्या के बिल्कुल खिलाफ रहा करते थे. सम्राट अशोक जनता को सदैव जियो एवं जीने दो का ज्ञान दिया करते थे. सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने दूत यानी प्रचारकों को श्रीलंका, नेपाल, सीरिया, अफगानिस्तान आदि स्थानों पर भी भेजा था. सम्राट अशोक ने अपने पुत्र एवं पुत्री को भी इन देशों की यात्रा पर भेजा था, ताकि वे इन देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार कर सके एवं लोगों को धार्मिक बना सके. बौद्ध धर्म का प्रचार करने में सबसे अधिक सफलता उनके सबसे बड़े पुत्र महेंद्र को मिली थी. उसने श्रीलंका राज्य के राजा तिस्स को बौद्ध धर्म अपनाने के लिए विवश भी कर दिया था जिसे एक बाद राजा तिस्स ने बौद्ध धर्म को राजधर्म में परिवर्तित कर लिया. अशोक से प्रेरित होकर तिस्स ने स्वयं को ‘देवनामप्रिय’ की उपाधि भी दी।

अशोक का ह्रदय परिवर्तन

कलिंग युद्ध के परिणामों के बारे में अशोक के 13वे अभिलेखों से विस्तृत जानकारी मिलती है, 13वे शिलालेख के अनुसार 1 लाख 50 हजार मनुष्यों को बंदी बनाकर निर्वासित कर दिए गए, तकरीबन 1 लाख लोगों की हत्या भी की गई वह इससे कई गुना अधिक मारे गए. युद्ध में शामिल होने वाले सभी ब्राह्मणों श्रमणो एवं ग्रहस्थियो को अपने संबंधियों के मारे जाने से बहुत दुख एवं कष्ट भी हुआ।

कलिंग युद्ध में भयंकर खून-खराबा एवं नरसंहार हुआ जिसको अपनी आंखों से सम्राट अशोक ने देखा, इस भयानक नरसंहार एवं खून खराबे को देखकर अशोक के हृदय में महान परिवर्तन उत्पन्न हुआ, सम्राट अशोक के ह्रदय में मानवता के प्रति दया एवं करुणा जाग उठी एवं हमेशा के लिए युद्ध क्रिया-कलापों को बंद करने की घोषणा भी कर दी.

FAQ –

Q : सम्राट अशोक कौन था ?  

Ans :बता दें कि सम्राट अशोक भारत का प्रमुख शासक था जो कियह मौर्य वंश से संबंधित था।

Q : सम्राट अशोक किस धर्म का अनुयायी था ?

Ans :दरअसल सम्राट अशोक बौद्व धर्म का अनुयायी था। 

Q : सम्राट अशोक ने अपने जीवन मे कितने युद्ध लडे ?

Ans :इन्होंने अपने जीवन में केवल एक की युद्ध लड़ा था। 

Q : सम्राट अशोक का राज्य कहाँ तक फेला था ?

Ans :याद रहे कि सम्राट अशोक का साम्राज्य उत्तर भारत के साथ पश्चिम अफ़ग़ानिस्तान तक फैला हुआ था। 

Q : सम्राट अशोक ने अपनी अंतिम सांस कहाँ ली ?

Ans :ऐसा जाना जाता है कि सम्राट अशोक ने अपनी अंतिम साँस पाटलिपुत्र मे ही ली थी।

निष्कर्ष –

आशा करता हूँ कि हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी आपको अवश्य पसंद आई होगी अतः आपसे निवेदन है कि अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से अवश्य जुड़े रहें. धन्यवाद.