रहिमन धागा प्रेम का दोस्तों आज के समय में लोग प्रेम शब्द का अर्थ तो जानते हैं. पर जैसे रिश्तों में प्रेम बनाये रखना भूल चुके हैं ।
ऐसे में भारत के एक ज़माने के प्रख्यात कवि Raheem Das जी का दोहा आपको प्रेम से जुड़ी प्रभावी और महत्वपूर्ण सलाह देती है ।
Raheem das Jivan Parichay- ये पैराग्राफ रहीम दास जी की जीवनी के रूप में देखा जा सकता है-
Rahim Das Ji Date of Birth- रहीम दास जी का जन्म 17 दिसंबर 1556 में हुआ था । उनका निधन 1 अक्टूबर 1627 में हुआ था। Rahim Das Ji Age– वह 70 years 9 months and 16 days तक जिए थे |
ऊपर दी हुई डिटेल्स के हिसाब से रहीम दास जी लगभग 71 वर्ष जिए |
Some Other Details
उनके पिता का नाम बैरम खाँ था जिनकी हत्या कर दी गई थी। वह जन्म से मुसलमान थे पर हिंदू देवी देवता और रामायण महाभारत जैसे हिंदू मान्यताओं को बहुत सम्मान देते थे।
रहीम दास जी प्रतिभा के धनी थे एवं तलवार और कलम दोनों में सामान पकड़ रखते थे। वह एक काबिल कवि, बहुभाषाविद्, कला प्रेमी एवं विद्वान थे। इसके अतिरिक्त वह एक कुशल सेनापति और कूटनीतिज्ञ थे। रहीम दास जी सही मायनों में प्रतिभाशील एवं विद्वान थे ।
वह मानव प्रेम के सूत्रधार थे। रहीम दास जी ब्रज एवं अवध दोनों भाषाओं में सरल कविताएँ की रचना करते थे। उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ हैं रहीम दास दोहावली, सोर्था, नायिका भेद है।
रहीम दास जी मुगल बादशाह अकबर के समय के कवि और साहित्यकार थे और बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक भी थे। उनकी कई रचनाओं में से एक है रहिमन धागा प्रेम का जो आज के युग में लोगों को रिश्तों एवं संबंधों के प्रति एक महत्वपूर्ण सलाह देती है। दोस्तों इस लेख में आप रहीम दास जी के बारे में जानेंगे |
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय किस कवि की पंक्ति है?
यह दोहा विश्व प्रसिद्ध कवि रहीम दास जी की रचना है।
रहीम दास जी यह कहना चाहते हैं कि व्यक्ति को अपने संबंधों को मधुर ही रखना चाहिए और उन्हें तोड़ना या उनमें खटास नहीं लाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उस संबंध को वापस पहले जैसे नहीं किया जा सकता |
अगर संबंध वापस बन भी गए तो उनमें पहले मधुरता नहीं लाई जा सकती ।रहीम दास जी ऐसे ही सरल भाषा में रचनाएँ करते थे। रहीम दास जी बहुत सी भाषाओं के ज्ञाता थे फिर भी अपनी रचनाओं के द्वारा लोगों में भाईचारा बनाए रखना चाहते थे इसलिए सरल भाषा और सरल लेखन शैली का प्रयोग करते थे।
Rahiman Dhaga Prem ka Mat Todo Chatkay Doha Lyrics in English-
Rahiman dhaga prem ka matt todo chhitkay
Toote se phir na jure jure ganth parjaye
Rahiman Dhaga prem Ka Mat Todo Chatkaye Lyrics in Hindi-
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय
टूटे से फिर ना जुरे जुरे गाँठ पड़ जाए
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय हिंदी अर्थ-
रहीम दास जी कहते हैं कि व्यक्ति को ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए. या ऐसी कोई भी हरकत नहीं करनी चाहिए जो करने से उसके साथ किसी का भी विवाद हो. या किसी के साथ मित्रता खराब हो |
ऐसा करने के बाद व्यक्ति अपने संबंध या मित्रता को वापस जोड़ तो सकता है पर उस संबंध या मित्र में पहले जैसी मधुरता नहीं रह जाएगी। ठीक उसी प्रकार जैसे किसी रस्सी को एक बार अगर कट जाए तो पहले जैसी नहीं हो सकती अगर उसे बांध भी दीया जाए तो उसमें एक गाँठ साफ नज़र आ जाती है ।
रहीम दास जी व्यक्ति के संबंधों को एक रस्सी की तरह भी देखते हैं और इन संबंधों को मजबूत रखने के मीठा बोलने और अपने व्यवहार तथा कर्मों में दया भाव को बनाये रखने की सलाह देते हैं ।
रहीम दास जी के कुछ सुप्रसिद्ध दोहे
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि.
जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि.
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग.
चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग.
जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं.
गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं.
हिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेइ,
जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥
दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥
खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥
जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥
एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥
आशा करता हूँ मित्रों हमारा आज का यह लेख आपको पसंद आया होगा एवं दोहा समझने और रहीम दास जी की तरफ आपके ध्यान को आकर्षित करने में सफल रहा होगा। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट hellozindgi.com से जुड़े रहें ।