Anu Kya Hai in Hindi |अर्थ | मतलब | पूरी जानकारी

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सरल भाषा में जाने Anu Kya Hai in Hindi की विस्तार से जानकारी। (sensless formation)अणु क्या है, अणु की बनावट और खोज आदि प्रश्नों के जवाब इस पोस्ट में दिए गए है|

अणु क्या है – 

बता दें कि अणु पदार्थ का वह छोटा कण होता है जो प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है परन्तु रासायनिक प्रतिक्रिया में पूरी तरह से भाग नहीं ले सकता है। रसायन विज्ञान में अणु दो या दो से अधिक, एक ही प्रकार या अलग अलग प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बना होता है। परमाणु मजबूत रसायनिक बंधन के कारण आपस में जुड़े रहते हैं एवं अणु का निर्माण किया करते हैं।

तत्वों के अणु

ऐसा कहा जाता है कि किसी तत्व के अणु एक ही प्रकार के परमाणुओं के द्वारा ही संरचित होते हैं। आर्गन (Ar), हीलियम (He) इत्यादि जैसे अनेक तत्वों के अणु उसी तत्व के केवल एक परमाणु के द्वारा ही निर्मित होते हैं। परन्तु ज्यादातर अधातुओं में ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है।

जैसे – ऑक्सीजन अणु दो ऑक्सीजन परमाणुओं से बनता है, इसलिए इसे द्वि-परमाणुक अणु,0 कहते हैं। अगर सामान्यतः 2 के स्थान पर 3 ऑक्सीजन परमाणु परस्पर संयोग करते हैं तो हमें ओजोन, 0 प्राप्त होता है। ध्यान रहे कि किसी अणु की संरचना में प्रयुक्त होने वाले परमाणुओं की संख्या को उस अणु की परमाणुकता कहते हैं।

धातु अणुओं तथा कुछ अन्य तत्वों के अणुओं जैसे कि कार्बन के अणुओं की सरल संरचना बिल्कुल भी नहीं होती है परन्तु उनके अणुओं में असीमित परमाणु परस्पर बँधे होते हैं.

तीन प्रकार के अणु होते हैं।

स्पष्टीकरण:

एक अणु को एक ही तत्व के दो या दो से अधिक परमाणुओं के रूप में परिभाषित किया जाता है जो अलग-अलग तत्व होते हैं।

अणु कितने प्रकार के होते हैं – 

बता दें कि अणु तीन प्रकार के होते हैं;

  • डायटॉमिक अणु – यह एक डायटोमिक परमाणु केवल दो परमाणुओं से मिलकर बना होता है, एक ही या फिर विभिन्न रासायनिक तत्वों का। डायटोमिक अणुओं के उदाहरण O2 एवं CO हैं।
  • हेटरोन्यूक्लियर डायटोमिक अणु – दरअसल यह एक हेटेरोन्यूक्लियर डायटोमिक अणु में एक ही तत्व के दो परमाणु होते हैं। ध्यान रहे कि सात डायटोमाइसिसेल्स होते हैं: हाइड्रोजन (एच 2), नाइट्रोजन (एन 2), एवं ऑक्सीजन (ओ 2)।
  • होमोन्यूक्लियर डायटोमिक मॉलिक्यूल्स – याद रखने वाली बात यह है कि ए होमोन्यूक्लियर डायटोमिक अणु में विभिन्न तत्वों के दो परमाणु रासायनिक रूप से पूरी तरह से संयुक्त होते हैं। होमोन्यूक्लियर डायटोमिक अणुओं के उदाहरण इस प्रकार से हैं: कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCl), एवं हाइड्रोजन फ्लोराइड (HF)। 

खोज – 

बता दें कि प्राचीन दार्शनिकों के अनुसार ऐसा माना जाता था कि प्रत्येक पदार्थ बहुत छोटे कणों से मिल कर बना होता है परन्तु वैज्ञानिक जानकारी के अभाव में वे इस बात को प्रयोगों के द्वारा ही साबित नहीं कर सकते थे । जॉन डाल्टन पहले ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्होंने सन 1803 में आणविक सिद्धांत को आपके सामने रखा । 

दरअसल उनके सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक पदार्थ बहुत छोटे कणों से बना होता है जिन्हें अणु कहकर पुकारते हैं। अणु अर्थात ‘ एटम ‘ एक यूनानी शब्द बताया गया है जिसका मतलब होता है ‘ जिसे काटा नहीं जा सकता हो । ‘ यहां ‘ ए ‘ का मतलब होता है ‘ नो ‘ अर्थात नहीं एवं ‘ टॉम ‘ का ‘ कट ‘ अर्थात काटना । अणु को कभी भी बनाया नहीं जा सकता एवं न ही उसे पूरी तरह नष्ट किया जा सकता है । 

अणु की बनावट –

बता दें कि अणु की बनावट की तुलना हमारी सौर प्रणाली से अवश्य की जा सकती है । सूर्य के गिर्द जैसे ग्रह चक्कर लगाते हैं , ऋणात्मक रूप से आवेशित ‘ इलैक्ट्रोन्स ‘ घनात्मक रूप से आवेशित ‘ न्यूक्लियस ‘ के गिर्द अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते हैं । अणु का लगभग सारा पिंड न्यूक्लियस की ओर संकेंद्रित होता रहता है । 

ध्यान रहे कि न्यूक्लियस दो तरह के कणों से बना होता है जिन्हें प्रोटोन्स एवं न्यूट्रोन्स कहा जाता है । प्रोटोन्स घनात्मक रूप से आवेशित कण होते हैं जबकि न्यूट्रोन्स तटस्थ या न्यूट्रल कण होते हैं । कहा जाता है कि प्रोटोन का पिंड लगभग न्यूट्रीन के पिंड के बराबर ही होता है । प्रोटोन्स एवं न्यूटोन्स न्यूक्लियस में कम रेंज की आकर्षण आणविक शक्तियों से पूरे तरह से बंधे होते हैं ।

ध्यान रहे कि किसी भी तत्व के गुणधर्म वालेन्स इलैक्ट्रोन्स की संख्या पर निर्भर किया करते हैं । जब अणु को ऊर्जा प्रदान की जाती है तो सबसे बाहर वाले इलैक्ट्रोन इसे आपस में सोख लेते हैं एवं बाहरी कक्षा की ओर आकर्षित हो जाते हैं । जब वे वापस अपनी मूल कक्षा में वापस गिरते हैं तो उत्सर्जन या विकिरण उत्पन्न अवश्य होता है तब जाकर अणु का निर्माण होता है.

निष्कर्ष – 

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