इस post में हम Humidity in Hindi के बारे में पूरी जानकारी को बताने का प्रयास करेंगे और वह भी आसान और सरल भाषा में जो कोई भी समझ सकता हैं।
बता दें कि गर्मियों के समय समुद्र, नदी, तालाब आदि का जल वाष्पीकृत होकर जलवाष्प के रूप में वायुमण्डल में उपस्थित रहता है। अत: वायुमण्डल में वायु एवं जलवाष्प दोनों का मिश्रण होता रहता है। वायु के साथ घुली हुई इस जलवाष्प को आर्द्रता(Humidity in hindi) ही कहते हैं।
बता दें कि वायुमंडल में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता या (Humidity) कहते हैं । यद्यपि वायुमंडल में प्रति इकाई आयतन में इसकी मात्रा कम से कम 4% तक ही होती है फिर भी मौसम एवं जलवायु के निर्धारण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है । जलवाष्प की यह मात्रा स्थान एवं समय के अनुसार ही परिवर्तनशील भी रहती है ।
दरअसल यह स्थल की अपेक्षा सागरों पर वाष्पीकरण बहुत ही अधिक होता है । 10०N-10०S अक्षांशों में महाद्वीपों पर सर्वाधिक वाष्पीकरण होता रहता है जबकि महासागरों पर सर्वाधिक वाष्पीकरण दोनों गोलार्द्धों में 10०-20० अक्षांशों के बीच में अवश्य देखे जाते हैं ।
आर्द्रता की परिभाषा (Humidity)-“वायुमंडल में नमी की उपस्थिति को आर्द्रता ही कहा जाता है।”
दरअसल आर्द्रता उसे कहते हैं, जो हवा में पानी की वाष्प के रूप में नमी या पानी की मात्रा होती है। इन्हे निरपेक्ष आर्द्रता के नाम से भी पुकारा जाता है. इसे वायु के एक अक्षर (द्रव्यमान / मात्रा) के रूप में पानी के ग्राम में भी अवश्य मापा जाता है।
अगर दूसरे शब्दों में समझाया जाये तो वायुमंडल में विद्यमान जितनी भी अदृष्य जलवाष्प की मात्रा पायी जाती है तो उसे आर्द्रता या फिर humidity ही कहा जाता है. दरअसल ये पृथ्वी से वाष्पीकरण के द्वारा ही विभिन्न रूपों में आर्द्रता बन कर वायुमण्डल में पहुंचती रहती है। आद्रता के कारण ही वर्षा एवं वर्षण के विभिन्न रूप जैसे वायुमण्डलीय तूफान और विक्षोभ, आदि पूरी तरह से सम्भव हो पाते हैं.
दैनिक जीवन में आद्रता के उदाहरण –
- ध्यान देने वाली बात यह है कि वाष्प की यह मात्रा प्रत्येक जगह पर पूरी तरह से समान बिल्कुल भी नहीं होती। यह प्रायः समुद्रतटीय क्षेत्रों में जलवाष्प की मात्रा वायुमण्डल में अधिक मापी जाती है। यही वजह है कि तटीय शहर जैसे बम्बई, अहमदाबाद आदि जगहे कपड़े के बड़े कल कारखानों के लिये बहुत ही प्रसिद्ध हैं, क्योंकि वायु में अधिक जलवाष्प होने के कारण धागा बहुत ही तन्दुरुस्त होता है एवं वह जल्दी बिल्कुल भी नही टूटता है.
- दरअसल किसी दिये गये ताप पर वायु जलवाष्प की एक निश्चित मात्रा ही ग्रहण कर सकती है एवं इस अवस्था में वायु संतप्त (saturated) अवस्था में होती है। अगर ताप को और भी अधिक बढ़ा दिया जाए तो वायु को संतृप्त करने के लिये अधिक जलवाष्प की ज़रूरत होगी।
- बता दें कि किसी दिये हुये ताप पर वायु के किसी आयतन में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा एवं उसी ताप पर, उसी आयतन की वायु को संतृप्त करने के लिये आवश्यक जलवाष्प की मात्रा के अनुपात को आपेक्षिक आर्द्रता’ (relative humidity) ही कहते हैं।
- ध्यान में रखने वाली बात यह है कि समाचारों में मौसम सम्बन्धी जानकारी आपेक्षिक आर्द्रता को प्रतिशत में व्यक्त किया करते हैं। आपेक्षिक आर्द्रता को मापने के लिये हाइग्रोमीटर (Hygrometer) नामक यंत्र का प्रयोग भी किया करते हैं।
निष्कर्ष –
आशा करता हूँ कि हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी आपको अवश्य बढ़िया लगी होगी. अतः आपसे निवेदन है कि अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से जुड़े रहें. धन्यवाद.