NPA Full Form In Hindi What Is NPA Account In Banking

 NPA Full Form In Hindi | What Is NPA Account In Banking

Full Form in Hindi

मित्रों NPA  की फुल फॉर्म Non Performing Asset होती है. ऐसी ही अन्य Full Forms in Hindi जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट hellozindgi.com से जुड़े रहिये. तो आइये दोस्तों जानते हैं कि Full Form of NPA in Hindi क्या होती है. दोस्तों अगर आप के मन में भी ये शंका है कि NPA ka full form kya hai तो आप ठीक जगह पे हैं.  देखते हैं NPA ka full form Hindi mai.

NPA की फुल फॉर्म 

यहां आपको यह पता चल गया होगा कि NPA की फुल फॉर्म Non-performing asset होती है जिसका हिंदी में अर्थ गैर निष्पादित संपत्ति होती है यहां इसकी फुल फॉर्म से तो आपको इसके बारे में कुछ समझ में बिल्कुल भी नहीं आ रहा होगा इसलिए इसे हम बहुत ही सरल शब्दों में जानेंगे कि जब कोई देनदार अर्थात बैंक का कर्जदार अपने बैंक की EMI देने में नाकामयाब रहता है तब उसका लोन अकाउंट Non-performing asset मतलब NPA कहलाता है. अर्थात बैंक का वो कर्ज जो डूब गया है एवं जिसके फिर से बापस आने की उम्मीद नहीं आने के बराबर है उसे NPA कहते हैं.

दरअसल एनपीए किसी बैंक द्वारा किसी कर्जदार को दी हुई वह अनर्जक सम्पति होती है जो कर्जदार द्वारा लौटना अब संदिग्ध माना जा रहा हो परन्तु उस बैंक की नियमितता के आधार पर वसूली की प्रक्रिया पूरी तरह से चालू हो! NPA (एनपीए) को समझने से पहले यह समझना बहुत ही आवश्यक है कि Asset क्या है? Asset अर्थात संपत्ति कोई भी बिजनेस जिससे Income होती है उसे Asset ही कहा जाता है!

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जैसे आपका कोई व्यवसाय होगा। उससे आय होती है। उसी तरह बैंक का Loan Asset होता है! वही लोन जो बैंक ने बिजनेस के लिए दिया है उसका यदि समय पर बैंक को चुकता नहीं किया तो यह कुछ समय पश्चात बैंक के लिए उसका NPA Non Performing Asset in Banking अवश्य बन जाता है!

आपको बता दें कि मुख्यतः बैंक एनपीए को केवल तीन भाग में वर्गीकृत करता है। 

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S.Na Types

1. Sub-Standard Assets

2. Doubtful Assets

3. Loss Assets

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1. Sub-standard Assets

यह NPA 90 दिन से लेकर 1 साल के अंदर ही रहते हैं! ऐसे NPA खाते कम से कम 1साल से पहले ही खत्म हो जाते हैं या फिर 1 साल तक बच जाते हैं! यदि देनदार 1 साल के भीतर ही अपना रुका हुआ लोन पूर्ण रूप से खत्म कर देता है तो यह Sub Standard Assets कहलायेगा!

2. Doubtful Assets

इनमें उस लोन को रखा जाता है जिसमे 1 साल तक कोई भी ब्याज बिल्कुल भी नहीं आता है! देनदार लोन को चुकाने की बात करता है परन्तु चुकाता भी नहीं है इसलिए ऐसे ग्राहकों को Doubtful कहा जाता है!

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3. Loss Assets

इस तरह के लोन में कोई ब्याज तक बिल्कुल भी नहीं दिया जाता है! Bank उसको Loss में अवश्य डाल देते हैं। इस तरह के NPA Loans राइट ऑफ नहीं होता है!

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भारत में NPA कितना है

ध्यान रहे कि किसी भी बैंक का कोई भी राशि यदि NPA होती है तो बैंक उसको अपनी बैलेंस शीट से पूर्णतया हटा देते हैं। भारत में सबसे अधिक SBI बैंक का Amounts NPA होता है! कुछ महीने पहले राज्यसभा में एक रिपोर्ट पेश की गयी जिसमें State Bank Of India का करीब 1,59,621 करोड़ रूपये का एनपीए अवश्य बताया गया! आपको बता दें कि Punjab National Bank को दूसरे स्थान पर एवं Bank of Baroda को तीसरे स्थान पर रखा गया! 

NPA की समस्या

NPA की समस्या बैंकों के साथ साथ पूरी अर्थव्यवस्था को बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित करती है! आम तौर पर ऋण देने को लेकर प्रोत्साहित भी किया जाता है क्यंकि इसमें धन का प्रभाव उत्पादक उद्देश्यों के लिए किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक विकास बहुत अधिक होता है! जब भी आप बैंक से लोन लेते है तो EMI यानी कि क़िस्त में पैसा return करते हैं एवं ऐसे में यदि आप लगातार 3 क़िस्त का पैसा आप बैंक को बिल्कुल नहीं देंगे तो आपका अकाउंट NPA हो जायेगा एवं फिर आपके घर पर बैंक वाले नोटिस भी अवश्य भेजेंगे |

जब आप नोटिस के पश्चात भी यदि आप पैसा बिल्कुल भी नही देते हैं तो बैंक उस लोन के बदले जो document आपसे लिया होगा उसके आधार पर आपकी property जब्त कर लेगी जैसे की यदि आप अगर  Loan Against Property लिए होंगे तो आपका जमीन भी नीलाम हो जायेगा |

प्रयास

  • बैंकों में वसूली के लिए उनके मुख्यालय/क्षेत्रीय कार्यालय/प्रत्येक ऋण वसूली ट्रिब्यूनल (डीआरटी) में नोडल अधिकारियों की पूर्ण रूप से नियुक्ति की गई| 
  • बैंकों द्वारा घाटे की परिसंपत्तियों की वसूली पर जोर एवं परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियां संकल्प एजेंटों की भी भलीभांति नियुक्ति की गई||
  • ध्यान रहे कि राज्‍य स्‍तर के बैंकरों की समितियों को राज्य सरकारों के साथ होने वाले मामले सुलझाने के लिए सक्रिय होने के निर्देश भी अवश्य देना होता है|
  • कहा जाता है कि बैंकों में जानकारी साझा करने के आधार पर नये ऋण स्वीकृत भी किये गए| 
  • दरअसल एनपीए का क्षेत्र/गतिविधि के आधार पर विश्लेषण भी किये गए|

आपको बता दें कि NPA एक ऐसा मुद्दा है जिसके कारण से हमारी इकॉनमी एवं बैंक के लिए सिर दर्द बना हुआ है| जब भी देश में इकॉनमी की चर्चा होती है NPA को लेकर कुछ न कुछ ठोस कदम उठाने की चर्चा अवश्य की जाती है। NPA प्रभाव लोगो एवं देश की अर्थव्यवस्था में पड़ता है क्योंकि

  • यदि NPA बढ़ जाता है तो देश की अर्थव्यवस्था पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है।
  • NPA के प्रभाव से बैंक के शेयर होल्डर्स को भी बहुत बड़ा नुकसान होता है।
  • NPA के प्रभाव से बैंक्स के मुनाफे पर भी बहुत बड़ा असर भी पड़ता है।