France kya Hai|फ़्रांसीसी भाषा तथा इतिहास|पूरी जानकारी

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आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में France kya Hai के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं सरकार में प्रधानमंत्री एवं मंत्री होते हैं। प्रधान मंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा ही की जाती है, एवं वह संसद के प्रति उत्तरदायी होता है।

बता दें कि फ़्रान्स,या फ्रांस (आधिकारिक तौर पर फ़्रान्स गणराज्य ; फ़्रान्सीसी: République française) पश्चिम यूरोप में स्थित एक देश माना जाता है परन्तु इसका कुछ भूभाग संसार के अन्य भागों में भी हैं। दरअसल इसकी राजधानी पेरिस है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य माना जाता है।

फ्रांस की राजनीति –

ध्यान रखने वाली बात यह है कि फ्रांस की राजनीतिक व्यवस्था में एक कार्यकारी शाखा, एक विधायी शाखा एवं एक न्यायिक शाखा शामिल है । कार्यकारी शक्ति का इस्तेमाल गणतंत्र के राष्ट्रपति एवं सरकार के द्वारा ही किया जाता है । सरकार में प्रधानमंत्री एवं मंत्री होते हैं। प्रधान मंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा ही की जाती है, एवं वह संसद के प्रति उत्तरदायी होता है।

महत्त्वपूर्ण रोचक तथ्य –

  • बता दें कि फ्रांस की राज्यक्रांति सन 1789 ई. में लूई सोलहवां के शासनकाल में हुई थी.
  • मैं ही राज्य हूं और मेरे ही शब्द कानून हैं-ये कथन लुई चौदहवां का बताया जाता है.
  • लुई चौदहवां ने वर्साय को फ्रांस की राजधानी घोषित अवश्य किया.
  • 14 जुलाई, सन 1789 ई. को क्रांतिकारियों ने बास्तील के कारागृह फाटक को तोड़कर बंदियों को स्वतंत्र कर दिया. तब से 14 जुलाई को फ्रांस में राष्ट्रीय दिवस के रूप में अवश्य मनाया जाता है.
  • याद रहे कि टैले एक प्रकार का भूमिकर माना जाता था.
  • बता दें कि फ्रांसीसी क्रांति में सबसे अहम योगदान वाल्टे‍यर, मौटेस्यू एवं रूसो का था.
  • आल्टेयर चर्च का विरोधी हुआ करता था.
  • रूसो फ्रांस में लोकतंत्र शासन पद्धति का समर्थक काफी उत्साहवर्धक हुआ करता था.
  • सौ चूहों की अपेक्षा एक सिंह का शासन उत्तम है-ये कथन वालटेयर के हुआ करते थे.
  • लुई सोलहवां फ्रांस की गद्दी पर सन 1774 ई. में बैठा था.
  • लुई सोलहवां की पत्नी मेरी एंत्वा नेता अस्ट्रिया की राजकुमारी बनी थी.
  • सोशल कांट्रेक्ट रूसो की रचना मानी जाती है.
  • फ्रांस की राज्यक्रांति के समय फ्रांस में सामंती व्यवस्था काफी बढ़िया रही थी.
  • समानता, स्वतंत्रता एवं भाईचारे का नारा फ्रांस की राज्याक्रांति की देन बना हुआ है.
  • स्टेट्स जनरल के अधिवेशन की शुरुआत 5 मई सन 1789 ई. को हुई थी.
  • मापतौल की दशमलव प्रणाली फ्रांस की देन बताई गई है.
  • नेपोलियन का जन्म 15 अगस्त सन 1769 ई. में हुआ था.
  • बताया जाता है कि नेपोलियन का जन्म कोर्सिका द्वीप की राजधानी अजासियो में हुआ.
  • पहली बार नेपोलियन सन 1799 ई. में कॉन्सयल बनाया गया था.
  • जीवनभर के लिए नेपोलियन सन 1802 ई. में कॉन्सल बन गया था.
  • याद रखने वाली बात यह है कि सांस्कृतिक राष्ट्रियता का जनक हर्डर को कहा जाता है.
  • नेपोलियन फ्रांस का सम्राट सन 1804 ई. में बनाया गया.
  • दरअसल नेपोलियन के पिता का नाम कार्लो बोनापार्ट था.
  • लेटर्स ऑन इंगलिश वालटेयर की रचना मानी जाती है.
  • कानून की आत्मा की रचना मौटेस्यू ने अवश्य की थी.
  • आपको यह भी बता दूँ कि नेपोलियन ने ब्रिटेन की सैनिक अकादमी में शिक्षा ज़रूर प्राप्त की थी.
  • नेपोलियन ने इटली में ऑस्ट्रेलिया (सन 1796 ई.) के प्रमुख को समाप्त अवश्य किया था.
  • फ्रांस में डायरेक्टरी के शासन का अंत सन 1799 ई. में हो गया था.

फ़्रांसीसी भाषा –

बता दें कि फ़्रांसीसी भाषा एक रोमन भाषा है जो विश्वभर में लगभग ९ करोड़ लोगों के द्वारा प्रथम भाषा के रूप में अवश्य बोली जाती है। मूल रूप से इस भाषा को बोलने वाले ज्यादातर लोग फ़्राँस में ही रहते हैं जहाँ इस भाषा का जन्म हुआ था।

जब भी किसी शख्स के मुँह में फ्रांस देश के नाम आता है तो वह एवं उसके आसपास के हर मनुष्य को बहुत ही प्रसन्नता मिलती है। इस अत्यंत प्रसन्नता का कारण फ्रांस की खूबसूरती बताई जाती है जो पर्यटकों को इसके तरफ आकर्षित भी किया करती है। पश्चिमी यूरोप में बसा हुआ यह देश अपने उतर दिशा में बेल्जियम तो पूर्व में जर्मनी और स्विट्जरलैंड देश से अपने बॉर्डर साझा करता है। यदि फ्रांस से दक्षिण-पश्चिमी दिशा में जाएंगे तो स्पेन में पहुंच जाएंगे। यह देश यूरोपियन यूनियन का प्रमुख सदस्य माना जाता है क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से यूरोप महाद्वीप में स्वयं को सबसे बड़ा देश साबित करता है।

इतिहास – 

फ्रांस शब्द असल मे एक लैटिन शब्द माना जाता है जिसका मतलब होता है फ्रांक्स की भूमि। प्राचीन गौल की सीमा की तरह फ्रांस की आधुनिक सीमा भी है। यहाँ पहले सेल्टिक गॉल निवास किया करते थे। इनपर सबसे प्रथम रोम के जुलिअस सीज़र ने विजय झंडा अवश्य फहराया था। तभी से फ्रांस में रोम संस्कृति को फ्रांस में अपनाया गया।

फ्रांस में प्रथम विद्रोह कब हुआ था – 

बता दें कि फ्रांस में प्रथम विद्रोह 14 जुलाई, सन 1789 हुआ था। फ्रांसीसी क्रांति फ्रांस के इतिहास में राजनीतिक एवं सामाजिक उथल-पुथल तथा आमूलचूल परिवर्तन का दौर था, जो सन 1789 से सन 1799 तक चला। तत्पश्चात, नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांसीसी साम्राज्य के विस्तार से इस क्रांति को कुछ हद तक आगे बढ़ाया।

क्रांति के परिणामस्वरूप राजा को पूर्ण रूप से हटा दिया गया, एक गणतंत्र की स्थापना, खूनी संघर्षों की अवधि, एवं अंत में नेपोलियन की तानाशाही, जिसने इस क्रांति के कई मूल्यों को पश्चिमी यूरोप में और उसके बाहर फैलाया।

और इस क्रांति ने आधुनिक इतिहास की धारा को ही बदल दिया। इससे पूरी दुनिया में पूर्ण राजतंत्र का पतन भी हुआ, नए गणराज्यों एवं उदार लोकतंत्रों का गठन भी हुआ। महान परिवर्तनों ने पश्चिमी सभ्यता को झकझोर दिया, जिसमें फ्रांसीसी क्रांति सबसे नाटकीय एवं जटिल साबित हुई। इस क्रांति ने न केवल फ्रांस अपितु पूरे यूरोप के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था।

बता दें कि 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति (French Revolution) आधुनिक युग की एक महत्त्वपूर्ण घटना कही जाती थी. यह क्रांति (French Revolution) निरंकुश राजतंत्र, सामंती शोषण, वर्गीय विशेषाधिकार एवं प्रजा की भलाई के प्रति शासकों की उदासीनता के विरुद्ध आरंभ हुई थी. उस समय फ्रांस में न केवल शोषित और असंतुष्ट वर्ग की विद्दमान थे, अपितु वहाँ के आर्थिक एवं राजनैतिक ढाँचा में भी विरोधाभास देखा जा सकता था. राजनैतिक शक्ति का केन्द्रीकरण हो चुका था. सम्पूर्ण देश की धुरी एकमात्र राज्य था. समाज का नेतृत्व शनैः शनैः बुद्धिजीवी वर्ग के हाथ में आ रहा था. राजा शासन का सर्वोच्च अधिकारी हुआ करता था. राजा की इच्छाएँ ही राज्य का कानूनबनती थी. लोगों को किसी प्रकार का नागरिक अधिकार प्राप्त बिल्कुल भी नहीं था. राजा के अन्यायों और अत्याचारों से आम जनता बहुत ही दुखी थी. भाषण, लेखन और प्रकाशन पर कड़ा प्रतिबंध लगा हुआ था. लोगों को धार्मिक स्वंतत्रता भी बिल्कुल नहीं दी गयी थी. राष्ट्र की सम्पूर्ण आय पर राजा का निजी अधिकार जमा हुआ था. सम्पूर्ण आमदनी राजा-रानी और दरबारियों के भोग-विलास एवं आमोद-प्रमोद पर खर्च हो जाता था. राज्य के उच्च पदों पर राजा के कृपापात्रों की नियुक्ति भी होती थी. स्थानीय स्वशासन का पूरा अभाव बना हुआ था. फ्रांसीसी समाज दो टुकड़ों में बँट कर रह गया था – एक सुविधा-प्राप्त वर्ग और दूसरा सुविधाहीन वर्ग.

निष्कर्ष – 

आशा करता हूँ कि हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी आपको अवश्य पसंद आई होगी अतः आप से निवेदन है कि अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से अवश्य जुड़े रहें. धन्यवाद.