दोस्तों आज हम आपको फिर एक औषधीय गुणों से भरपूर पेड़ से परिचित कराने जा रहे हैं जिसका नाम है harsingar plant. इसके अतिरिक्त इसे parijat plant के नाम से भी जाना जाता है. दोस्तों आज हम आपको फिर एक औषधीय गुणों से भरपूर पेड़ से परिचित कराने जा रहे हैं जिसका नाम है harsingar plant । इसके अतिरिक्त इसे parijat plant के नाम से भी जाना जाता है ।
Harsingar plant एक ऐसा पेड़ है जिसका लगभग सभी हिस्सा कुछ न कुछ औषधीय गुणों से युक्त है. आज के इस लेख में हम आपको न केवल parijat flower के बारे में बतायेंगे साथ ही साथ parijat plant के बारे में समझाते हुए उसे कैसे लगाएँ या how to grow harsingar plant इस बारे ने भी विस्तार से समझाएंगे.
इसके अतिरिक्त पारिजात वृक्ष के फायदे के बारे में भी चर्चा करेंगे और उसकी पहचान करना भी सिखाएंगे जिससे हमारे पाठकों को समझ में आये की पारिजात का पौधा कैसा होता है.

Parijat plant- पारिजात एक ऐसा पौधा है जो औषधीय गुणों से तो भरपूर है ही इसके साथ साथ इसका प्रयोग धार्मिक में भी किया जाता है. मतलब धर्म की दृष्टि से भी ये पौधा काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.
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पारिजात के पौधे को ही हरसिंगार नाम से भी जाना जाता है. इसके फूल अत्यंत सुगन्धितत तथा छोटी पखुड़ियों वाले होते हैं। इसके फूल के बीच में नारंगी रंग दिखाई देता है.
फूल देने वाला औषधीय गुणों से युक्त Harsingar plant एक ऐसा वृक्ष है जो पूरे मध्य भारत और हिमाचल के निचले हिस्से में पाया जाता है. इसके अलावा इसे पूरे भारत के बाग बगीचों में भी लगाया जाता है. इसकी उँचाईं 25 – 30 फीट तक होती है और इसके फूल सुंदर आकर में सफेद रंग के होते हैं जो की बेहद सुगंधित भी होते हैं. इसे शेफाली, शेऊली आदी नामों से भी जाना जाता है.
Some other names of Harshringar –
Parijat, |
Harsingar, |
Tree of sorrow, |
Queen of night, |
Night jasmine, |
Coral jasmine, |
Shuili, Raat ki Rani. |

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पारिजात का पौधा कैसा होता है –
Harsingar plant अपने पूर्ण रूप में 25 – 30 फीट तक लंबा होता है जिसके फूल जिसे parijat flower के नाम से भी जन जाता है गोल, सफेद रंग की होते हैं जिसमें 7 पंखुड़ीयाँ होती हैं और इन फूलों के बीच केसरी रंग का गोलाकार आकृति भी होती है. ये बेहद सुगंधित होतीं है और रात में ही खिल कर रात में ही मुरझा जाती है. इसकी सात पंखुड़ीयों अध्यात्म के सात द्वार से भी जोड़ कर देख जाता है इसलिए इस पेड़ का अपना अलग अध्यात्मिक महत्व है.
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पारिजात वृक्ष के फायदे–
आँखों की समस्या का समाधान करने में पारिजात वृक्ष के फूल सक्षम होते हैं. इतना ही नहीं ये भूख बढ़ाने और अन्य पाचन समस्याओं को भी दूर करता है.
पारिजात के फूल को पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प भी घोषित किया जा चुका है. अब जानते हैं कि पारिजात के पौधे को औषधि के रूप में किस-किस रोग के लिए काम में लाया जाता है-

विभिन्न रोगों में पारिजात के पेड़ से लाभ-
- रूसी या डैंड्रफ की दिक्कत को करे जड़ से ख़तम
- गले की समस्याओं से निजात दिलाने में सहायक है पारिजात
- हरसिंगार का वृक्ष दिलाता है खांसी से निजात
- नाक व कान से खून बहने की समस्या होती है ख़त्म-
- नाक व कान से खून बहने की समस्या होती है ख़त्म-
- बार-बार पेशाब आने की दिक्कत का समाधान-
- घाव सुखाता है पारिजात का वृक्ष
- डायबिटीज में अत्यंत फायदेमंद
- गठिया रोग को दूर भगाता है पारिजात का वृक्ष
- कैसा भी बुखार दूर भगाता है पारिजात का पेड़
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रूसी या डैंड्रफ की दिक्कत को करे जड़ से ख़तम
लोगों के बालों में रूसी की दिक्कत होना आजकल एक आम बात हो गई है.यदि आप भी डैंड्रफ की समस्या से निजात पाने का कारगर उपाय ढूंढ रहे हैं तो आप हरसिंगार के प्रयोग से रूसी की समस्या से मुक्ति पा सकते हैं. पारिजात का बीज लेकर आप इसका पेस्ट बना लें. इसे सिर पर लगाएं. इससे डैंड्रफ की दिक्कत जड़ से खत्म जाएगी. आप तीन हफ़्तों तक ये प्रयोग हफ्ते में 2 बार करें.
गले की समस्याओं से निजात दिलाने में सहायक है पारिजात
गला जहाँ से शुरू होता है वहां पर जीभ ऊपर की तरफ घंटी जैसा छोटा-सा मांस का भाग होता है यदि इस भाग से जुड़ी बीमारी हो तो हरसिंगार के पौधे की जड़ को चबाएं. इस से गले से जुडी ज़्यादातर समस्याओं से निजात मिलेगी.
हरसिंगार का वृक्ष दिलाता है खांसी से निजात

खांसी की आयुर्वेदिक दवा के किये में आप पारिजात वृक्ष का प्रयोग कर सकते हैं. 500 मिग्रा पारिजात की छाल का चूर्ण बनाएं। इसका सेवन हलके गुनगुने पानी से दिन में दो बार करें खांसी शीघ्र ही ठीक होगी.

नाक व कान से खून बहने की समस्या होती है ख़त्म-
गर्मियों के मौसम में कुछ लोगों को लगातार नाक एवं कान आदि से खून बहने की समस्या से जूझना पड़ता है . हरसिंगार का पौधा लें तथा इसकी जड़ को मुंह में रखकर कुछ देर तक चबाएं. इससे नाक, कान, गला आदि से बहने वाला वाला खून बंद हो जाता है.
पेट के कीड़ों से हरसिंगार दिलाता है निजात
बच्चे हों या बड़े , सभी को बार पेट में कीड़ों की समस्या से जूझना पड़ता है. वज़न तेजी से गिरने लगता है. खाया हुआ शरीर को नहीं लगता . ऐसी स्थिति में हरसिंगार के पेड़ से कुछ ताजे पत्ते तोड़ लें. चीनी के साथ पारिजात के ताजे पत्ते का लगभग 5 मिली रस का सेवन करें. इससे पेट के हानिकारक से हानिकारक कीड़े भी खत्म हो जाते हैं.
बार-बार पेशाब आने की दिक्कत का समाधान-
अगर बच्चे या बड़े कोई भी बार-बार पेशाब आने की समस्या से ग्रसित हैं तो पारिजात का पेड़ अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा. पारिजात के पेड़ के पत्ते, जड़, और फूल तीनों को पानी में उबाल लें और इसे इतना उबालें कि यह आधा रह जाये. इसे 15 से 25 मिली मात्रा में पियें. बार-बार पेशाब आने की समस्या से निजात मिलेगी.
घाव सुखाता है पारिजात का वृक्ष
हरसिंगार के प्रयोग से घाव जल्दी से जल्दी ठीक हो जाता है. इसके बीज का पेस्ट बनाएं और शरीर पर होने वाले फोड़े-फुन्सी या अन्य प्रकार के घाव पर लगाएँ. घाव बिना दर्द के तथा आसानी से भर जाता है.
डायबिटीज में अत्यंत फायदेमंद
15 से 30 मिली पारिजात (parijatha) के पत्ते का काढ़ा बना कर रोजाना दिन में 2 बार इसका सेवन करने से डायबिटीज रोग में शीघ्र लाभ होता है.
गठिया रोग को दूर भगाता है पारिजात का वृक्ष
पारिजात इतना गुणकारी है कि गठिया जैसी खतरनाक बीमारी में इसके प्रयोग से शीघ्र लाभ मिलता है. पारिजात की जड़ का काढ़ा बनाकर इसका 10-30 मिली की मात्रा में प्रतिदिन 2 से 3 बार सेवन करें.
कैसा भी बुखार दूर भगाता है पारिजात का पेड़

पारिजात का वृक्ष बुखार के इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है पारिजात के पेड़ के पत्तों का काढ़ा बना कर 10-30 मिली काढ़ा दिन में 2 से 3 बार लें. साथ में में अदरक का चूर्ण अर्थात सौंठ एवं शहद मिलाकर सेवन करें. इससे बुखार की गंभीर स्थिति में भी लाभ मिलता है.
नीचे हम हरसिंगार के वृक्ष के कुछ और लाभ बता रहे हैं-
Harsingar के पतियों को पानी में उबालकर उसकी चाय बना कर पीने से गले की खराश और बड़े से बड़ा बुखार का उपचार किया जाता है. इसके पतियों को पीस कर उन्हें पानी में उबालकर उनका काढा बनाकर सुबह खाली पेट पीने से जोड़ों की समस्या दूर हो जाती है. Harsingar के बीज के सेवन से और उसका लेप बनाकर संबंधित स्थान में लगाने से पाइल्स या बवासीर से राहत मिलता है। Parijat flower या हरीसिंगर के फूल का लेप बन कर उसे चेहरे में लगाने से चेहरा चमकदार और उजला रहता है. 15 से 20 Parijat flower के सीधे सेवन से हृदय रोग दूर होता है। इसके पेड़ की छाल का चूर्ण बन कर उसे पान के साथ खाने से अस्थमा और अन्य साँस की बीमारी से राहत मिलती है.
पारिजात का पौधा कहां मिलेगा–
Harsingar का पौधा ऐसे तो मध्य भारत से लेकर के हिमांचल की निचली खाड़ियों तक कुदरती रूप से खुद ब खुद खिलता पर अब ये धीरे-धीरे पूरे भारत में उगाया जाने लगा है.
हरसिंगार की पहचान–
ये पौधा बड़े और छोटे दो रूप में होता है, इसका बड़ा रूप 15-20 फीट का होता है कर छोटा रूप और इसका छोटा रूप 10-11 फीट तक ही लंबा होता है. इसका एक कठोर, भूरे रंग का परतदार छाल होता है . इसके अलावा इसमें सफेद रंग के छोटे सुगंधित फूल खिलते है जिनका केंद्र केसरी रंग का होता है.
Knee Pain Cure with Harsingar leaves – दोस्तों Harsingar plant की औषधीय गुणों की सीमा बहुत अधिक है। इससे कई तरह के उपचार किये जाते हैं. इसके पत्तियों को पीस कर उनका लेप बना लें और उन्हें पानी में तब तक उबालें जब तक उनकी मात्र आधी न हो जाये , उसके बाद उस ठंडा कर लें और रोज़ सुबह नियमित रूप से सुबह खाली पेट में पीयें इससे जोड़ों के दर्द से राहत मिलेगी.
Harsingar leaves for arthirities – दोस्तों जैसा की हमने कहा की हरीसिंगर से बहुत सी समस्या से निजात पाया जा सकता है जिसमें से एक है arthirities. इसके पत्तियों को पीस कर उनका लेप बना लें और उन्हें पानी में तब तक उबालें जब तक उनकी मात्र आधी न हो जाये , उसके बाद उस ठंडा कर लें और रोज़ सुबह नियमित रूप से सुबह खाली पेट में पीयें इससे arthirities से राहत मिलती है.
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S नाम वाले लोग – LOVE, SUCCESS, HEALTH, CAREER, NATURE
Harsingar botanical name
Harsingar plant का बोटेनिकल नाम Nyctanthes arbor-tristis होता है।
Harsingar in English –Night Jasmine
दोस्तों अब ये तो आप जान ही गये होंगे की हरीसिंगर के फूल रात में ही खिल कर रात में ही मुरझा जाते हैं इसे ध्यान में रखते हैं इसका अंग्रेजी नाम night jasmine रखा गया है.
Harsingar leaves for diabetes – दोस्तों हरसिंगार के फूलों के सेवन से खून में शक्कर की मात्रा को भी नियंत्रित किया जाता है। इसे कुछ फूल को खाने से खून का sugar level कम होता है.
दोस्तों आज अपने देखा Harsingar plant कितना लाभकारी होता है , ऐसे ही तथ्यों और जानकारियों के लिए हमारे वेबसाइट hellozindgi.com से जुड़ें रहें.
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