Teak wood meaning in hindi  |सागवान लकड़ी की पहचान कैसे करें

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आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Teak wood meaning in hindi के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं सागवान का पेड़ 200 वर्षो से अधिक समय तक जीवित भी रहता है |

आपको यह बता दें कि सागवान की लकड़ी को सबसे महंगी एवं तन्दुरुस्त लकड़ियों में जाना जाता है | सागवान का पेड़ 200 वर्षो से अधिक समय तक जीवित भी रहता है | इसके पूर्ण विकसित पेड़ो की लम्बाई 100 से 140 फ़ीट तक अवश्य पाई जाती है | 

सागवान के पौधों को व्यापारिक रूप से उगाया भी जा सकता है, जिसका प्रयोग प्लाईवुड, जहाज़, रेल के डिब्बे एवं अनेक प्रकार के बहुमूल्य फर्नीचरों को बनाने में ही किया जाता है | इसके पौधों का प्रयोग दवाइयों को बनाने में भी किया करते हैं | 

सागवान की लकड़ी में कई तरह के खास गुण भी पाए जाते हैं, जिस कारण से सदैव ही बाज़ारो में इसकी मांग रहती है | सागवान की लकड़ी हल्की एवं अधिक समय तक टिकी रहती है, इसकी लकड़ी में दीमक लगने का खतरा बिल्कुल भी नहीं होता है, साथ ही साथ इसमें कम सिकुड़न एवं बहुत ही सरलता से पॉलिश भी चढ़ जाती है |

कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य – 

आपको यह बता दूँ कि निम्न बिंदुओं से वास्तविक सागवान लकड़ी की पहचान अवश्य की जा सकती है।

बनावट: असली सागवान लकड़ी की बनावट वास्तव में स्पष्ट स्याही रेखाएँ एवं तेल के धब्बे जैसी दिखती है, नकली सागवान लकड़ी में कोई स्याही रेखाएँ एवं बिखरी हुई प्रकाश बिल्कुल भी नहीं होती हैं।

रंग: इसका रंग प्रजातियों के अनुसार बदलता रहता है। बढ़िया गुणवत्ता वाला सागवान लकड़ी (जिसे अक्सर बर्मा टीक और शीशम कहा जाता है) का रंग सुनहरा-भूरा होता है, जबकि गुणवत्ता नीचे जाते ही रंग एकदम से फीका पड़ जाता है। एक सामान्य सागवान लकड़ी का रंग सफेद से पीला अवश्य हो सकता है।

ग्रेन्स: असली सागवान लकड़ी का ग्रेन्स तेल के साथ एकदम से चमकदार होता है। नकली सागवान लकड़ी पूरी तरह से सूखा होता है।

वजन: असली सागवान लकड़ी शीशम से बहुत ही हल्का एवं हेमलॉक से भारी होता है। नकली सागवान लकड़ी लोगों को यह लगता है कि यह वास्तव में बढ़िया गुणवत्ता की लकड़ी है इससे कुछ भी बनाने के लिए बहुत भारी है।

गंध: असली सागवान लकड़ी का एक विशेष स्वाद होता है एवं इसे काटते समय आप इसे सूंघ भी सकते हैं। गंध बहुत लाभदायक होती है। नकली सागवान लकड़ी की या तो कोई महक नहीं होती या फिर एक अप्रिय महक होती है।

चूरा: असली सागवान लकड़ी का चूरा बहुत ही तन्दुरुस्त तेल होता है, ये एकदम से नरम लगता है। नकली सागवान लकड़ी का चूरा सूखा एवं बहुत ही ढीला होता है।

जल अवशोषण: वास्तविक एवं नकली सागवान लकड़ी के पर टपकने वाले पानी के दो बिंदुओं को छोड़ने पर, पानी को नकली सागवान लकड़ी के द्वारा जल्दी ही अवशोषित कर लिया जाता है। असली सागवान लकड़ी बहुत धीरे-धीरे होता है, लगभग कोई पानी का अवशोषण इस पर बिल्कुल भी नहीं करता है।

पानी में भिगोना: 24 घंटे के लिए असली एवं नकली सागवान लकड़ी को पानी में डालना, असली सागवान लकड़ी में कोई भी बदलाव बिल्कुल भी नहीं होता है.

जीवनकाल –

दरअसल यह सागौन का पेड़ आम तौर पर बहुत ही लाभकारी पेड़ होता है, जिसे तैयार होने में लगभग 20 से 25 वर्ष अवश्य लगते हैं एवं उसके पश्चात् इन्हें काट कर इएस्तेमाल भी किया जाता है | किन्तु इस पेड़ को सिर्फ अलग करके  छोड़ दिया जाए तो यह लगभग 45 से 60 वर्ष या उससे भी अधिक समय तक जीवित अवश्य रह सकता है |

फूल तथा फल –

बता दें कि कि इस पेड़ के फूल आम तौर पर जुलाई महीने से खिलने शुरू होते हैं एवं सितम्बर तक खिलके पूर्ण रूप से एकदम तैयार भी हो जाते हैं | दरअसल ये फूल सफ़ेद रंग में छोटे-छोटे खिलते हैं | एवं इसके फल आम तौर पर गोलाकार आकार में होते हैं, जो केवल नवम्बर से जनवरी माह के मध्य में पाए जाते हैं | ये फल एक छोटे डाल में बहुत सारे निकलते रहते हैं |

सागवान का पेड़ के बारे में – 

बता दें कि सागवान का पेड़ एक बहुत ही सुंदर पेड़ होता है, परन्तु इसका ज्यादातर व्यावसायिक मूल्य लकड़ी के समान ही रहा है। पेड़ के तने पर पपड़ीदार भूरी छाल के नीचे हर्टवुड, एक गहरा, गहरा सोना होता है। यह प्रशंसित है, क्योंकि यह मौसम की स्थिति का सामना भी कर सकता है एवं क्षय का प्रतिरोधी भी होता है।

प्रकृति में इसकी आपूर्ति की तुलना में सागवान की लकड़ी की मांग बहुत ही ज्यादा है, इसलिए उद्यमियों ने मूल्यवान पेड़ उगाने के लिए वृक्षारोपण की स्थापना भी की है। लकड़ी के सड़ने एवं shipworms के लिए इसका प्रतिरोध इसे गीले क्षेत्रों, जैसे पुलों, डेक और नावों में बड़ी परियोजनाओं के निर्माण के लिए एकदम बढ़िया तरीके से बनाता है।

ध्यान रहे कि सागौन की लकड़ी बहुत ही तन्दुरुस्त एवं कीमती होती है। इस पर पॉलिश बहुत ही जल्दी चड़ जाती है । यह दिखने में बहुत ही आकर्षक एवं सुंदर हो जाती है। सागौन की लकड़ी कम सिकुड़ती है । इसकी तंदुरुस्ती इतनी होती है कि कई साल पुरानी इमारतों में भी यह लकड़ी ज्यों की त्यों रहती है । ख़ास कर हमारी स्कूलों में बने चमचमाते टेबल एवं कुर्सी आम तौर पर इसी सागौन की लकड़ी से बनी हुई होती है।

याद रखने वाली बात यह है कि इस लकड़ी में न तो दीमक लगती है, और न ही वह पानी में खराब होती है। इसीलिए सागौन की लकड़ी का प्रयोग अधिकतर महंगी वस्तुएं बनाने में ही किया जाता है।

सागौन की लकड़ी का इस्तेमाल जहाजों, नावों, मकानों की खिड़कियों, दरवाजों एवं फर्नीचर के निर्माण में ही होता है।

सागवान के पेड़ो की कटाई, पैदावार एवं लाभ –

बता दें कि सागवान के पेड़ो को काटने के लिए सरकार द्वारा स्वीकृति पत्र प्राप्त करना होता है | बिना सरकार की अनुमति के इसके पेड़ो की कटाई करना पूरी तरह से गैर-कानूनी होता है | सागवान के पेड़ो को कटाई के लिए तैयार होने में 10 से 12 वर्ष तक का समय अवश्य लगता है| सागवान के सिंगल पेड़ से तक़रीबन 10 से 12 क्यूबिक फ़ीट लकड़ी बहुत ही सरलता से प्राप्त की जा सकती है | ऐसा कहा जाता है कि सागवान का बाज़ारी भाव 2,500 रूपये प्रति फ़ीट क्यूबिक होता है | इससे एक पेड़ की कीमत 30,000 के आसपास मानी जाती है | एक एकड़ के खेत में तक़रीबन 400 से 500 पेड़ो को बहुत ही सरलता से लगा सकते हैं | जिससे किसान भाई एक एकड़ के खेत में एक बार की कटाई से एक से सवा करोड़ रूपए तक की कमाई बहुत ही सरलता से कर सकते हैं |

निष्कर्ष – 

आशा करता हूँ कि हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी आपको अवश्य पसंद आई होगी अतः आपसे निवेदन है कि अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट से अवश्य जुड़े रहें. धन्यवाद.