दुनिया के सात अजूबे क्या है |7 रहस्य |पूरी जानकारी

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आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में दुनिया के सात अजूबे क्या है के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं संसार के सबसे पहले सात अजूबे की सूचि लगभग 2 शताब्दी ईसा पूर्व जारी की गयी थी।

सात अजूबे क्या है 

दरअसल कुछ लोगो को इन अजूबो के नाम के बारे में तो मालूम होता है, परन्तु वह इनके बारे में पूर्ण इतिहास बिल्कुल भी नहीं जानते हैं। दुनिया में सबसे पहले अजूबो को चुनने का निर्णय हेरोडोटस एवं कल्लिमचुस ने अवश्य लिया था।

बता दें कि संसार के सबसे पहले सात अजूबे की सूचि लगभग 2 शताब्दी ईसा पूर्व जारी की गयी थी। इसी को देखते हुए, सन 2000 में एक स्विस फाउंडेशन ने विश्व के सात अजूबो की सूचि में कुछ नए अजूबे जोड़ने की चर्चा भी की थी। ऐसा इसलिए किया गया था, क्योकिं पुराने सभी अजूबे पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं।

वर्तमान में सिर्फ ग्रेट पिरामिड ऑफ़ गिज़ा ही बचा हुआ है। परन्तु जो लिस्ट स्विस फाउंडेशन ने निकाली थी, उसे पूर्ण रूप से कोई मंजूरी नहीं मिल पाई  थी। जिसके कारण से इस लिस्ट को पूरी तरह से सहमति बिल्कुल भी नहीं मिली। तो चलिए यह जानते हैं, कि दुनिया के सात अजूबे कौन – कौन से हैं।

दुनिया के सात अजूबे –

दुनिया के सात अजूबे इस प्रकार से हैं – 

चीन की दीवार – 

ध्यान देने वाली बात यह है कि चीन की विशाल दीवार मिट्टी एवं पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है जिसे चीन के विभिन्न शासको के द्वारा उत्तरी हमलावरों से रक्षा के लिए पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सोलहवी शताब्दी तक अवश्य बनवाया गया। इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस मानव निर्मित ढांचे को अन्तरिक्ष से भी ज़रूर देखा जा सकता है।

यह दीवार कम से कम 6,400 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है। इसका विस्तार पूर्व में शानहाइगुआन से पश्चिम में लोप नुर तक है और इसकी कुल लंबाई लगभग 6700 कि॰मी॰ (4160 मील) बताई गई है।

यह जानकर हर्ष होगा कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के हाल के सर्वेक्षण के अनुसार समग्र महान दीवार, अपनी सभी शाखाओं सहित 8,851.8 किमी (5,500.3 मील) तक अवश्य फैली है। अपने उत्कर्ष पर मिंग वंश की सुरक्षा हेतु दस लाख से अधिक लोग इसमें नियुक्त थे। यह अनुमानित है, कि इस महान दीवार निर्माण परियोजना में लगभग 20 से 30 लाख लोगों ने अपना जीवन लगा दिया था।

माचू पिच्चु –

दक्षिण अमेरिकी देश पेरू मे स्थित एक कोलम्बस-पूर्व युग, इंका सभ्यता से संबंधित ऐतिहासिक स्थल माना गया है। इसके नाम का अर्थ है :- ‘पुरानी चोटी।” यह समुद्र तल से कम से कम 2,430 मीटर की ऊँचाई पर उरुबाम्बा घाटी, जिसमे से उरुबाम्बा नदी बहती है, उसके ऊपर एक पहाड़ पर स्थित है।

यह कुज़्को से लगभग 80 किलोमीटर (50 मील) उत्तर पश्चिम में स्थित है। इसे अक्सर “इंकाओं का खोया शहर “ भी कहकर पुकारा जाता है। दरअसल आपको यह बता दूँ कि माचू पिच्चू इंका साम्राज्य के सबसे परिचित प्रतीकों में से एक माना गया है।

माचू पिच्चू को सन 1981 में पेरू का एक ऐतिहासिक देवालय घोषित किया गया था एवं सन 1983 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की दर्जा भी दिया गया। क्योंकि इसे स्पेनियों ने इंकाओं पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् भी नहीं लूटा था, इसलिए इस स्थल का एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में विशेष महत्व बताया गया है एवं इसे एक पवित्र स्थान भी जाना जाता है।

ताजमहल – 

बता दें कि दुनिया के 7 अजूबे में से एक भारत के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मक़बरा है। जिसका निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने, अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में ही करवाया था। ताजमहल मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है। इसकी वास्तु शैली फ़ारसी, तुर्क, भारतीय एवं इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा सम्मिलन हुआ है।

दरअसल सन् 1973 में, ताजमहल युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना था। इसके साथ ही इसे विश्व धरोहर के सर्वत्र प्रशंसा पाने वाली, अत्युत्तम मानवी कृतियों में से एक बताया गया। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित भी अवश्य किया गया है।

पेट्रा – 

कहा जाता है कि जॉर्डन के म’ आन प्रान्त में स्थित एक ऐतिहासिक नगरी है जो अपने पत्थर से तराशी गई इमारतों एवं पानी वाहन प्रणाली के लिए प्रसिद्ध बताई गई है। इसे छठी शताब्दी ईसापूर्व में नबातियों ने अपनी राजधानी के तौर पर स्थापित भी अवश्य किया था।

ऐसा जाना जाता है कि इसका निर्माण कार्य 1200 ईसापूर्व के आसपास आरंभ हुआ था। आधुनिक युग में यह एक मशहूर पर्यटक स्थल माना जाता है। पेत्रा एक “होर” नामक पहाड़ की ढलान पर बना हुआ है एवं पहाड़ों से घिरी हुई एक द्रोणी में स्थित है।

चिचेन इत्जा – 

बता दें कि दुनिया के 7 अजूबों में से यह पहला अजूबा है। माया नाम “चीचेन इट्ज़ा” का मतलब होता है “इट्ज़ा के कुएं के मुहाने पर”। यह ‘ची’ शब्द से व्युत्पन्न हुआ है जिसका मतलब होता है “मुख” या “मुहाना” एवं ‘चेन’ का अर्थ होता है “कुआं”। दरअसल इट्ज़ा एक जातीय-वंश समूह का नाम है।

ध्यान रहे कि चीचेन के केन्द्र में प्रभावी रूप से स्थित है ये 79 फीट की ऊँचाई पर बना कुकुल्कन मंदिर (क्वेत्जालकोट के लिए माया नाम) जिसे अक्सर “अल कैस्टिलो” (महल) के रूप में सन्दर्भित किया गया है। इस सीढ़ीदार पिरामिड का आधार चौकोर है और चारों ओर से शीर्ष पर स्थिति मंदिर के लिए हर तरफ कम से कम 91 सीढ़ियां हैं। हर सीढ़ी एक दिन का प्रतीक है और मंदिर 365वां दिन होता है।

क्राइस्ट रिडीमर – 

बता दें कि ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में स्थापित ईसा मसीह की एक प्रतिमा मानी गई है जिसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू कहा जाता है। यह प्रतिमा अपने 9.5 मीटर (31 फीट) आधार सहित 39.6 मीटर (130 फ़ुट) लंबी तथा 30 मीटर (98 फ़ुट) चौड़ी है। इसका वजन कम से कम 635 टन (700 शॉर्ट टन) है एवं तिजुका फोरेस्ट नेशनल पार्क में कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी पर स्थित है। 700 मीटर (2,300 फ़ुट) जहाँ से पूरा शहर दिखाई पड़ता है।

दरअसल यह दुनिया में अपनी तरह की सबसे ऊँची मूर्तियों में से एक माना गया है (बोलीविया के कोचाबम्बा में स्थित क्राइस्टो डी ला कोनकोर्डिया की प्रतिमा इससे थोड़ी अधिक ऊँची है)। ईसाई धर्म के एक प्रतीक के रूप में यह प्रतिमा रियो और ब्राजील की एक पहचान बन गयी है। यह तन्दुरुस्त कांक्रीट एवं सोपस्टोन से बनी है, इसका निर्माण सन 1922 और सन 1931 के मध्य किया गया था।

कोलोज़ीयम – 

बता दें कि इटली देश के रोम नगर के मध्य निर्मित रोमन साम्राज्य का सबसे बड़ा एलिप्टिकल एंफ़ीथियेटर है। यह रोमन स्थापत्य एवं अभियांत्रिकी का सर्वोत्कृष्ट नमूना जाना जाता है। इसका निर्माण तत्कालीन शासक वेस्पियन ने 70वीं – 72वीं ईस्वी के बीच आरंभ किया एवं 80वीं ईस्वी में इसको सम्राट टाइटस ने पूर्ण किया।

दरअसल 1981 और 1996 वर्षों के मध्य इसमें डोमीशियन के राज में इसमें कुछ और परिवर्तन अवश्य करवाए गए। इस भवन का नाम एम्फ़ीथियेटरम् फ्लेवियम, वेस्पियन तथा टाइटस के पारिवारिक नाम फ्लेवियस के कारण हुआ है।

इसके अतिरिक्त पौराणिक कथाओं पर आधारित नाटक भी यहाँ ज़रूर खेले जाते थे। साल में दो बार भव्य आयोजन भी होते थे एवं रोमनवासी इस खेल को बहुत अधिक पसंद भी किया करते थे।

FAQ

दुनिया का पहला अजूबा कौन सा है?

बता दें कि दुनिया का पहला अजूबा ताजमहल है, जिसे शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की यादगार में बनवाया था। यह मुग़ल काल का एक उत्कृष्ट नमूना है, जो अपनी खूबसूरती के कारण से पूरी दुनिया के सात अजूबो में से पहले स्थान पर आता है।

दुनिया का आठवां अजूबा कौन सा है?

वर्तमान में दुनिया के अंदर सिर्फ सात अजूबे जॉर्डन का पेट्रा, चिचेन इटजा, चीन की दीवार, रोम-ईटली का कोलेजियम, ब्राजील का क्राइस ऑफ रिडीमर, माचू पिच्चू, एवं भारत का ताजमहल शामिल है। परन्तु यदि दुनिया में आठवां अजूबा इस सूची में शामिल किया गया, तो उसमे सरदार पटेल की प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को शामिल किया जाता है।

दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा कौन सा है?

ध्यान देने वाली बात यह है कि दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा चीन की दीवार को जाना जाता है। इसका निर्माण संयुक्त रक्षा प्रणाली के लिए ही किया गया था। जिसका उद्देश्य मंगोल जनजाति के दुश्मनो को चीन से बाहर रखना था। चीन की महान दीवार अंतरिक्ष से भी दिखाई पड़ती है। इसलिए इसे दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा कहा जाता है।

दुनिया का दूसरा अजूबा कौन सा है?

बता दें कि दुनिया का दूसरा अजूबा माचू पिच्चू है।

भारत में किनते अजूबे है?

संपूर्ण संसार में केवल सात अजूबे हैं, जिसमे से एक ताजमजहल भारत में स्थित है। वर्तमान में भारत के अंदर आठवां अजूबा भी शामिल हो गया है। जिसका नाम स्टेचू ऑफ़ यूनिटी (सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा) बताई गई है। कुल मिलाकर भारत में दो अजूबे और शामिल हैं।

निष्कर्ष – 

मुझे यह आशा है, कि आपको यह लेख दुनिया के सात अजूबे बहुत ही पसंद आया होगा, एवं अब आप दुनिया के सात अजूबे कौन से है। इनके बारे में पूरी तरह से जान चुके होंगे। सभी लोग दुनिया के सात अजूबे देखना चाहते हैं, परन्तु हमें एक बात का गर्व सदैव होना चाहिए, कि दुनिया के सात अजूबो में भारत का नाम भी शामिल है, जिसमे ताजमहल को ही लिया गया है। भले ही हम दुनिया के सात अजूबे न देख पाए परन्तु एक तो सभी भारतीय लोगो को अवश्य देखना चाहिए, जो हमारे देश में मौजूद है। आपको यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके अवश्य बताएं। यदि आपके पास इस लेख से सम्बंधित कोई भी सुझाव है, तो वह भी आप हमें अवश्य बता सकते हैं। इस पोस्ट को अपने मित्रों के साथ अवश्य शेयर करें, धन्यवाद।