Kalyug ke bare mein jankari|कलयुग के 5 रहस्य |पूरी जानकारी

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आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Kalyug ke bare mein jankari के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं कलयुग के अंत में भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेकर पूरा धरती लोक पर धर्म की स्थापना करेंगे.

Kalyug ke bare mein jankari

मित्रों जैसा कि हम लोग जानते हैं कि अभी कालखंड का चौथा युग यानी कल युग चल रहा है जिसे हिंदू शास्त्रों में सबसे शापित युग बताया गया है ऐसा माना जाता है कि कलयुग जैसे जैसे अपने चरम पर पहुंचेगा वैसे वैसे धरती से धर्म का नाश होने लगेगा और कलयुग के अंत में भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेकर पूरा धरती लोक पर धर्म की स्थापना करेंगे.

तो आज की इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि महाभारत काल अर्थात द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने कलयुग के बारे में कौन सी कड़वी सच्चाई बताई थी जिसे अधिकतर जनमानस नहीं जानते इसलिए आप हमारे साथ इस पोस्ट के जरिये बने रहें ताकि आप भी जान सके श्री कृष्ण के अनुसार कलयुग कैसा होगा नमस्कार.

दोस्तों अगर देखा जाए तो महाभारत सिर्फ हिंदुओं का ही धर्म ग्रंथ नहीं बल्कि इस ग्रंथ के अनुसरण से समस्त मानव जाति को जीवन का संपूर्ण ज्ञान मिल सकता है क्योंकि महाभारत में मनुष्य के जीवन से जुड़ा कोई भी ऐसा विषय नहीं जिसका वर्णन इस धर्म ग्रंथ में ना किया गया हो.

उन्हीं में से एक प्रसंग का वर्णन आज के समय अर्थात कलयुग से जुड़ा हुआ है. महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार यह कथा उस समय की है जब द्युत पीड़ा में सब कुछ हारने के बाद पांचों पांडवों को वनवास जाना पड़ा था या पांचो पांडव वनवास जाने को हुए तो उन्होंने श्री कृष्ण से कहा हे वासुदेव द्युत में अपना सब कुछ गवा जाने के बाद हम पांचों भाई द्रोपदी सहित वन  को जा रहे हैं किंतु हम सभी के मन में एक प्रश्न उठता है कि आप उसका समाधान कर सकते हैं पांडवों की बातें सुनकर श्री कृष्ण बोले यह तो इस बात पर निर्भर करता है कि तुम सभी मुझसे क्या जानना चाहते हो तब युधिष्ठिर बोले हे कृष्ण जैसा कि आप जानते हैं कि द्वापर युग का अंत निकट आ चुका है कृपया कर हमें बताइए कि इसके बाद आने वाला युग यानी कलयुग की चाल या गति क्या होगी कैसी होगी और इस युग के मनुष्य कैसे होंगे युधिष्ठिर के मुख से यह प्रश्न सुनकर श्री कृष्ण बोले पहले तुम पांचो भाई वन को जाओ और जो कुछ भी दिखे वह आकर मुझे बताओ फिर मैं तुम सभी को तुम्हारे प्रश्नों का जवाब दे पाऊंगा उसके बाद श्री कृष्ण के कहे अनुसार पांचों भाई वन की ओर प्रस्थान कर गए फिर वन में पहुंचकर पांचों भाइयों ने जो देखा उसको देखकर भी आश्चर्यचकित रह गए और फिर शाम को आकर पांचों पांडवों ने एक-एक कर श्रीकृष्ण को बताया कि उन्होंने क्या देखा.

शाम को जब पांचो पांडव श्री कृष्ण के पास वापस आए तो सबसे पहले युधिस्टर ने उन्हें बताया कि उन्होंने क्या देखा युधिष्ठिर ने बताया कि जब हम सभी वन पहुंचे तो सभी अलग-अलग दिशाओं में भ्रमण करने लगे तब मैंने देखा कि एक हाथी के दो सूंड है और यह देखकर मेरे यार सारे का ठिकाना ना रहा अर्जुन ने बताया कि यह वासुदेव मैंने एक पक्षी को देखा जिसके पंखों पर वेद की रचनाएं लिखी हुई थी.

वह मरे हुए जानवर का मांस खा रहा था फिर अर्जुन के बाद भीम ने भी श्री कृष्ण को बताया कि हे कृष्ण मैंने देखा है गाय ने बछड़े को जन्म दिया है और जन्म के बाद में बछड़े को इतना चाट रही है कि बछड़ा लहूलुहान हो गया जिसे देखकर मैं हैरान हो गया भला कोई माता अपने बच्चों के साथ ऐसा कर सकती है उसके बाद श्रीकृष्ण सहदेव से पूछा सहदेव तुम बताओ तुमने बन में क्या देखा तब सहदेव श्री कृष्ण से बोले हे वासुदेव मैंने बन में देखा कि एक जगह छह- सात कुएं हैं और आसपास के कुओं में पानी है किन्तु बीच का कुआं खाली है बीच का कुआं गहरा है फिर भी पानी नहीं है यह देख कर मुझे घोर आश्चर्य हुआ कि ऐसा कैसे हो सकता है उसके बाद नकुल ने कहा हे नारायण जब मैं वन में भ्रमण कर रहा था तो मैंने देखा कि एक पहाड़ के ऊपर से एक बड़ी सी शिला यानी पत्थर लुढ़कती हुई आती है और कितने ही व्रक्षों से टकराकर उनको नीचे गिराते हुए आगे बढ़ जाती है परन्तु विशालकाय पत्थर को कोई भी वृक्ष उसे रोक न सका.

इसके अलावा वह शिला कितनी ही अन्य शिलाओं के साथ टकराई पर फिर भी वह रुकी नहीं अंत में एक अत्यंत छोटे पौधे का स्पर्श होते ही स्थिर हो गई थी फिर युधिष्ठर श्री कृष्ण से बोले हे वासुदेव हम पांचों भाइयों ने जो कुछ भी बन में देखा वह आपको बता दिया कृपया कर इसका अर्थ बताइए तो फिर कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा हे धर्मराज जैसा कि आपने कहा कि आपने दो सूंड  वाला हाथी देखा जिसका अर्थ हुआ कि कलयुग में ऐसे लोगों का राज होगा.

वे बोलेंगे कुछ , करेंगे कुछ कलयुग के साथ अपनी प्रजा का सभी तरह से शोषण करेंगे उनके मन में कुछ और होगा और दिखावे के लिए कुछ और करेंगे अर्थात कलयुग में शासकों के लिए आम लोगों का कोई महत्व नहीं होगा तो बस राज करने के लिए शासक होंगे फिर श्री कृष्ण अर्जुन से बोले हे धनंजय जैसा कि तुमने देखा कि एक पक्षी के पंख पर वेद की रचना लिखी हुई थी लेकिन वह मरे हुए जानवर का मांस खा रहा था जिसका अर्थ यह हुआ कि कलयुग में ऐसे लोगों के जो बड़े ज्ञानी और ध्यानी कहलाएंगे किन्तु उनके आचरण राक्षसी होंगे.

कलयुग में लोग पंडित और विद्वान कहलाएंगे किंतु यह विचार चलता रहेगा कि कोई मरे और उसकी सारी संपत्ति उसके नाम हो जाए अर्थात कलयुग के मनुष्य धन और संपत्ति के लोभी होंगे भले ही उनके पास कितना ही ज्ञान क्यों ना हो इसके अलावा हे अर्जुन कलयुग में हर जाति धर्म के प्रमुख पद पर बैठे लोग विचार करेंगे कि कब कोई किसी पद से हटे और हम उस पर विराजमान हो जाए कलयुग में ऐसे लोगों की संख्या बहुतायत होगी कोई कोई विरला ही संत पुरुष होगा. 

अर्जुन के बाद श्री कृष्ण भीम से बोले यह गदाधर जैसा कि तुमने देखा कि एक गाय अपने बछड़े को इतना चाटने लगी कि वह बछड़ा लहूलुहान हो गया अर्थात कलयुग की माता अपनी संतानों पर इतनी ममता बसाएंगी कि बच्चों को खुद का विकास करने का मौका ही नहीं मिलेगा. 

जिसके कारण मोह माया में पढ़कर वे बर्बाद हो जाएंगे इसके अलावा किसी का बेटा घर छोड़कर साधु बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे किंतु जब मनुष्य का अपना बेटा साधु बनेगा तो रोएंगे कि मेरे बेटे का क्या होगा इतनी सारी ममता होगी कि उसे मोह माया और परिवार में ही बांधकर रखेंगे और उसका जीवन वहीं खत्म हो जाएगा.

इस प्रकार बेचारा अनाथ होकर मरेगा भीम जब श्री कृष्ण के जवाब से संतुष्ट हो गए तब भगवान श्रीकृष्ण सहदेव से कहा सहदेव जैसा कि तुम ने बताया कि तुमने वन में 5,7 भरे कुओं के बीच एक कुआं एकदम खाली देखा जिसका अर्थ यह हुआ कि कलयुग में पैसे वाले अर्थात धनी लोग अपने पुत्र पुत्री के विवाह में या फिर आलीशान भवन बनाने में लाखों रुपए खर्च कर देंगे परंतु उनके पड़ोस में ही यदि कोई भूखा प्यासा मर रहा होगा तो वह उसकी कोई सहायता नहीं करेंगे.

भले ही उनका अपना ही सगा भूख से मर जाएगा लेकिन वो देखते रहेंगे इसके अलावा कलयुग में मनुष्य मदिरा , मांस – भक्षण , सुंदरता और व्यसन में पैसे उड़ा देंगे किंतु किसी के दो आंसू पोछने में उनकी रुचि ना होगी हे सहदेव मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि कलयुग में अन्न के भंडार होंगे लेकिन लोग भूख से मरेंगे सामने महलों बंगलों में ऐसोराम चल रहे होंगे लेकिन पास की झोपड़ी में आदमी भूख से मर जाएगा एक ही जगह पर असमानता अपने चरम पर होगी श्रीकृष्ण की बातें सुनकर सहदेव को सारी बातें समझ में आ गई.

तब श्री कृष्ण ने नकुल से कहा नकुल जैसा कि तुमने बताया कि वन में एक बड़ी सी चट्टान पहाड़ से लुढ़की किंतु बड़े-बड़े वृक्ष और उसके तने उस चट्टान को रोक ना पाए किन्तु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह चट्टान रुक गई जिसका अर्थ यह हुआ कि कलयुग में मनुष्य का मन नीचे जाएगा यानी कलयुग के मनुष्यों का जीवन पतित हो जाएगा और ऐसे में मनुष्य का जीवन धन की शिलाओं से नहीं रुकेगा ना ही सत्ता के वृक्षों से रुकेगा किंतु हरि नाम के एक छोटे से पौधे से हरि कीर्तन के छोटे पौधे से मनुष्य जीवन का पतन होना रुक जाएगा.

अर्थात आज कलयुग में भी जो मनुष्य के लोगों को छोड़कर हरि नाम का जप करेगा उसे कोई कष्ट नहीं होगा और मृत्यु के बाद उसे परमेश्वर अर्थात मेरे चरणों में जगह मिलेगी तो मित्रों आपने देखा होगा कि आज श्री कृष्ण द्वारा बताई गई यह सारी बातें सच में घटित हो रही है इसलिए मनुष्य को चाहिए कि कलयुग में बौद्ध धर्म का पालन करें और श्री हरि नाम का भजन करें तो उसका जीवन सफल हो जाएगा और उम्मीद करता हूं कि आपको श्री कृष्ण द्वारा कलयुग के बारे में बताई गई यह कड़वी सच्चाई जरूर पसंद आई होगी.