हैलो दोस्तों, क्या आप Noise pollution in hindi के बारे में जानतें है? यदि नही तो इस पोस्ट पर Noise pollution in hindi के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है| तो Noise pollution in hindi जानें और अपना और अपने परिवार का ज्ञान वर्धन करें तथा दोस्तों से शेयर भी कीजिए|
ध्वनि प्रदूषण –
बता दें कि ध्वनि प्रदूषण वो औद्योगिक या गैर-औद्योगिक क्रियाएं होती हैं जो मनुष्य, पौधो एवं पशुओं के स्वास्थ्य पर बहुत से आयामों से विभिन्न ध्वनि स्त्रोतों के द्वारा ही आवाज पैदा करके प्रभावित करती है। निरंतर बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के स्तर ने वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ियों के जीवन को बहुत ही बड़े खतरे पर रख दिया है।
ध्वनि प्रदूषण का क्या मतलब है –
कहा जाता है कि ध्वनि प्रदूषण संपूर्ण विश्व भर की एक बहुत ही गंभीर परेशानी बन चुकी है। ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्य को अनेकों प्रकार के मानसिक विकार हो जाते हैं, जिनमें से मुख्य यह है सर दर्द एवं चिड़चिड़ापन। ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्य को मानसिक विकार के साथ-साथ कान की इंद्रियों पर पूरा नियंत्रण बिल्कुल भी नहीं रहता है. ध्वनि प्रदूषण फैलाने का मुख्य स्रोत बड़े बड़े कारखाने, उद्योग, हवाई जहाज, रेलगाड़ी, लाउडस्पीकर, हॉर्न आदि हैं।
ध्वनि प्रदूषण को से बचने के उपाय –
- बता दें कि ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए हमें लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
- दरअसल बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं, जो वाहन चलाते समय बिना किसी कारण के हॉर्न बजाते रहते हैं, उन्हें ऐसा कदापि नहीं करना चाहिए।
- हमें ट्रैफिक नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।
- हमें हमेशा कम आवाज वाली मशीनों का ही इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए, जिससे कि हम ध्वनि प्रदूषण से पूरी तरह बच सकें।
- हमेशा उद्योग धंधों को घनी आबादी वाले क्षेत्रों से दूर स्थापित करना चाहिए, जिससे कि उससे निकलने वाले तेज ध्वनि के कारण आसपास के इलाकों पर कोई विशेष प्रभाव बिल्कुल भी नहीं पड़ेगा।
प्रभाव
ऐसा कहा जाता है कि अवांछनीय ध्वनि के रूप में ध्वनि प्रदूषण शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को बहुत ही अधिक हानि पहुंचा सकता है। ध्वनि प्रदूषण चिड़न एवं आक्रामकता, उच्च रक्तचाप, उच्च तनाव स्तर, बहरापन, नींद में बाधा और अन्य हानिकारक प्रभाव उत्पन्न अवश्य कर सकता है। दीर्घकाल तक ध्वनि का अपावरण ध्वनि-प्रेरित बहरापन भी उत्पन्न ज़रूर कर सकता है। वे लोग जो अधिक व्यवसायिक ध्वनि के संपर्क में रहते हैं, ध्वनि के संपर्क में न रहने वालों की तुलना में, श्रवण संवेदनशीलता में अधिक कमी प्रदर्शित करते रहते हैं। उच्च एवं मध्यम श्रेणी की उच्च ध्वनि स्तर हृदय की रक्त वाहिनियों पर प्रभाव, रक्तचाप और तनाव में वृद्धि कर सकती है एवं इस प्रकार लोगों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बहुत ही प्रभावित हो सकता है।
ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून –
बता दें कि भारत में ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिये पृथक् अधिनियम का प्रावधान बिल्कुल भी नहीं है। भारत में ध्वनि प्रदूषण को वायु प्रदूषण में ही शामिल किया गया है। वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 में सन् 1987 में संशोधन करते हुए इसमें ‘ ध्वनि प्रदूषकों’ को भी ‘वायु प्रदूषणों’ की परिभाषा के अंतर्गत शामिल अवश्य किया गया है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 6 के अधीन भी ध्वनि प्रदूषकों सहित वायु एवं जल प्रदूषणों की अधिकता को रोकने के लिये कानून बनाने का प्रावधान बन गया है। इसका इस्तेमाल करते हुए ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियम, 2000 पारित किया गया है । इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों के लिये ध्वनि के संबंध में वायु गुणवत्ता के मानक निर्धारित भी अवश्य किये गए हैं। विद्यमान राष्ट्रीय कानूनों के अंतर्गत भी ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण का प्रावधान है। ध्वनि प्रदूषणों को आपराधिक श्रेणी में मानते हुए इसके नियंत्रण के लिये भारतीय दंड संहिता की धारा 268 एवं धारा 290 का इस्तेमाल अवश्य किया जा सकता है। पुलिस अधिनियम, 1861 के अंतर्गत पुलिस अधीक्षक को अधिकृत किया गया है कि वह त्योहारों एवं उत्सवों पर गलियों में बजने वाले संगीत की तीव्रता के स्तर को पूरी तरह से नियंत्रित कर सकता है।