Mangla gauri vrat katha| मंगला गौरी व्रत कथा In Hindi

Dharmik Chalisa & Katha

मित्रों इस पोस्ट में  मंगला गौरी  की पूरी व्रत कथा In Hindi  प्रस्तुत है। यदि वर्तमान परिवेश में देखा जाये तो Mangla Gauri Vrat Katha Aarti एक महत्वपूर्ण विषय है। आप Mangla Gauri Vrat Katha In Hindi पढ़ें एवं अपने ज्ञान का वर्धन करें। हमें उम्मीद है कि मंगला गौरी व्रत कथा PDF  Download आपको अवश्य पसंद आएगा।

बता दें कि Mangla gauri vrat katha श्रावण मास में किया जाने वाला देवी मां गौरी का यह व्रत मंगला गौरी के नाम से विख्यात हुआ है। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए ही किया करती हैं। इस व्रत की कथा इस प्रकार से है:-

कथा- 

एक बार की बात है, एक शहर में धरमपाल नाम का एक व्यापारी रहा करता था। उसकी पत्नी बहुत ही सुंदर थी एवं उसके पास बहुत ही अधिक संपत्ति थी। परन्तु उनके कोई संतान नहीं होने के कारण वे बहुत परेशान रहा करते थे। प्रभु की कृपा से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई परन्तु वह अल्पायु था। उसे यह श्राप मिला था कि 16 वर्ष की उम्र में सांप के काटने से उसकी मृत्यु हो जाएगी। संयोग से उसका विवाह 16 वर्ष से पहले ही एक स्त्री से हुई जिसकी माँ देवी मंगला गौरी का व्रत किया करती थी।

परिणामस्वरूप उसने अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था जिसकी वजह से वह कभी विधवा नहीं हो सकती थी। इस कारण से धरमपाल के पुत्र ने 100 साल की लंबी आयु प्राप्त की। इस वजह से सभी नवविवाहित महिलाएं इस पूजा को किया करती हैं एवं माँ गौरी व्रत का पालन भी करती हैं और अपने लिए एक लंबी, सुखी एवं स्थायी वैवाहिक जीवन की कामना भी करती हैं। जो महिला उपवास का पालन नहीं कर सकतीं, वे भी कम से कम इस पूजा को तो करती ही हैं।

इस कथा को सुनने के पश्चात विवाहित महिला अपनी सास एवं ननद को 16 लड्डू देती है। इसके पश्चात वे यही प्रसाद ब्राह्मण को भी देती है। इस विधि को पूर्ण करने के पश्चात व्रती 16 बाती वाले दीये से देवी की आरती भी करती हैं। 

व्रत के दूसरे दिन बुधवार को देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी या फिर पोखर में विसर्जित कर दी जाती है। अंत में मां गौरी के सामने हाथ जोड़कर अपने समस्त अपराधों के लिए तथा पूजा में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा अवश्य मांगें। इस व्रत एवं पूजा को परिवार की प्रसन्नता के लिए लगातार कम से कम 5 वर्षों तक ही किया जाता है।

अत: शास्त्रों के अनुसार यह देवी मंगला गौरी का व्रत नियमानुसार करने से प्रत्येक जातक के वैवाहिक सुख में बढ़ोतरी होकर पुत्र-पौत्रादि भी अपना जीवन सुखपूर्वक गुजारते हैं, ऐसी इस व्रत की महिमा बताई गई है।

व्रत विधि – 

  • सूर्य उदय से पहले उठें। इसके पश्चात स्नानादि करके स्वच्छ कपड़े धारण करें।
  • अब एक साफ एवं स्वच्छ लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
  • उस पर देवी मां गौरी की प्रतिमा या फिर फोटो स्थापित करें।
  • मां के समक्ष व्रत का संकल्प भी करें एवं आटे से बना हुआ दीपक को प्रज्वलित करें।
  • इसके पश्चात धूप, नैवेद्य फल-फूल आदि से देवी मां गौरी का षोडशोपचार पूजन भी करें।
  • पूजा – अर्चना पूरी होने पर देवी मां गौरी की आरती करें एवं उनसे क्षमायाचना करें।

पूजा विधि –  

ध्यान रहे कि इस व्रत में एक ही समय भोजन ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की पूजा – आराधना की जाती है। देवी मंगला गौरी व्रत पूजा के दौरान सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में अवश्य होनी चाहिए। इनमें 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ि‍यां एवं मिठाई देवी मां को चढ़ाई जाती हैं। इसके अलावा कम से कम 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल एवं मसूर आदि भी पूजा में होना चाहिए। पूजा के पश्चात देवी मंगला गौरी की व्रत कथा भी अवश्य सुननी चाहिए।